Papmochani Ekadashi 2019: हिन्दू शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी होली और चैत्र नवरात्रि के बीच मे आती है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी होती है। इस बार Papmochani Ekadashi 2019, 31 मार्च, रविवार को है। सभी तरह के पापों को नष्ट कर, यह एकादशी व्रत मोक्ष का द्वार खोलती है।
सर्व पापमोचनी एकादशी का शास्त्रों का बहुत बड़ा महत्व बताया गया हैं, पुराण ग्रंथों के अनुसार अगर कोई इंसान जाने-अनजाने में किए गये अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता है तो उसके लिये पापमोचनी एकादशी ही सबसे बेहतर दिन होता है। इसके अलावा भी इस दिन उपवास रखने के साथ श्रद्धा पूर्वक व्रत करने से जिस चीज की कामना की जाती हैं, वह मनोकामना पूरी हो जाती हैं। इसे करने से धन प्राप्ति भी होती है, शरीर आरोग्य रहता है। जानिए इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, लाभ और कथा के बारें में।
Papmochani Ekadashi 2019 Date व शुभ मुहूर्त
एकादशी आरंभ: 31 मार्च 2019, रविवार प्रातः 03:23 बजे।
एकादशी समाप्त: 1 अप्रैल 2019, सोमवार प्रातः 06:04 बजे।
पापमोचनी एकादशी 2019 व्रत का पारण: दोपहर 01:40 बजे से शाम 04:07 बजे (1 अप्रैल 2019, सोमवार)।
हरि वासर समाप्त: दोपहर 12:44 बजे (1 अप्रैल 2019, सोमवार)।
पापमोचनी एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन संकल्प लेकर, भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत रखा जाता है। व्रत वाले दिन सूर्य उदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर प्रात:काल स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को व केले के पेड़ को जल चढ़ाएं। इसके बाद भक्तिभाव से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा पर घी का दीपक जलाएं और भगवान् विष्णु को पीले फूल अर्पित करें।
जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय‘ मंत्र का जप निरंतर करते रहें।
पूजा के पश्चात भगवान विष्णु के सामने बैठकर श्रीमद्भागवत का पाठ करें। चाहें तो श्री हरि के मंत्र “ॐ हरये नमः” का जाप भी कर सकते हैं। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें।
द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें। व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिए। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो सूर्योदय के बाद ही पारण करने का विधान है।
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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
व्रत कथा के अनुसार राजा मान्धाता ने एक समय में लोमश ऋषि से पूछा कि प्रभु यह बताएं कि मनुष्य जो जाने-अनजाने पाप कर्म करता है, उससे कैसे मुक्त हो सकता है? राजा मान्धाता के इस प्रश्न के जवाब में लोमश ऋषि ने राजा को एक कहानी सुनाई कि चैत्ररथ नामक सुन्दर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि कठोर तप में लीन थे।
इस वन में एक दिन मंजुघोषा नामक अप्सरा की नज़र ऋषि पर पड़ी तो वह उन पर मोहित हो गयी और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने हेतु यत्न करने लगी। कामदेव भी उस समय उधर से गुजर रहे थे कि उनकी नज़र अप्सरा पर गयी और वह उसकी मनोभावना को समझते हुए उसकी सहायता करने लगे। तप में विलीन मेधावी ऋषि ने जब अप्सरा को देखा तो वह उस पर मन्त्रमुग्ध हो गए और अपनी तपस्या छोड़ कर मंजुघोषा के साथ वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगे।
काम के वश में होकर ऋषि शिव की तपस्या का व्रत भूल गये और अप्सरा के साथ रमण करने लगे। कई वर्षों के बाद जब उनकी चेतना जागी तो उन्हें एहसास हुआ कि वह शिव भक्ति के मार्ग से हट गए और उन्हें स्वयं पर ग्लानि होने लगी। उन्हें उस अप्सरा पर बहुत क्रोध हुआ और तपस्या भंग करने का दोषी जानकर मेधावी ऋषि ने मंजुधोषा अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। श्राप से दुखी होकर वह ऋषि के पैरों पर गिर पड़ी और श्राप से मुक्ति के लिए ऋषि से प्रार्थना करने लगी।
अप्सरा की याचना से द्रवित हो मेधावी ऋषि ने उसे विधि सहित चैत्र कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। अप्सरा ने विधि-विधान से चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत किया, जिससे उसे पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई और उसे सुन्दर रूप प्राप्त हुआ व स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गयी। मेधावी इस पूरे प्रकरण से बहुत लज्जित हो गए थे, भोग में निमग्न रहने के कारण ऋषि का तेज भी लोप हो गया था। वह अपने पिता च्यवन ऋषि के आश्रम पहुंचे। च्यवन ने भी मेधावी से सब कुछ सुन कर उन्हें पापमोचनी एकादशी का ही व्रत करने को कहा, जिससे उनका पाप नष्ट हो गया। मेधावी ने भी व्रत कर तप बल पुन: प्राप्त किया।
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Papmochani Ekadashi 2019 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Papmochani Ekadashi 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)