Kajari Teej 2020: क्या है कजरी तीज व्रत पूजा विधि, जानिए सातुड़ी (बड़ी) तीज व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, महत्व और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि, कजली तीज, Satudi Teej (सातुड़ी तीज), बड़ी तीज, Nimadi Teej
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Kajari Teej 2019: सातुड़ी (बड़ी) तीज व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व


Kajari Teej 2019: Kajari Teej, also known by the name कजली तीजSatudi Teej (सातुड़ी तीज), बड़ी तीजNimadi Teej, is celebrated on the third day of the dark fortnight (कृष्ण पक्ष) during the lunar month of Bhadrapada (भाद्रपद/भादो)Kajari Teej 2019 will be celebrated with full tradition and culture on Sunday, August 18. Kajari Teej usually comes three days after Raksha Bandhan and five days before Krishna Janmashtami.

तीज का पर्व महेश-पार्वती के प्रेम के प्रतिक स्वरुप में आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। Kajari Teej is a special festival of women. Like Hariyali Teej and Hartalika Teej, this Teej also holds immense importance for married women.


कजरी तीज का व्रत मुख्यतया विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। जबकि कुंवारी कन्‍याओं को अच्छे वर का आर्शीवाद मिलता है। कहते हैं, इस व्रत को रखने से दामपत्य जीवन में माधुर्यता भी आती है। आइए जानते हैं Kajari Teej 2019 Date, व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहुर्त, व्रत का महत्व, व्रत कथा समेत सभी जानकारी।

Kajari Teej 2019 Vrat Date and Shubh Muhurat

भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 17 अगस्त को रात्रि 10:48 पर प्रारम्भ हो जाएगी लेकिन सनातन धर्म में उदया तिथि का ही विचार करते हैं जो कि 18 अगस्त को पड़ेगी अतः Kajari Teej 2019, 18 अगस्त को मनाई जाएगी।

तृतीया तिथि आरम्भ: अगस्त 17, 2019 को 22:48:07 से
तृतीया तिथि समाप्त: अगस्त 19, 2019 को 01:15:15 को

Kajari Teej Rituals

The festival is celebrated with joy and zeal by women. While some regions add their own touch to the festival, the basic rituals which are followed remain the same. These rituals for Kajari Teej are listed below:

  • The women celebrate the day by adorning their houses with beautiful swings and ride these swings, and dancing to the tunes of folk-songs. It is also essential to sit on a झूला and swing 16 times for married women.
  • While swinging is a part of the festival, special preparations and special dressing go hand in hand making this day unique and special.

Rajasthani sweet dish, Satudi teej celebration Kajari Teej 2018 : Satudi (Badi) Teej महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

  • For the day of Kajari Teej, several dishes (सत्तू) are prepared using Barley, Wheat, Gram and Rice powder. The Sattu are decorated in different ways to give it a festive look.
  • Special delicacies like Malpua and Ghewar are also prepared for this day.
  • कजरी तीज व्रत का पारण, चंद्रमा दर्शन और पूजा के बाद होता है।
  • रात में चंद्र के उदय होने के बाद परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठकर, अपना-अपना पिण्डा (सत्तू) पासता है (जैसे जन्मदिन के दिन केक काटा जाता है, ऐसी ही कुछ रीती है जिसे पिण्डा पासना कहा जाता है)।
  • Some women who are fasting, open their fasts with only Sattu, Milk and fruits after offering puja in a specially made Mud Paal and Chandra Devta.

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कजरी तीज की पूजा विधि

तीज का त्यौंहार तीज माता को प्रसन्न करने के लिये मनाया जाता है। तीज के त्यौंहार पर देवी पार्वती के अवतार तीज माता (नीमड़ी /निम्बड़ी माता) की उपासना, सुख, समृद्धि, अच्छी वर्षा और फसल आदि के लिये की जाती है। इस दिन उपवास कर भगवान महेश-पार्वती की पूजा की जाती है।

यह कजरी तीज की पूजा शाम के समय में की जाती है। व्रत से एक दिन पहले पूजा में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें एकत्रित कर लें, जैसे कि –  कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, अगरबत्ती, दीपक, तीज गीत की किताब, कुछ सिक्के, चावल, कलश, फल, नीम की एक डाली, दूध, ओढ़नी, सत्तू, मिठाई, घी, दीप जलाने के लिए माचिस इत्यादि।

