क्यों किया जाता है उत्पन्ना एकादशी का व्रत? Utpanna Ekadashi 2020 पूजा विधि, मुहूर्त, उत्पन्ना एकादशी कथा, महत्व, अगहन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी
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Utpanna Ekadashi 2019: उत्पन्ना एकादशी व्रत व पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत कथा एवं महत्व

Utpanna Ekadashi 2019: अभी भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मार्गशीर्ष मास यानी अगहन मास चल रहा है। इस महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार Utpanna Ekadashi 2019 22 नवंबर शुक्रवार को है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी (Ekadashi) व्रत कथा व महत्व के बारे में तो सभी जानते हैं परंतु, इस बात को बहुत कम जानते हैं कि एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को हुआ था। जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। इसी दिन से एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी।

माना जाता है कि इसी एकादशी से साल भर के एकादशी व्रत की शुरुआत की जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है इसलिये यह जानकारी होना जरूरी है कि एकादशी का जन्म कैसे और क्यों हुआ?

Utpanna Ekadashi 2019 Date एवं मुहूर्त

  • Utpanna Ekadashi 2019 Fast Date: 22 नवंबर 2019
  • उत्‍पन्ना एकादशी की तिथि: 22 नवंबर 2019
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 22 नवंबर 2019 को सुबह 09 बजकर 01 मिनट से
  • एकादशी तिथि समाप्‍त: 23 नवंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट तक
  • पारण का समय: 23 नवंबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से दोपहर 03 बजकर 15 मिनट तक

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 उत्पन्ना एकादशी व्रत व पूजा विधि

जो व्रती एकादशी के उपवास को नहीं रखते हैं और भविष्य मे इस उपवास को लगातार रखने का मन बना रहे हैं तो उन्हें मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी अर्थात उत्पन्ना एकादशी से इसका आरंभ करना चाहिये क्योंकि सर्वप्रथम हेमंत ऋतु में इसी दिन से एकादशी व्रत का प्रारंभ हुआ माना जाता है।

  • एकादशी के व्रत की तैयारी दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाती है। एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सायंकाल भोजन करने के बाद अच्छी प्रकार से दातुन कुल्ला करें ताकि अन्न का अंश मुँह में रह न जाए। इसके बाद रात के समय बिल्कुल भी भोजन न करें। रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • अधिक बोलकर अपनी ऊर्जा को भी व्यर्थ न करें।
  • एकादशी के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान कर स्वच्छ हो लें।
  • इसके पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य आदि चीजों से भगवान विष्णु साथ बैठी हुई देवी लक्ष्मी की पूजा करें। घी का दीपक जलाएं। गुलाब के लाल फूल चढ़ाएं। दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
  • व्रत कथा सुनें और रात को दीपदान करें।
  • दिन भर व्रती को बुरे कर्म करने वाले पापी, दुष्ट व्यक्तियों की संगत से बचना चाहिये।
  • शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे, पंचमुखी दीपक जलाएं। विष्णुजी और देवी लक्ष्मी से धन संबंधी परेशानियों को दूर करने की लिए प्रार्थना करें।
  • सारी रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए। जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनकी क्षमा भगवान श्री हरि से माँगनी चाहिए।
  • द्वादशी के दिन सुबह पुन: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें व योग्य ब्राह्मणों या किसी गरीब को भोजन कराकर यथा संभव दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण (स्वयं भोजन ) करना चाहिये।

इस विधि से किया गया उपवास बहुत ही पुण्य फलदायी होता है। उत्पन्ना एकादशी शुक्रवार के दिन पड़ने से इस एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। आज के दिन विष्णुजी के साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी कामों में आ रही परेशानियां खत्म हो जाती हैं।

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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

