Phalguna 2020, सोमवार 10 फरवरी मघा नक्षत्र से प्रारम्भ हो चुका है। हिंदू पंचांग का बारहवां और आखिरी महीना फाल्गुन का होता है जो की व्रत, उत्सव के आनंद और उल्लास से भरा हुआ रहता है। यह महीना भगवान शिव, भगवान विष्णु और चंद्रदेव के उपासना का हैं। फाल्गुन माह की समाप्ति 09 मार्च 2020 सोमवार को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होगी।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होने के कारण इसका नाम फाल्गुन पड़ा है। धार्मिक रूप से फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि और होली जैसे महत्वपूर्ण और बड़े व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी को, होलिका दहन 09 मार्च को और 10 मार्च को होली खेली जाएगी। इसकी के साथ ही फाल्गुन महीना खत्म हो जाएगा और हिन्दू कैलेण्डर का पहला महीना चैत्र शुरू हो जाएगा।
इस महीने प्रकृति में हर ओर उत्साह का संचार होता है। इस महीने कई बड़े त्योहार व तिथियां होती है जिनमें विशेष देवी-देवता की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस माह के प्रमुख व्रत एवं त्योहार..
Phalguna 2020 के प्रमुख व्रत और त्यौहार
दिनांक | दिन | व्रत/ त्यौहार |
12 फरवरी 2020 | बुधवार | द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी |
13 फरवरी 2020 | गुरुवार | कुंभ संक्रांति |
19 फरवरी 2020 | बुधवार | विजया एकादशी |
20 फरवरी 2020 | गुरुवार | प्रदोष व्रत |
21 फरवरी 2020 | शुक्रवार | महाशिवरात्रि |
23 फरवरी 2020 | रविवार | फाल्गुन अमावस्या |
25 फरवरी 2020 | मंगलवार | फुलैरा दूज |
27 फरवरी 2020 | गुरुवार | संकष्टी चतुर्थी |
06 मार्च 2020 | शुक्रवार | अमालाकी एकादशी |
07 मार्च 2020 | शनिवार | प्रदोष व्रत |
09 मार्च 2020 | सोमवार | फाल्गुन पूर्णिमा |
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फागुन माह के प्रमुख व्रत और त्यौहार का महत्व
- 12 फरवरी, बुधवार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी – इस बार फाल्गुन या फागुन संकष्टी चतुर्थी 12 फरवरी को है। इस संकष्टी को द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत किया जाता है और विशेष पूजन करने की परंपरा है।
- 13 फरवरी, गुरुवार, कुंभ संक्रांति – कुंभ संक्रांति का आशय सूर्य ग्रह के कुंभ राशि में जाने से है अर्थात 13 फरवरी को सूर्य का कुंभ राशि में गोचर होगा।
- 14 फरवरी, यशोदा जयंती- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 14 फरवरी 2020 को है।
- 19 फरवरी, बुधवार, विजया एकादशी – एकादशी तिथि हिंदू धर्म में खास महत्व रखती है। इसे समस्त पापों का हरण करने वाली तिथि भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस माह की विजया एकादशी का महत्व भगवान श्रीराम से जुड़ा है। इस दिन भगवान वासुदेव की पूजा भी की जाती है।
- 20 फरवरी, गुरुवार, प्रदोष व्रत – धार्मिक रूप से ये यह पर्व बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। दरअसल, प्रदोष व्रत का संबंध देवों के देव महादेव शंकर जी से जुड़ा है।
- 21 फरवरी, शुक्रवार, महाशिवरात्रि – शास्त्रों में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना करने से समस्त दोषों और ग्रहों के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है और शिव कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- 23 फरवरी, रविवार, फाल्गुन अमावस्या – फाल्गुन अमावस्या का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व बताया गया है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने की और दान करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन अमास्या पर देवताओं का निवास संगमत तट पर होता है। अतः इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर देवों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस दिन पितरों के श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
- 25 फरवरी, मंगलवार, फुलैरा दूज – फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाई जाती है। इसे फाल्गुन मास में सबसे पावन दिन माना जाता है। फुलैरा दूज के अबूझ सावे पर विवाहों की धूम रहेगी।
