Haridwar Kumbh 2021: भारतीय सनातन संस्कृति में कुंभ का बहुत महत्व है, ये विश्वास, आस्था, सौहार्द और संस्कृतियों के मिलन का सबसे बड़ा पर्व है। ये दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक कार्यक्रम है। कुंभ मेला हर तीन साल में आयोजित किया जाता है, और चार अलग-अलग स्थानों – हरिद्वार (गंगा), प्रयागराज (यमुना, गंगा और सरस्वती का त्रिवेणी संगम), उज्जैन (क्षिप्रा नदी), और नासिक (गोदावरी नदी) के बीच स्विच किया जाता है।
कुंभ मेला समुद्रमंथन से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि समुद्रमंथन के बाद जब अमृत प्राप्त हुआ तो देवों और दानवों के बीच अमृत पान करने के लिए युद्ध होने लगा, उस दौरान अमृत की कुछ बूंदे छलककर जिन स्थानों पर गिरी उनमें से चार स्थान पृथ्वी लोक पर हैं, इन्ही स्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है।
मेला 12 साल की अवधि के बाद प्रत्येक स्थान पर लौटता है। वर्ष 2019 में कुंभ का आयोजन प्रयागराज में हुआ था। इस बार कुंभ हरिद्वार में लगा है। इस साल यह भव्य आयोजन 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो चुका है और अप्रैल 2021 तक जारी रहेगा।
अमृत योग का निर्माण काल गणना के अनुसार होता है। साल 2022 में गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे इसलिए इस बार 11वें साल में ही कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। 83 वर्षों की अवधि के बाद, यह अवसर इस वर्ष आ रहा है। इससे पहले, इस तरह की घटना वर्ष 1760, 1885 और 1938 में हुई थी।
महाकुंभ 2021 के लिए हरिद्वार तैयार है, लेकिन इस बार शासन-प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है श्रद्धालुओं का कोरोना महामारी से बचाव सुनिश्चित करना। अधिकारियों का सबसे अधिक ध्यान इस बात पर है कि लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं और साधु-संतों को कुंभ में हिस्सा लेने के बाद कैसे सुरक्षित वापस भेजा जाए।
अगर आप भी हरिद्वार कुंभ मेले में जाने व महाकुंभ में स्नान करने की योजना बना रहे हैं तो केंद्र सरकार के तय किए गए नियमों (कोरोना प्रोटोकॉल) की जानकारी होना आप के लिए बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार ने हजारों साल पुरानी सनातनी परंपरा कुंभ मेला में इस बार कोरोना के लिए गाइडलाइन तय की है, जिसे आपको किसी भी सूरत में पालन करना ही होगा, तो पहले जान लें इसके बारे में –
1. कोरोना लक्षण दिखने पर एंट्री नहीं– जो लोग जिनमें कोविड-19 महामारी से जुड़े लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें कुंभ मेला क्षेत्र में एंट्री नहीं मिलेगी। उन्हें या तो लौटा दिया जाएगा या फिर महामारी इलाज के लिए बने सेंटर में रेफर कर दिया जाएगा।
2. बच्चों-बुजुर्गों से नहीं आने की अपील– महाकुंभ स्नान में 10 साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों, और गंभीर बीमारी से पीडि़त व्यक्तियों के नहीं आने के लिए अपील की जा रही है।
3. कोविड-19 टेस्ट निगेटिव रिपोर्ट रखें साथ– महाकुंभ स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु को कोविड-19 टेस्ट कराने के बाद ही आने की हिदायत है। रिपोर्ट न लाने वाले श्रद्धालुओं को कुंभ क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। श्रद्धालुओं को कोरोना जांच के लिए किए जाने वाले आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट, आने से पहले के 72 घंटे की अवधि के बीच की होनी चाहिए।
4. मास्क नहीं पहना तो कंपाउंडिंग या समन– मास्क पहनना सभी के लिए अनिवार्य है। जो मास्क नहीं पहनेगा उसके खिलाफ कंपाउंडिंग या समन की कार्रवाई भी मेला पुलिस की ओर से अमल में लायी जाएगी। सभी से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील भी मेला प्रशासन की ओर से की जा रही है। हालांकि इस संबंध में आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल का मानना है कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करना व्यवहारिक रूप से थोड़ा कठिन जरूर है मगर सभी से अपनी सुरक्षा के लिए इसके पालन की अपील की जा रही है।
5. ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन– स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को अपना रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर करवाना होगा। पोर्टल पर उपलब्ध डेटा से यह पता चल सकेगा कि किस-किस दिन अधिक भीड़ रहेगी। मेला प्रशासन उसी हिसाब से व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देगा। इसके अलावा अगर स्नान के दौरान कोई पॉजिटिव पाया जाएगा तो कांट्रैक्ट ट्रेसिंग को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा।