पद्मपुराण में धर्मराज युधिष्ठिर के द्वारा भगवान श्री कृष्ण से पुण्यमयी एकादशी तिथि की उत्पत्ति के विषय पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सत्ययुग के समय एक महाबलशाली ब्रह्मवंशज राक्षस था, जिसका नाम मुर था। उसके पिता का नाम नाड़ी जंग था। उसने अपनी शक्ति से देवराज इन्द्र को पराजित करके जब स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया। हताश होकर इंद्र देव कैलाश गए और भोलेनाथ के सामने अपने दुख और तकलीफ का वर्णन किया, प्रार्थना की कि वे उन्हें इस परेशानी से बाहर निकालें। भगवान शिव ने उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने की सलाह दी।

उनकी सलाह पर सभी देवता क्षीरसागर पहुंचे, जहां विष्णु जी शेषनाग की शय्यापर योग-निद्रा में थे। कुछ समय बाद विष्णुजी के नेत्र खुले तब सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की। विष्णु जी ने उनसे क्षीरसागर आने का कारण पूछा, तब इंद्र देव ने उन्हें विस्तार से बताया कि किस तरह मुर नामक राक्षस ने सभी देवताओं को मृत्युलोक में जाने के लिए विवश कर दिया।

देवताओं के अनुरोध पर श्रीहरि ने इंद्र को आश्वासन दिया कि वो उन्हें इस विपत्ति से निकालेंगे। इस प्रकार विष्णु जी मुर दैत्य से युद्ध करने उसकी नगरी चंद्रावती जाते हैं। मुर और विष्णुजी के मध्य युद्ध प्रारंभ होता है। कई वर्षों तक युद्ध चलता रहता है। भगवान विष्णु को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में बारह योजन लम्बी हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए और निद्रालीन हो गए।

दानव मुर भी उनके पीछे घुसा और सोते हुए भगवान को मारने के लिए बढ़ा तो, श्रीहरिके शरीर से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से युक्त एक अति रूपवती कन्या उत्पन्न हुई और उसने मुर से युद्ध किया। घमासान युद्ध में मुर मूर्छित हो गया और बाद में उसका मस्तक धड़ से अलग कर दिया गया। जिस दिन वह प्रकट हुई वह दिन मार्गशीर्ष मास की एकादशी का दिन था।

जब विष्णु की नींद टूटी तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हुआ और किसने किया? कन्या ने सब विस्तार से बताया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने एकादशी नामक उस कन्या को वरदान मांगने के लिए कहा। कन्या ने मांगा कि ‘मुझे ऐसा वर दें कि अगर कोई मनुष्य  मेरे  नाम से उपवास करे तो उसके सारे पापों का नाश हो और उसे विष्णुलोक मिले।” तब भगवान ने उसे अपनी प्रिय तिथि घोषित कर दिया और वरदान दिया कि इस व्रत के पालन से मनुष्य जाति के पापों का नाश होगा और उन्हें विष्णु लोक मिलेगा। तब से एकादशी व्रत प्रारंभ हुआ तब से लेकर वर्तमान तक एकादशी व्रत का माहात्म्य बना हुआ है।

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उत्पन्ना एकादशी महत्व | Significance of Utpanna Ekadashi

धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को विधि के अनुसार करने से अश्वमेघ यज्ञ, तीर्थ स्नानदान आदि करने से भी ज्यादा पुण्य मिलता है। उपवास से मन निर्मल और शरीर स्वस्थ होता है। ऐसा मान्यता है कि जो लोग एकादशी का व्रत करने के इच्‍छुक हैं उन्‍हें उत्‍पन्ना एकादशी से ही व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।

माना जाता है कि इस एकादशी (Ekadashi) के व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश हो जाता है।  रात्रि को भोजन करने वाले को उपवास का आधा फल मिलता है और दिन में एक बार भोजन करने वाले को भी आधा ही फल प्राप्त होता है। जबकि निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, धन, संतान प्राप्ति तथा मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है। माना जाता है कि कैसी भी मानसिक समस्या हो इस व्रत से दूर हो जाती है। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है। Hormones की समस्या भी ठीक होती है तथा रोग दूर होते हैं।

Utpanna Ekadashi 2019 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Utpanna Ekadashi 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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