पूरे देश में शारदीय नवरात्रि (Navratri) का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। The nine -day celebration during Navratri is marked by unending revelry and celebrates the triumph of good over the evil. While each day has its own significance, the eighth day or Maha Ashtami also known as Durga Ashtami is considered as the most auspicious. Durga Ashtami 2018 is falling on October 17, 2018,
खासतौर से उत्तर भारत में भक्त मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं । बहुत से लोग 9 दिन तो कुछ प्रथम और अष्टमी का व्रत रखते हैं। जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं वे भी अष्टमी का व्रत रखते हैं । पूरी नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग नवमी तिथि को आखिरी व्रत करते हैं। 10 अक्टूबर से हुए शुरू नवरात्रि (Navratri) के आखिरी दो दिनों में यानी अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) की परपंरा है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 स्वरूपों की पूजा होती है और कन्या पूजन में इन्ही नौ रूपों की पूजा होती है। कन्या पूजन को कंजक पूजन (Kanjak Pujan) भी कहते है।
The nine-day festival holds immense importance for Hindus across the world. During these nine auspicious days, devotees pray to nine incarnations of Goddess Durga called Navdurga. The eight-day of Navratri is called Ashtami, and this year Ashtami or Durga Ashtami 2018 falls on October 17, 2018.
शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा 9 दिन में संपूर्ण करके दशवें दिन दशहरा मनाते हैं। प्रत्येक दिशाओं और सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड को संचालित करने वाली माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती का पाठ होता है। भक्त अपनी श्रद्धानुसार माता को भजन, कीर्तन और आरती से प्रसन्न करते हैं।
दुर्गा अष्टमी कब है?
ज्योतिष में उदया तिथि का महत्व ज़्यादा है अर्थात जैसे कोई भी पर्व किसी भी तिथि को रात्रि में लगा और अगले दिन तक रहा तो अगली तिथि के पर्व में सूर्योदय आया इसीलिए उस तिथि को ही उस पर्व का महत्व है। नवरात्रि या नवरात्र के आठवें दिन अष्टमी मनाई जाती है, इस बार Durga Ashtami 2018 अक्टूबर 17 को है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2018 की सुबह 10 बजकर 16 मिनट से
अष्टमी तिथ समाप्त: 17 अक्टूबर 2018 की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक.
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दुर्गा अष्टमी कैसे मनाई जाती है?
अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है। सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है। सभी कन्याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्हें हल्वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है। पूजा पंडालों में इस दिन अस्त्र पूजा और संधि पूजा भी होती है। शाम के समय महाआरती होती है और कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
17 अक्टूबर 2018 को कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त हैं:
सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक.
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक.
अष्टमी की देवी – माता महागौरी
बुधवार, 17 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी है. इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है। महागौरी का वर्ण पूर्णतः गौर है। मां महागौरी के गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी’ इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं.