6. लगा सकेंगे सिर्फ तीन डुबकी– कुंभ में स्नान के दौरान घाटों पर मनचाही डुबकियां लगाने की छूट नहीं होगी। श्रद्धालु गंगा तट पर आएं और स्नान कर सकुशल वापस जाएं, इसके लिए घाटों पर उनका कम से कम समय तक रहना सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए ‘एक स्नान, तीन डुबकी’ का फॉर्मूला भी लागू किया गया है।
हजारों साल पुरानी सनातनी परंपरा कुंभ मेला में इस बार कोरोना को लेकर सरकार ने कई तरह की गाइडलाइन बनाई है। कुंभ मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आएंगे और इस माहौल में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना आसान नहीं होगा। मेले के दौरान लोगों को मास्क लागाना अनिवार्य होगा।
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Haridwar Kumbh 2021 शाही स्नान व प्रमुख स्नान की तिथियां
हरिद्वार में 27 फरवरी से शुरू होकर कुंभ 30 अप्रैल तक चलेगा। आपको जानकारी देना चाहेंगे कि इस साल कुंभ मेले के दौरान 6 स्नान पर्व, 4 शाही स्नान होंगे, और इसमें 13 अखाड़े भाग लेंगे। इन अखाड़ों से झांकी निकाली जाएंगी। इस झांकी में सबसे आगे नागा बाबा होंगे और महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर उनका अनुसरण करेंगे। पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि को किया जाएगा।
- जनवरी 14, 2021 गुरुवार को मकर संक्रांति के दिन स्नान
- फरवरी 11, 2021 गुरुवार को मौनी अमावस्या के दिन स्नान
- फरवरी 16, 2021 मंगलवार को बसंत पंचमी के दिन स्नान
- फरवरी 27, 2021 शनिवार को माघ पूर्णिमा के दिन स्नान
- मार्च 11, 2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि के दिन पहला शाही स्नान
- अप्रैल 12, 2021 सोमवार को सोमवती अमावस्या के दिन दूसरा शाही स्नान
- अप्रैल 13, 2021 मंगलवार को चैत्र प्रतिपदा के दिन स्नान
- अप्रैल 14, 2021 बुधवार को बैसाखी (मेष संक्रांति) के दिन तीसरा शाही स्नान
- अप्रैल 21, 2021 बुधवार राम नवमी के दिन स्नान
- अप्रैल 27, 2021 मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा के दिन चौथा शाही स्नान
कुंभ स्नान का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पुराने पाप धुल जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है। और मनुष्य को जन्म-पुनर्जन्म तथा मृत्यु-मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसे में जो भी लोग इस बार कुंभ मेले में जाना चाहते हैं उन्हें ध्यान रखना होगा कि मेले में कोरोना प्रोटोकॉल का अच्छे से पालन करना होगा।
कुंभ स्नान के धार्मिक नियम
हर व्यक्ति चाहता है कि अपने जीवन में एक बार ही सही उसे भी कुंभ में स्नान करने का सौभाग्य अवश्य प्राप्त हो, लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभ में स्नान करने के लिए नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। कहा जाता है कि कुंभ के नियमों में लापरवाही बरतने से जातक को जन्म-जन्मांतर तक इस गलती का फल भुगतना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कुंभ स्नान के नियम…
- यदि आपके अंदर कोई बुरी आदत है और दूसरों को उससे नुकसान या परेशानी हो सकती हैं तो उसका त्याग कर दें और जीवन में वह बुरी आदत कभी अपने अंदर न पनपने दें। इसके अलावा लोग केश त्याग यानि मुंडन भी करवाते हैं।
- कुंभ स्नान करते समय विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि नदी में पांव रखने से पहले नदी को प्रणाम करें, उसमें पुष्प और अपनी इच्छाशक्ति मुद्रा डालें। इसके बाद नदी में स्नान करें।
- स्नान करने के पश्चात किसी साधु को वस्त्र आदि का दान जरूर करें। सनातन संस्कृति में दान का बहुत महत्व माना गया है, इसके अनुसार यदि किसी को भी कुंभ स्नान करना हो तो उसके बाद कुछ न कुछ दान करके ही जाएं।
- सनातन धर्म में नदियों को बहुत ही पूजनीय मानते हैं। इसलिए किसी भी पवित्र नदी के समीप शौच, कुल्ला, कंघी करके बाल डालना, जल में क्रीड़ा करना, रतिक्रिया करना या फिर कपड़े धोना ये कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए। कहा जाता है कि कुंभ में किए गए पाप का फल मनुष्य को इस जन्म के बाद कई जन्मों तक भुगतान पड़ता है।
Haridwar Kumbh 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Haridwar Kumbh 2021 ki जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)