Goga Navami 2025: जनमानस में लोकप्रिय वीर गोगादेवजी (जाहरवीर गोगाजी) महाराज का जन्मोत्सव हर वर्ष गोगा नवमी के रूप में श्रद्धा–भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से शुरू होती है और 9 दिनों तक चलती है। गोगा नवमी पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है। कहीं कहीं यह पर्व भाद्र मास शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी मनाया जाता है।
यह त्योहार राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में vishesh roop se मनाया जाता है। इस नवमी तिथि को गुग्गा नवमी भी कहा जाता है। इस दिन, भक्त गोगा देव की पूजा करते हैं, उनसे आशीर्वाद मांगते हैं और सांप के काटने और अन्य बीमारियों से सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
इस बार गोगा नवमी पर्व 17 अगस्त 2025, दिन रविवार को मनाया जाएगा। गाँवों/शहरों में यह पर्व पारंपरिक श्रद्धा, भक्ति, उत्साह और उमंग के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गोगा नवमी के दिन नागों और गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगाजी को साँपों का देवता माना गया है। गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं रहता है, इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर पर रखने से सर्पभय से मुक्ति मिलती है।
गोगा जी राजस्थान के लोक देवता हैं, जिन्हें ‘जाहरवीर गोगा जी‘ के नाम से भी जाना जाता है। गोगा देव को गुरु गोरखनाथ का प्रमुख शिष्य माना जाता है। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम मानते हैं। राजस्थान के गोगामेड़ी शहर मे भाद्र मास शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़ और हरियाणा सहित हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी इस पर्व को बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।
गोगा नवमी 2025 तिथि और समय
- भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 16 अगस्त, शनिवार की रात 09:34 बजे शुरू होगी और 17 अगस्त, रविवार की शाम 07:24 बजे तक रहेगी।
- चूंकि 17 अगस्त को पूरे दिन नवमी तिथि रहेगी, इसलिए 17 अगस्त को गोगा नवमी मनाई जाएगी।
गोगा जी की जन्म कथा
गोगा नवमी के विषय में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार गोगा मारु देश के राजा थे और उनकी मां बाछला, गुरु गोरखनाथ जी की परम भक्त थीं। एक दिन बाबा गोरखनाथ अपने शिष्यों समेत बछाला के राज्य में आते हैं। रानी को जब इस बात का पता चलता हे तो वह बहुत प्रसन्न होती है। इधर बाबा गोरखनाथ अपने शिष्य सिद्ध धनेरिया को नगर में जाकर फेरी लगाने का आदेश देते हैं। गुरु का आदेश पाकर शिष्य नगर में भिक्षाटन करने के लिए निकल पड़ता है। भिक्षा मांगते हुए वह राजमहल में जा पहुंचता है तो रानी योगी बहुत सारा धन प्रदान करती हैं, लेकिन शिष्य वह लेने से मना कर देता है और थोडा़ सा अनाज मांगता है।
रानी अपने अहंकारवश उससे कहती है की राजमहल के गोदामों में तो आनाज का भंडार लगा हुआ है, तुम इस अनाज को किसमें ले जाना चाहोगे तो योगी शिष्य अपना भिक्षापात्र आगे बढ़ा देता है। आश्चर्यजनक रुप से सारा आनाज उसके भिक्षा पात्र में समा जाता है और राज्य का गोदाम खाली हो जाता है किंतु योगी का पात्र भरता ही नहीं। तब रानी उन योगीजन की शक्ति के समक्ष नतमस्तक हो जाती है और उनसे क्षमा याचना की गुहार लगाती है।
रानी योगी के समक्ष अपनी कोई संतान न होने का दुख बताती है। शिष्य योगी, रानी को अपने गुरु से मिलने को कहता है जिससे उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त हो सकता है। यह बात सुनकर रानी अगली सुबह जब वह गुरु के आश्रम ‘गोगामेडी’ जाने को तैयार होती है, तभी उसकी बहन काछला वहां पहुंचकर उसका सारा भेद ले लेती है और गुरु गोरखनाथ के पास पहले पहुंचकर उससे फल ग्रहण कर लेती है।
परंतु जब रानी उनके पास फल के लिए जाती है तो गुरू गोरखनाथ सारा भेद जानने पर पुन: रानी को एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में प्रदान करते हैं और आशिर्वाद देते हें कि उसका पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा। जन–जन के आराध्य एवं राजस्थान के लोक देवता कहे जाने वाले गोगाजी का जन्म गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। गुगल फल के नाम से उस बालक का नाम गोगा रखा जाता है।
गोगा नवमी की पूजा कैसे करें?
गोगा नवमी को गोगाजी मंदिर में श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा अर्चना की जाती है और प्रसाद के रूप रोट और चावल–आटा चढ़ाते हैं। भक्त लोग कथा का श्रवण करते हैं तथा नाग देता की पूजा अर्चना करते हैं।
जो लोग घर मे पूजा करते हैं वो सुबह जल्दी उठ नहा धोकर खाना बना लें। गोगाजी की घोड़े पर चढ़ी हुई मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है और रोली, चावल से टीका कर खीर, चूरमा, गुलगुले आदि का भोग लगाएं।
जहाँ गोगा जी की मूर्ति उपलब्ध ना हो तब दीवार को साफ–स्वच्छ करके गेरू से पोतकर दूध में कोयला मिलाएं चौकोर चौक बनाकर उसके ऊपर पांच सर्प बनाएं। इसके बाद इन सर्पों पर जल, कच्चा दूध, रोली, चावल, बाजरा, आटा, घी और चीनी मिलाकर चढ़ाएं। धूप कर नारियल चढ़ाए।
बाबा जाहरवीर (गोगाजी) के भक्त अपने घरों में ईष्टदेव की वेदी भी बनाकर अखंड ज्योति जागरण कराते हैं तथा गोगा देवजी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। कहा जाता है की इससे श्री जाहरवीर गोगादेवजी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है। नवमी तिथि का दिन जाहरवीर की जोत कथा के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई को जो राखी बांधती हैं वह गोगा नवमी के दिन खोलकर गोगा देव को अर्पित की जाती है। साथ ही उनसे रक्षा की प्रार्थना की जाती है।
जगह-जगह इनकी पूजा के तरीके में अंतर तो जरूर है पर विश्व भर में जहां भी राजस्थानी रहते हैं, वहां सब जगह इनकी पूजा होती है |
इस दिन गोगाजी का प्रिय भजन गाया जाता है-
भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,
गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,
मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।
मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,
वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,
दुखियों का सहारा गोगा पीर।
गोगा नवमी का महत्व
मान्यता है कि गोगादेव सर्पदंश से जीव का रक्षण करते हैं। यह भी मान्यता है कि गोगा देव बच्चों के जीवन की रक्षा करते हैं, इसलिए विवाहित स्त्रियां अपनी संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए गोगादेव के साथ नाग देव की पूजा करती है। इसके साथ ही इस पूजा से विवाहित स्त्रियां सौभाग्यवती होती है और नि:संतान स्त्री को संतान प्राप्त होती है।
गोगा नवमी के संबंध में यह मान्यता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सर्पभय नहीं रहता है। ऐसा माना जाता है कि वीर गोगा देव अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
गोगा देवजी जी महाराज की जय..!!
Goga Navami 2025 पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Goga Navami 2025 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)