  • पंचांग मे शुभ मुहूर्त देखकर, सबसे पहले घर में पूजा के लिए सही दिशा का चुनाव करके दीवार के सहारे मिट्टी और गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा घेरा (पाल) बना लें। Use pure ghee (शुद्ध घी) and jaggery (गुड) to strengthen and decorate the outer borders of this Nimadi Poojan - , Satudi teej celebration Kajari Teej 2018 : Satudi (Badi) Teej महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथाstructure. तालाब ऐसे बनाएं कि उससे पानी बाहर ना निकले।
  • एक थाली में नीबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्‍तू, रोली, मौली-अक्षत आदि पूजा का सामान रख लें।
  • पाल के किनारे नीम की एक डाल (Neem Twig) को रोप देते हैं, यह तीज माता का प्रतीक है।
  • इसके बाद उस तालाब में कच्‍चा दूध और जल भर दें।
  • फिर किनारे पर एक दीपक जलाकर रख दें।
  • इस नीम की डाल पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माताजी की विधि-विधान से पूजा करें।
  • नीमड़ माता की पूजा में सबसे पहले उन्हें रोली और जल के छिटें देकर उनका आह्वाहन करें और उन्हें चावल चढ़ाएं।
  • अगर विवाहित स्त्री यह व्रत कर रही हैं तो पाल के पास कुमकुम, मेहंदी और काजल के सात गोल बिंदिया बनाना होता है। अगर अविवाहित लड़कियां इसे कर रही हैं तो उन्हें यह 16 बनाना होगा।
  • इसके बाद नीमड़ माता की पीछे की दीवार पर मेहंदी, रोली की 13-13 बिंदिया अनामिका उंगली से लगांए। इसके बाद काजल की बिंदी को तर्जनी उंगली से लगाएं।
  • इसके बाद माता को रोली, वस्त्र और श्रृंगार का सभी समाना चढ़ाना चाहिए।
  • फिर दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, सत्तू, फल, और साड़ी के पल्लु का प्रतिबिंब को पाल में देखें। याद रखें कि प्रतिबिंब बस चढ़ाई गई चीजों का ही देखना है।
  • कजरी तीज की व्रत कथा सुनें।
  • चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद व्रत खोलें।

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कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद करवा चौथ की तरह ही चंद्रमा को अर्घ देने की परंपरा है। इसके लिए चंद्र उदय के समय सबसे पहले चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं और फिर भोग अर्पित करें।

इसके बाद चांदी की अंगूठी लें और कुछ आखे (गेहूं के दाने) हाथ में लें और चंद्रमा को जल से अर्ध्य दें और अंत में एक ही जगह खड़े होकर चार बार घूमें और चंद्रमा को प्रणाम करें।

कजरी तीज का महत्व

हरियाली तीज, हरतालिका तीज व्रत की तरह ही कजरी तीज का व्रत भी सुहाग की रक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि बनाए रखने तथा अनेक प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। तीज के त्यौंहार के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिये तीज माता की पूजा करती हैं, जबकि पुरुष अच्छी “वर्षा, फसल और व्यापार” के लिये तीज माता की उपासना करते हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, जिससे उनको अखंड सुहाग का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजरी तीज के दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और हाथों में मेंहदी रचाती हैं।

वैसे तो यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है, मगर गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं। यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये, तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ देकर व्रत खोला जा सकता है। उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो, तो फलाहार किया जा सकता है।

कजरी तीज व्रत कथा | Kajari Teej Vrat Katha 

कजरी तीज की कथा पढ़ने सुनने मात्र से महिलाओं को नीमड़ माता से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजरी तीज के लिए बहुत सी कहानियां कही जाती हैं, इन्हीं में से एक हम आपको बताते हैं।

एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था । ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, ‘हे स्वामी आज मेरा तीज व्रत है, कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए’। ब्राह्मण बोला ‘मैं सातु कहाँ से लाऊं, भाग्यवान।’ तो ब्राह्मणी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए, चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।

रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहाँ पर चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया। इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जग गए और चोर चोर चिल्लाने लगे। साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया।

ब्राह्मण बोला में चोर नहीं हूँ। मैं तो एक गरीब ब्राह्मण हूँ। मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है, इसलिए मैं तो सिर्फ ये सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था। साहूकार ने उसकी तलाशी ली, उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला।

चाँद निकल आया था ब्राह्मणी इंतजार कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रूपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली माता की पूजा की।

जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे । कजली माता अपनी कृपा सब पर करें। बोलो तीज माता की जय !!!

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Kajari Teej 2019 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Kajari Teej 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)

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