किसी पात्र में कच्चा दूध, स्वच्छ जल, गंगाजल, काले तिल, जौ और पुष्प लें। बाएं हाथ में जल का पात्र लें और दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की तरफ करते हुए उस पर जल डालते हुए तर्पण करते रहें। कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें। ऊं पितृदेवताभ्यो नम: का उच्चारण करते रहें। पितरों के निमित वस्त्रादि दान कर सकते हैं।
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भोजन की समस्त सामग्री में से कुछ अंश यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय के लिए निकालें। फिर भोजन घर की बहन-बेटी को करवाए।फिर ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा देवे। घर के सदस्य उसके बाद भोजन ग्रहण करे।
पितरों की शांति के लिए एक माला प्रतिदिन ऊं पितृ देवताभ्यो नम: करें। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप, भगवद्गीता या भागवत का पाठ भी कर सकते हैं ।
यदि ये सब न कर सकें तो –
यदि सामग्री उपलब्ध नहीं होने या तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर, एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए। अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए और 11 बार पढ़ें –
ऊं पितृदेवताभ्यो नम:। ऊं मातृ देवताभ्यो नम: ।
यह भी ध्यान रखें –
- पुरुष का श्राद्ध पुरुष को, महिला का श्राद्ध महिला को ही देना चाहिए ।
- यदि ब्राह्मण उपलब्ध नहीं हैं तो श्राद्ध का भोजन मंदिर में, ज़रूरतमंद या गरीब लोगों को भी दे सकते हैं ।
- यदि कोई विषम परिस्थिति न हो तो श्राद्ध को नहीं छोड़ना चाहिए। हमारे पितृ अपनी मृत्यु तिथि को श्राद्ध की अपेक्षा करते हैं। इसलिए यथा संभव उस तिथि को श्राद्ध करना चाहिए।
- यदि तिथि याद न हो, या किन्हीं कारणों से तिथि अनुसार श्राद्ध नहीं कर सकें तो पितृ अमावस्य़ा को अवश्य श्राद्ध करना चाहिए।
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Shraddh Paksh 2019 Dates (श्राद्ध की तिथियां)
इस वर्ष आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि दो दिन है – 15 और 16 सितंबर। ऐसे में उलझन यह है कि द्वितीया तिथि का श्राद्ध किस दिन किया जाएगा? शास्त्रों के नियम के अनुसार जिस दिन दोपहर के समय अधिक समय तक जो तिथि व्याप्त हो उस दिन ही उसी तिथि का श्राद्ध किया जाना चाहिए। इस नियम के अनुसार 15 तारीख को द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जाएगा।
इस बार द्वादशी तिथि का क्षय होने की वजह से श्राद्ध पक्ष में एकादशी और द्वादशी का श्राद्ध एक ही दिन होगा।
13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध – शुक्रवार
14 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध – शनिवार
15 सितंबर – द्वितीय श्राद्ध – रविवार
16 सितंबर – सोमवार
17 सितंबर – तृतीय श्राद्ध – मंगलवार
18 सितंबर – चतुर्थी श्राद्ध– बुधवार
19 सितंबर – पंचमी श्राद्ध – वीरवार (गुरुवार)
20 सितंबर – षष्ठी श्राद्ध – शुक्रवार
21 सितंबर – सप्तमी श्राद्ध – शनिवार
22 सितंबर – अष्टमी श्राद्ध – रविवार
23 सितंबर – नवमी श्राद्ध – सोमवार
24 सितंबर – दशमी श्राद्ध – मंगलवार
25 सितंबर – एकादशी श्राद्ध/द्वादशी श्राद्ध/संन्यासियों का श्राद्ध – बुधवार
26 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध – वीरवार (गुरुवार)
27 सितंबर – चतुर्दशी श्राद्ध – शुक्रवार
28 सितंबर – सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध, पितृ विसर्जन – शनिवार
29 सितंबर – नाना/नानी (Matamah) का श्राद्ध – रविवार
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