भोगीशैल परिक्रमा-2023: सूर्य नगरी, जोधपुर में मारवाड का महाकुंभ कही जाने वाली भोगीशैल परिक्रमा यात्रा का अयोजन अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) में होता है। अयोध्या की 24 कोसी और ब्रज की गोवद्र्धन परिक्रमा की तरह सात दिवसीय आस्था के अनुष्ठान भोगिशैल परिक्रमा में हर बार मारवाड़ अंचल सहित प्रदेश के कोने-कोने से हजारो की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
हिन्दू सेवा मंडल के बैनर तले आयोजित आस्था के सफर के दौरान श्रद्धालु, जोधपुर शहर के चारों तरफ भोगिशैल पहाडिय़ों की करीब 115 किलोमीटर की पद यात्रा करते हुए प्राचीन धार्मिक स्थलो में सत्संग तथा प्राचीन जलकुण्डों में स्नान कर आध्यात्मिक पुण्य लाभ अर्जित करते है। उबड खाबड पथरीले कांटों भरे सफर को श्रद्धालु 7 दिन में 7 पड़ाव पार करके पूरा करते है।
कब होती हैं भोगीशैल परिक्रमा?
मारवाड़ का महाकुंभ कही जाने वाली भोगीशैल परिक्रमा हर 3 साल में एक बार जब अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) होता है, उसी में होती है। हिन्दू कलेण्डर में प्रत्येक तीन वर्ष के अन्तराल में एक अधिक मास आता है, जिसे पुरूषोतम मास कहते है। इस बार विक्रम संवत् 2080 में श्रावण (सावन) मास में अधिक मास आया है। ऐसे में हिन्दू सेवा मण्डल जोधपुर द्वारा आयोजित मारवाड का कुंभ भोगीशैल परिक्रमा यात्रा-2023, 28 जुलाई से शुरू होगी। 7 दिन तक चलने वाली इस यात्रा में 50000 से भी ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है।
जोधपुर में भोगीशैल परिक्रमा-2023, 28 जुलाई (प्रथम श्रावण सूदी दशमी) से 3 अगस्त (दूसरे श्रावण वदी प्रतिवदा) तक चलेगी। यह परिक्रमा 3 साल में एक बार की जाती है, पिछली बार कोरोना के कारण यात्रा नहीं निकली थी। इसलिए इस बार की परिक्रमा 6 साल बाद हो रही है।
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ऐसे में इस बार श्रद्धालुओं की तादाद ज्यादा रहने की उम्मीद है। बुधवार को विधि-विधान से पूजन कर घंटाघर प्रांगण स्थित मंडल कार्यालय पर ध्वज स्थापित किया गया। गुरुवार को जागरूकता रैली निकाली गयी तथा शुक्रवार दोपहर को गाजे-बाजों के साथ घंटाघर प्रांगण से परिक्रमा रवाना होगी।
आयोजन समिति के सचिव विष्णुचंद्र प्रजापति के अनुसार कि सैनाचार्य स्वामी अचलानंद गिरि महाराज व सूरसागर रामद्वारा के महंत डॉ. रामप्रसाद महाराज के सान्निध्य यात्रा होगी। 28 जुलाई से 3 अगस्त तक होने वाली परिक्रमा को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह का माहौल है।
भोगीशैल परिक्रमा-2023 पड़ाव
विनायकिया में बिछडिय़ा गजानन व रातानाडा गणेश मंदिर दर्शन के बाद प्रथम पड़ाव 28 जुलाई को रातानाडा क्षेत्र में रहेगा। परिक्रमा 29 जुलाई को अलसुबह रातानाडा गणेश मंदिर से रवाना होकर 13 किमी दूर अपने द्वितीय पड़ाव स्थल चौपासनी पहुंचेगी।
आस्था के सफर के दौरान सात प्रमुख पड़ाव स्थलों में 28 जुलाई को रातानाडा, 29 जुलाई को चौपासनी, 30 जुलाई को बड़ली, 31 जुलाई को बैद्यनाथ, 01 अगस्त को बेरीगंगा, 02 अगस्त को मंडोर उद्यान में होगा। परिक्रमा के अंतिम पड़ाव मंडोर उद्यान के बाद परिक्रमा यात्री 03 अगस्त को सुबह संतोषी माता मंदिर, कागा तीर्थ शीतला माता मंदिर, शेखावतजी का तालाब, उम्मेद भवन होते हुए सुबह 11 बजे रातानाडा गणेश मंदिर में दर्शन करेंगे। उसके बाद शोभायात्रा के रूप में कुंजबिहारी, गंगश्यामजी व घनश्यामजी मंदिर के दर्शन कर यात्रा घंटाघर मंडल कार्यालय पहुंचकर विसर्जित होगी।
मारवाड का महाकुंभ-2023 सुविधाएं
हिन्दू सेवा मण्डल के प्रधानमंत्री कैलाश जाजू व कोषाध्यक्ष राकेश सुराणा के अनुसार परिक्रमा पड़ाव स्थलों पर जोधपुर की 50 से अधिक स्वयंसेवी संस्था व धार्मिक सामाजिक संगठनों के साथ जिला प्रशासन के सभी विभागों ने भी पूरे सहयोग की घोषणा की है।
परिक्रमा के दौरान यात्रियों को अपना सामान खुद लेकर नहीं चलना होगा। उनका सामान एक पड़ाव से दूसरे स्थल तक पहुंचाने के लिए भी आयोजन समिति की ओर से श्वेत वस्त्र धारियों की एक टीम पड़ाव स्थल पर तैनात रहेगी। इसके लिए 25 हजार टोकन का सेट तैयार किया गया है। एक टोकन यात्री के पास तथा दूसरा सामान पर लगाया जाएगा। पैदल चलने में असमर्थ यात्रियों के लिए मिनी बसों की भी व्यवस्था की गई है।
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