Apara Ekadashi Vrat 2019: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का बड़ा महात्म्य है, इस व्रत में अपार सिद्धिदायक गुण भरे हुए हैं। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत का पुण्य अपार होता है और व्रती के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस बार Apara Ekadashi Vrat, 30 मई 2019 गुरुवार को है। इस एकादशी को अचला एकादशी भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्त का घर धन-धान्य से भर देती हैं। पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्य भवसागर तर जाता है और उसे प्रेत योनि के कष्ट नहीं भुगतने पड़ते।यह भी मान्यता हैं की जो भक्ति-भाव व विधि-विधान से अपरा एकादशी का व्रत करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Apara Ekadashi Vrat Date and Shubh Muhurat
एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 मई 2019 को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट
एकादशी तिथि सामाप्त: 30 मई 2019 को शाम 04 बजकर 38 मिनट तक
पारण का समय: 31 मई 2019 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट
अपरा एकादशी की व्रत विधि
- दशमी के दिन से ही एकादशी व्रत के नियमों का पालन करें।
- व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई कर पवित्र जल से स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु के सामने अपरा एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
- अब घर के मंदिर में भगवान विष्णु और बलराम की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने धूप-दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु को मौसमी फल, नारियल, तुलसी के पत्ते, पुष्प, चंदन, श्रीखंड, गंगाजल और मेवे चढ़ाएं।
- विधिपूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें, धूप दिखाकर आरती उतारें और दिन भर उपवास करें।
- तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित करें (चढ़ाएं)। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। एकादशी की कथा सुनें और सुनाएं।
- एकादशी की सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें।
- रात में जागरण करते हुए हरि कीर्तन एवं मंत्र जाप करना चाहिए। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे।
- अगले दिन द्वादशी को व्रत पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद अन्न ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
व्रत रखने वाले को पूरे दिन परनिंदा, झूठ, छल-कपट से बचना चाहिए। एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
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अपरा एकादशी व्रत कथा
अपरा एकादशी को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार पुराने समय में किसी राज्य में महीध्वज नाम का एक बहुत ही धर्मात्मा राजा था। राजा महीध्वज जितना नेक था उसका छोटा भाई वज्रध्वज उतना ही अन्यायी, अधर्मी और क्रूर था। वज्रध्वज महीध्वज से द्वेष करता था और उसे मारने के षड्यंत्र रचता रहता था।
एक दिन मौका देखकर ब्रजध्वज ने अपने बड़े भाई महीध्वज की हत्या कर दी और उसके मृत शरीर को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया और खुद राज करने लगता है।
असामयिक मृत्यु के कारण महीध्वज को प्रेत योनि मिलती है और उसकी आत्मा उस पीपल में वास करने लगती हैं। उसकी मृत्यु के पश्चात राज्य में उसके दुराचारी भाई से तो प्रजा दुखी थी ही साथ ही महीध्वज का प्रेत भी आने जाने वाले को दुख पहुचाने लगा।
लेकिन उसके पुण्यकर्मों का सौभाग्य था कि उधर से एक दिन धौम्य ऋषि को वहाँ से गुज़रना हुआ। उन्हें आभास हुआ कि कोई प्रेत उन्हें तंग करने का प्रयास कर रहा है। अपने तपोबल से उन्होंने राजा के साथ हुए अन्याय का आभास हुआ और उसका भविष्य सुधारने का जतन सोचने लगे। सर्वप्रथम उन्होंने राजा की प्रेत आत्मा को पकड़कर उसे परलोक विद्या और अच्छाई का पाठ पढ़ाया। फिर उसके मोक्ष के लिए स्वयं ही अपरा एकादशी व्रत रखा और संकल्प लेकर अपने व्रत का पुण्य प्रेत को दान कर दिया। इस प्रकार राजा की आत्मा को प्रेत जीवन से मुक्ति मिली और वह दिव्य शरीर धारण कर बैकुंठ चला गया।
अपरा एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म में अपरा एकादशी का विशेष महत्व है, जैसा कि नाम से ही ज्ञात है “अपरा” अर्थात अपार फल देने वाली। मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का पुण्य अपार है। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भवसागर को तर जाता है।
अपरा एकादशी का व्रत अपार धन-संपत्ति और सुख-वैभव भी प्रदान करती है। अपरा एकादशी व्रत भक्तिपूर्वक विधि विधान से करने व इसकी कथा सुनने या पढ़ने से मनुष्य को समस्त भौतिक संपदा प्राप्त हो जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है। उसके आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप नाम, प्रसिद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है।
जो फल तीनों पुष्करों में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने या गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है।
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Apara Ekadashi Vrat की हार्दिक शुभकामनाएं !!
जो लोग एकादशी का व्रत नहीं कर रहे हैं उन्हें भी इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। Connect with us through Facebook for all latest updates on Hindu Tradition, Fast and Festivals. Let us know for any query or comments. Do comment below for any more information or query on Apara Ekadashi Vrat 2019.
(इस आलेख में दी गई Apara Ekadashi Vrat 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)