- 27 फरवरी, गुरुवार, संकष्टी चतुर्थी – इस बार फाल्गुन या फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 27 फरवरी को है। शास्त्रों में फालगुन महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी का महात्म्य सबसे ज्यादा माना गया है। ये तिथि गणेशजी को समर्पित है। इस तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करें।
- 3 मार्च, मंगलवार से होलाष्टक शुरू हो जाएगा, ये होलिका दहन तक रहेगा। इन दिनों में सभी मांगलिक काम वर्जित रहेंगे। पूजा-पाठ की जा सकती है। 09 मार्च को होलिका दहन के साथ होलाष्टक समाप्त हो जाएगा। 10 मार्च को धुलण्डी होगी और इसी दिन शाम से ही गणगौर पूजा भी प्रारम्भ हो जाएगी।
- 06 मार्च, शुक्रवार, अमालाकी एकादशी – फाल्गुन की शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी (आमलक्य एकादशी, रंगभरी एकादशी) कहा जाता है। आमलकी का मतलब आंवला होता है, जिसे हिन्दू धर्म और आयुर्वेद दोनों में श्रेष्ठ बताया गया है। पद्म पुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है।
- 07 मार्च, शनिवार, प्रदोष व्रत – धार्मिक रूप से ये यह पर्व बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। दरअसल, प्रदोष व्रत का संबंध देवों के देव महादेव शंकर जी से जुड़ा है।
- 09 मार्च, सोमवार, फाल्गुन पूर्णिमा, होलिका दहन – चन्द्रमा की उत्पत्ति का दिन होने के कारण उसकी उपासना होती है। पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के अलावा सूर्य भगवान की पूजा और दान करने की परंपरा भी प्रचलित है। 9 मार्च को होलिका दहन होगा। होलिका उत्सव को फाल्गुनिका के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर फाल्गुन खत्म हो जाएगा। अगले दिन यानी 10 मार्च को होली खेली जाएगी। इस दिन से चैत्र मास शुरू हो जाएगा।
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फाल्गुन के महीने में क्या करें और क्या न करें?
1. आयुर्वेद और अध्यात्म में इस महीने में सामान्य जल से ही स्नान करना चाहिए। गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए। क्योंकि, मौसम में परिवर्तन के कारण शरीर में गर्म पानी से नहाने के कारण कुछ कमजोरी या संक्रमण की आशंका होती है।
2. नियमित रुप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए।
3. हल्के, रंगीन और उत्तम वस्त्र पहनने चाहिए। संतुलित श्रंगार करना चाहिए। सुंगध का प्रयोग करें।
4. सोते समय ज्यादा गरम कंबल आदि नहीं ओढ़ने चाहिए।
5. तनाव से मुक्त रहने के लिए इस महीने में ध्यान आदि करना चाहिए।
6. इस माह से खानपान और जीवनचर्या में बदलाव करना चाहिए। इस माह में भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करना चाहिए और मौसमी फलों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
7. तामसिक आहार से परहेज करें और नशे का त्याग करें।
फाल्गुन महीने का महत्व | Significance of Phalguna Month
फाल्गुन का महीना आते ही वातावरण रंगीन हो जाता है। खेतों में पीली सरसों लहलहाती है, पेड़ों पर पत्तों की हरी कोपलें और पलाश के केसरिया फूल दिखाई देने लगते हैं। ये माह हमें सिखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। जैसे पेड़ों के पत्ते झड़ने के बाद नए पत्ते आते हैं। वैसे जीवन में दुख के बाद सुख भी आते हैं। इस माह में होली और शिवरात्रि का महापर्व भी मनाया जाता है, इसके चलते भी फाल्गुन मास का विशेष महत्व है।
चंद्र देव का जन्म माह – फाल्गुन मास चंद्र देव की आराधना के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है, क्योंकि ऐसी मान्यता भी है कि चंद्रमा की उत्पति महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया की संतान के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को ही हुई थी। इस माह को चंद्रमा का जन्म माह माना जाता है.
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार चंद्र का दिन सोमवार है और उन्हें जल तत्व का देव भी कहा जाता है। चंद्रमा का जन्म फाल्गुन मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है। इसी लिए इसी माह में समारोह पूर्वक चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है।
Phalguna 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Phalguna 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)