July 2024 Festival Calendar: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और पर्वों का विशेष महत्व है। तीज त्योहार इसके महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हैं। जुलाई माह की शुरुआत आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की दशमी के साथ हुई है। आषाढ़ मास 21 जुलाई तक रहेगा, फिर सावन माह लग जाएगा।
जुलाई महीने में कई विशेष व्रत, त्योहार आएँगे। महीने की शुरुआत में अमावस्या (हलहारिणी अमावस्या) और फिर गुप्त नवरात्र, श्री जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव, भड़ल्या नवमी, हरिशयनी एकादशी का स्वयं सिद्ध सावा व अबूझ मुहूर्त से लेकर गुरु पूर्णिमा जैसे व्रत-त्योहार आने वाले हैं। इन सभी व्रत त्योहारों का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है।
इस बार जुलाई का महीना इसलिए भी विशेष है क्योंकि एक ही महीने में 3 एकादशी– योगिनी एकादशी, हरिशयनी एकादशी और कामिका एकादशी आ रही हैं ऐसे में यह महीना भक्तों के लिए बड़ा ही उत्तम माना जा रहा है। 22 जुलाई से सावन माह शुरू हाेगा। साथ ही यह महीना भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी खास है क्योंकि इस महीने सावन के व्रत भी शुरू होंगे। जानिये इस लेख में जुलाई 2024 माह के व्रत-त्योहार की तिथि और उनका धार्मिक दृष्टि से महत्व के बारे में।
July 2024 Festival Calendar || जुलाई 2024 माह के व्रत-त्योहार
02 जुलाई (मंगलवार) : योगिनी एकादशी
03 जुलाई (बुधवार) : कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, रोहिणी व्रत
04 जुलाई (गुरुवार) : मासिक शिवरात्रि
05 जुलाई (शुक्रवार) : हलहारिणी अमावस्या, इस तिथि पर पितर देवताओं की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्व है।
06 जुलाई (शनिवार) : गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई से प्रारंभ होंगे। इसमें साधना का विशेष महत्व रहेगा। भक्त तंत्र, मंत्र साधना करेंगे।
07 जुलाई (रविवार) : चंद्र दर्शन, जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव। भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलेगी।
09 जुलाई (मंगलवार) : वरद चतुर्थी व्रत, गणेश जी के लिए व्रत रख वरद चतुर्थी मनाई जाएगी।
11 जुलाई (गुरुवार) : कौमार षष्ठी
14 जुलाई (रविवार) : दुर्गाष्टमी
15 जुलाई (सोमवार) : गुप्त नवरात्र समाप्त
15 जुलाई (सोमवार) : भड़ल्या नवमी – यह तिथि विवाह व सभी मांगलिक व शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा।
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16 जुलाई (मंगलवार): कर्क संक्रांति
17 जुलाई (बुधवार) : देवशयनी एकादशी, अषाढ़ी एकादशी – इस संबंध में मान्यता है कि इस तिथि से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं। इस एकादशी को हरिशयनी, विष्णुशयनी, पदमा एकदाशी के नाम से भी जाना जाता है। देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। यह एकादशी महान पुण्यदायी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली एवं संपूर्ण पापों का हरण करने वाली होती है। शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
18 जुलाई (गुरुवार) : प्रदोष व्रत (शुक्ल)
21 जुलाई (रविवार) : गुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा का विधान है। भारत भर में यह पर्व श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्मदिन भी है। उन्हें आदि गुरु भी कहा जाता है। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
इसी तिथि पर आषाढ़ मास खत्म हो जाएगा और 22 जुलाई से सावन माह लगेगा।
22 जुलाई (सोमवार) : सावन सोमवार व्रत, देशभर में सावन मास के पावन अवसर पर सभी शिव मंदिरों में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। सावन मास में भगवान शिव की पूजा व व्रत को काफी फलदायी माना गया है। इस बार सावन का महीना पूरे 29 दिनों का होगा, यानी कि ये 22 जुलाई से प्रारंभ होकर 19 जुलाई तक चलेगा। खास बात ये है कि श्रावन मास के पहले दिन ही सावन का पहला सोमवार है और इसकी समाप्ति भी सोमवार के दिन हो रही है और इसी वजह से सावन महीने का महत्व काफी बढ़ गया है।
23 जुलाई (मंगलवार) : मंगला गौरी व्रत, मासिक शिवरात्रि व्रत, शिवचतुर्दशी व्रत, दुर्गा यात्रा, हनुमान दर्शन
24 जुलाई (बुधवार) : संकष्टी चतुर्थी
25 जुलाई (गुरुवार) : नागपंचमी, हिंदू धर्म में सांप को दैवीय जीव के रूप में पूजा जाता है। नागपंचमी का त्योहार श्रावण कृष्ण पंचमी और श्रावण शुक्ल पंचमी इन दोनों तिथियों में मनाया जाता है। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान में लोग कृष्ण पक्ष में यह त्योहार मनाते हैं। जबकि देश के कई भागों में दूसरी नागपंचमी मनाई जाएगी।
28 जुलाई (रविवार) : शीतला सप्तमी व्रत – उड़ीसा, कालाष्टमी
29 जुलाई (सोमवार) : सावन सोमवार व्रत
31 जुलाई (बुधवार) : कामिका एकादशी व्रत, रोहिणी व्रत – हिंदू परंपरा में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान् विष्णु का पूजन और अर्चन किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य श्रावण मास में भगवान नारायण का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
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