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Sharad Purnima 2024: क्‍यों रखते हैं शरद पूर्णिमा की चांदनी में खीर? जानिए धन दायक कोजागर पूर्णिमा पूजा विधि, महत्‍व

Sharad Purnima 2024, आश्विन माह पूर्णिमा, कोजागर (रास) पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, शरद पूर्णिमा महत्व, शरद पूर्णिमा चांदनी में क्‍यों रखते हैं खीर

Sharad Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्‍व बताया गया है जो की भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागर पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात में चंद्र पूजा और दूध-चावल से बनी खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है। मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन में शुभ फल मिलता है।

इस साल पूर्णिमा तिथि बुधवार की शाम में शुरू हो रही और गुरुवार को समाप्त हो रही है। ऐसे में पूर्णिमा व्रत को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी और विष्‍णु जी की पूजा का विधान है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करने से अच्छी सेहत के साथ ही सुख संपत्ति का लाभ मिलता है, जीवन में खुशहाली आती है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। साथ ही भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन के निधिवन में इसी दिन महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा के दिन वाल्‍मीकि जयंती मनाई जाती है। मान्‍यता है कि यही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत भर जाता है और ये किरणें हमारे लिए बहुत लाभदायक होती हैं।

इस आलेख मे जानिए Sharad Purnima 2024 Date, शरद पूर्णिमा महत्व, पूजा विधि और अमृत वाली खीर का महत्‍व

Sharad Purnima 2024 Date

इस वर्ष को कोजागरी पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा तिथि) 16 अक्टूबर, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर, 2024 की रात में 7 बजकर 45 मिनट से होगा, जो 17 अक्टूबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को दिन में ही 5 बजकर 22 मिनट बजे पर समाप्त हो जाएगा।

ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि में पूर्णिमा की रात 16 अक्टूबर 2024 को ही प्राप्त होगी। कोजागरी पूर्णिमा के लिए रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा होना अति आवश्यक होता है, इसी कारण से कोजागरी पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर को रखा जाएगा।

Sarad Purnima 2024, 16 अक्‍टूबर बुधवार को है।

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शरद पूर्णिमा पूजा विधि

क्‍यों रखते हैं शरद पूर्णिमा की चांदनी में खीर?

यह मान्यता युगों से एक परंपरा के रूप में चली आ रही है। शरद पूर्णिमा की रात दूध और चावल से बनी खीर को छन्नी से ढककर खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए। दूध, चावल, शर्करा इनका संबंध चंद्र देव और देवी लक्ष्मी से है। खीर को पूर्ण चंद्रमा की अमृतमई चांदनी में रख देने से अमृत वर्षा से सिक्त खीर अमृतमयी बन जाता है।

धार्मिक आस्था है कि शरद पूर्णिमा की रात में आकाश से अमृत की वर्षा होती है। चांदनी के साथ झरते हुए हुए इस अमृत रस को समेटने के लिए ही शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में रखा जाता है।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों में रखी खीर का सेवन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है, जीवन शक्ति बढ़ती है। इस खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है। ये खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत लाभ पहुंचाती है। इस दूध या खीर के सेवन से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

इस खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि इस खीर में अमृत का अंश होता है, जो आरोग्य सुख प्रदान करता है। इसलिए स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा के दिन खीर जरूर बनानी चाहिए और रात में इस खीर को खुले आसमान के नीचे जरूर रखना चाहिए।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व माना गया है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है, लिहाजा उसकी किरणें बेहद प्रखर और चमकीली होती हैं। इनको धरती के लोगों के लिए कई मायनों में प्रभावकारी और लाभदायक माना गया है।

शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसे कौमुदी व्रत भी कहा जाता है और कहते हैं कि शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है और व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो विवाहित स्त्रियां व्रत रखती है उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती है तो उनकी संतान दीर्घायु होती है। अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखती हैं तो उन्हें मनवांछितसुयोग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

इस दिन माता लक्ष्मी रात में धरती पर विचरण करती हैं। इस तिथि में रातभर जागकर श्रीहरि और लक्ष्मी की पूजा करने वाले की हर मनोकमना पूरी होती है। इसलिए इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा से आसमान मे अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण भगवान कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। इस वर्ष महायोग बनने से शरद पूर्णिमा पर खरीदारी और नए काम शुरू करना शुभ रहेगा। इस शुभ संयोग में धन लाभ होने की संभावना और बढ़ जाएगी। इस दिन किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले रहेंगे।

चंद्रमा की किरणों में इस दिन तेज बहुत होता है जिससे आपकी आध्यात्मिक, शारीरिक शक्तियों का विकास होता है साथ ही चंद्रमा के प्रकाश में इस दिन असाध्य रोगों को दूर करने की औषधिय गुण होती है।

Sharad Purnima 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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हम यह दावा नहीं करते कि इस आलेख में दी गई जानकारियाँ पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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