माता दुर्गाज़ी की आठवीं शक्ति का नाम है महागौरी। कहते हैं कि जब हिमालय मे कठोर तपस्या करते समय देवी सती का शरीर धूल-मिट्टी से मलिन हो गया था, तब शिवजी ने उन्हें गंगा जल से साफ किया था जिससे उन्हें गौरवर्ण प्राप्त हुआ आैर वे महागौरी नाम से प्रसिद्ध हुईं।
महागौरी की चार भुजाएंं हैं और इनका वाहन वृषभ है. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है, ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।
देवी गौरी के अंश से कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ को दंडित किया था। महागौरी ही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी जानी जाती हैं।
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महागौरी की पूजा विधि
देवी महागौरी को चमेली के पुष्प आैर केसर अत्यंत प्रिय हैं इसलिए उनके पूजन में ये दोनो ही अर्पित करें और फल मिष्ठान का भोग लगाएं। कपूर से आरती करें आैर इस मंत्र का जाप करें ‘श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥’ अष्टमी के दिन इनको नारियल का भोग लगाना चाहिए आैर वह ब्राह्मण को दे देना चाहिए। कहते हैं एेसा करने से पूजा करने वाले के पास किसी प्रकार का संताप नहीं आ सकता।
कन्या पूजन विधि
दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है, इसलिए सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले गणपति और मां महागौरी (Mahagauri) की पूजा करें। फिर कन्याओं के लिए भोजन बनाएं. भोजन में हलवा और चने जरूर बनाएं, क्योंकि मां को यह भोग अति प्रिय है। महागौरी की पूजा पूजा करते वक्त गुलाबी रंग पहनें ।
- कन्या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित करें. आपको बता दें कि बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है. कहा जाता है कि अगर किसी शक्ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
- ध्यान रहे कि कन्या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए। कन्या रूपी माताओं को स्वच्छ परिवेश में ही बुलाना चाहिए।कन्याओं को कभी भी जबरदस्ती या क्रोध में या फिर जल्दबाज़ी में ना बुलाएं. बल्कि एक दिन पहले कन्याओं को उनके घर जाकर आमंत्रित करें. अगर कोई कन्या ना हो तो सुबह प्यार से हाथ जोड़कर उन्हें घर में प्रवेश कराएं।
- कन्याओं को माता रानी का रूप माना जाता है. उनके घर में प्रवेश करने के दौरान ही माता रानी के जयकारे लगाएं जैसे : – प्रेम से बोलो जय माता दी, सारे बोलो जय माता दी, मिलके बोलो जय माता दी, जोर से बोलो जय माता दी, हंसके बोलो जय माता दी, शेरावाली जय माता दी!!
- अब सभी कन्याओं को बैठने के लिए साफ आसन बिछाएं। फिर सभी कन्याओं के पैर धोएं उनके माथे पर रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
- इसके बाद कन्याओं के हाथ में मौली बाधें।
- अब सभी कन्याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें।
- आरती के बाद सभी कन्याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं. आमतौर पर कन्या पूजन के दिन कन्याओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है। कन्याएं जब तक और जितना खाएं उन्हें टोके नहीं।
- भोग के बाद कन्याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें। आखिर में कन्याओं के पैर छूकर घर के बाहर तक विदा करें।
Durga Ashtami 2018 or Mahashtami Significance
On the day of Ashtami, special pujas like ‘Astra Puja‘ and ‘Sandhi Puja‘ also take place in Puja pandals. As part of Astra Puja, Goddess Durga’s weapons with which she defeated the buffalo demon Mahishasura are worshipped with much fervour. It is said that it was on the day of Ashtami, after a long drawn battle between Goddess Durga and Mahishasura, Goddess Kali appeared from Durga’s forehead to annihilate Mahishasura’s demons – Chand, Mund, and Rakthabija. Therefore on this day, Ashta Nayikas, or the eight forms or incarnations of Shakti are worshipped in the form of all-encompassing Goddess Durga.
Sandhi Puja is celebrated to worship the Chamunda form of Goddess Kali/Shakti. शास्त्रों के अनुसार महागौरी की पूजा से शुक्र ग्रह से उत्पन्न ग्रहदोष दूर होते हैं। इसके साथ ही व्यापार, दांपत्य, धन आैर सुख समृद्घि में वृद्घि होती है। अभिनय, गायन आैर नृत्य जैसे कलाआें में शामिल लोगों को सफलता मिलती है। मां महागौरी की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से भी मुक्ति मिलती है जिनमें उत्सर्जन, स्वाद इंद्रियों आैर त्वचा से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं।
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साथ ही याद रखें कि कन्याओं को सिर्फ अष्टमी या नवमीं वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के हरेक दिन उनका सम्मान करें. Here’s wishing you all a Happy Ashtami 2018. Connect with us for all latest updates also through Facebook. Let us know for any query or comments. Do comment below how you are planning to celebrate Durga Ashtami 2018.