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Putrada Ekadashi 2019: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा, पूजा-विधि और महत्व

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Putrada Ekadashi 2019: पौष मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस चर और अचर संसार में इस एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है। ऐसी मान्यता है कि जिन्हें संतान होने में बाधाएं आती हैं उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इस उपवास को रखने और पूजन के प्रभाव से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है। यही कारण है कि इस व्रत को पुत्रदा एकादशी व्रत के नाम से संबोधित किया जाता है। इस बार Putrada Ekadashi 2019, 17 जनवरी, गुरुवार को है।

नि:संतान दंपती के लिए यह व्रत काफी लाभदायक बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। व्रत के फलस्‍वरूप भगवान संतान के आरोग्‍य का वरदान देते हैं और उनके लिए सफलता का मार्ग भी प्रशस्‍त करते हैं। हिंदु मान्यताआें के अनुसार हर एकादशी की तरह इस दिन भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

Putrada Ekadashi 2019 Dates

एकादशी तिथि प्रारम्भ : 17/जनवरी/2019 को 00:03 बजे
एकादशी तिथि समाप्त : 17/जनवरी/2019 को 22:34 बजे

18 जनवरी को पारण (व्रत तोड़ने का) समय : 07:18 से 09:23
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 20:22

पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

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पुत्रदा एकादशी पर ऐसे करें पूजा

पुत्रदा एकादशी पर विष्णु जी के बाल कृष्ण स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम स्नान आदि के बाद बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करायें, फिर उनको चंदन से तिलक करके वस्त्र धारण करायें। इसके बाद पुष्प अर्पित करें और धूप-दीप आदि से आरती और अर्चना करें। इसके बाद भगवान को फल, नारियल, बेर, आंवला  लौंग, पान और सुपारी अर्पित करें। इस दिन निराहार व्रत करें और संध्या समय में कथा सुनने के बाद फलाहार करें। इस दिन दीप दान करने का महत्व भी अत्यंत महत्व होता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। सालों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। राजा हमेशा सोच में रहता कि उसकी मृत्यु के पश्चात कौन उसे अग्नि देगा और उसके पितरों का तृपण करेगा।

इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया।

राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया।

विश्वास किया जाता है कि अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए और उसके जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही इस व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौष पुत्रदा एकादशी महत्व

इस व्रत के नाम के जैसा ही इससे प्राप्त होने वाला फल है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती है अथवा जो व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही शुभफलदायक होता है। इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को व्यक्ति विशेष को अवश्य रखना चाहिए, जिससे मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सके। इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा भी होती है। इस व्रत की खास बात यह है कि यह स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से फल देता है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान होता है, तथा पुत्र प्राप्ति होकर अपार धन-लक्ष्मी को प्राप्त करता है।

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Putrada Ekadashi 2019 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

(Image Courtesy: Hindustan)

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