Kanya Puja 2020, जानिए अष्टमी और नवमी की सही तिथि, कन्या पूजन मुहूर्त, विधि, पूजा का महत्व, नियम, मंत्र, शारदीय नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि, Kanjak Pujan, Kanya Pujan 2020, Mahanavmi, Mahashtami 2020
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Durga Ashtami 2019: जानिए महागौरी व कन्या पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि व महत्व

पूरे देश में शारदीय नवरात्रि का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के आठवें दिन, आश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी को दुर्गाष्टमी मनाई जाती है, इस दिन ​विधि विधान से महागौरी की पूजा की जाती है। This year Durga Ashtami 2019 is falling on Sunday, October 06, 2019महा-अष्टमी को महा दु्र्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान अष्टमी की पूजा का विशेष महत्व होता है।

29 सितंबर से शुरू हुए नवरात्रि (Navratri) के आखिरी दो दिनों में यानी अष्टमी व नवमी (7 अक्टूबर) के दिन कन्या पूजन का विधान है।नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 स्वरूपों की पूजा होती है। कन्या पूजन में छोटी बालिकाओं को देवी के इन्ही नौ रूपों को मानकर पूजा की जाती है, भोजन कराया जाता है और अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा के साथ उपहार भेंट किए जाते हैं। कन्‍या पूजन को कंजक पूजन (Kanjak Pujan) भी कहते है। शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा 9 दिन में संपूर्ण करके दशवें दिन दशहराविजयदशमी‘ मनाते हैं।


नवरात्रि के व्रत का परायण कब करे?

मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए, भक्‍त इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं। बहुत से लोग 9 दिन, तो कुछ प्रथम और अष्टमी का व्रत रखते हैं। जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं वे भी अष्‍टमी का व्रत रखते हैं। पूरी नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग नवमी तिथि को आखिरी व्रत करते हैं।

Durga Ashtami 2019 की तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्योतिष में उदया तिथि का महत्व ज़्यादा है अर्थात जैसे कोई भी पर्व किसी भी तिथि को रात्रि में लगा और अगले दिन तक रहा तो अगली तिथि के पर्व में सूर्योदय आया इसीलिए उस तिथि को ही उस पर्व का महत्व है। इस बार Durga Ashtami 2019, अक्‍टूबर 6 को है।

अष्‍टमी की तिथि: 06 अक्‍टूबर 2019
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 05 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 51 मिनट से
अष्‍टमी तिथ समाप्‍त: 06 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक

कन्‍या पूजन का शुभ मुहूर्त

कन्‍या पूजन के 06 अक्‍टूबर 2019 को दो शुभ मुहूर्त हैं-

  • सुबह 09 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
  • शाम 05 बजकर 58 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक

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अष्‍टमी की देवी – माता महागौरी

रविवार, 06 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी है, इस दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। महागौरी का वर्ण पूर्णतः गौर है। मां महागौरी के गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी’ इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं।Maa Mahagauri Durga Ashtami 2019: जानिए महागौरी व कन्या पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि व महत्व। दुर्गाष्टमी के दिन ​महागौरी की पूजा की जाती है। Durga Ashtami 2019 is on Sunday, Oct 06,2019. अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन (Kanjak Pujan) की परपंरा है। नवरात्रि के व्रत परायण कब करे, दुर्गा अष्टमी कब है, कैसे मनाते है? Durga ashtami pujan vidhi, date, muhurat, significance, date, time, prasad

कहते हैं कि जब हिमालय मे कठोर तपस्या करते समय देवी सती का शरीर धूल-मिट्टी से मलिन हो गया था, तब शिवजी ने उन्हें गंगा जल से साफ किया था जिससे उन्हें गौरवर्ण प्राप्त हुआ और वे महागौरी नाम से प्रसिद्ध हुईं।

महागौरी की मुद्रा अत्यंत शांत है, इनकी चार भुजाएंं हैं और इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है, ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं।

देवी गौरी के अंश से कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ को दंडित किया था। महागौरी ही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी जानी जाती हैं।

महागौरी की पूजा विधि

दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले गणपति और मां महागौरी की पूजा करें। महागौरी की पूजा पूजा करते वक्त गुलाबी रंग पहनें। फिर कन्याओं के लिए भोजन बनाएं। भोजन में हलवा और काले चने जरूर बनाएं, क्योंकि मां को यह भोग अति प्रिय है।

देवी महागौरी को चमेली के पुष्प और केसर अत्यंत प्रिय हैं इसलिए उनके पूजन में ये दोनो ही अर्पित करें और फल मिष्ठान का भोग लगाएं। अष्टमी के दिन इनको नारियल का भोग लगाना चाहिए। कपूर से आरती करें और इस मंत्र का जाप करें-

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥

प्रत्येक दिशाओं और सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड को संचालित करने वाली माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती का पाठ करे। भक्त अपनी श्रद्धानुसार माता को भजन, कीर्तन और आरती से प्रसन्न कर सकते हैं।

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कन्या पूजन विधि

  •  कन्‍या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्‍याओं और एक बालक को आमंत्रित करें। आपको बता दें कि बालक को बटुक भैरव ‘भैरो बाबा‘ के रूप में पूजा जाता है। मान्‍यता है कि अगर किसी शक्‍ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
  • कन्‍या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए। कन्‍या रूपी माताओं और बालक को स्‍वच्‍छ परिवेश में ही बुलाना चाहिए। कन्याओं को कभी भी जबरदस्ती या क्रोध में या फिर जल्दबाज़ी में ना बुलाएं, बल्कि एक दिन पहले उनके घर जाकर कन्याओं को आमंत्रित करें।
  • कन्‍याओं के घर में प्रवेश करने के दौरान माता रानी के जयकारे लगाएं जैसे : – प्रेम से बोलो जय माता दी, सारे बोलो जय माता दी, मिलके बोलो जय माता दी, जोर से बोलो जय माता दी, हंसके बोलो जय माता दी, शेरावाली जय माता दी !!
  • अब सभी को बैठने के लिए साफ आसन बिछाएं। फिर सभी कन्‍याओं के पैर धोएं उनके माथे पर रोली (कुमकुम) और अक्षत का टीका लगाएं।
  • इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें, और मेहंदी लगाए।
  • अब सभी कन्‍याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें।
  • आरती के बाद सभी कन्‍याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं। आमतौर पर कन्‍या पूजन के दिन कन्‍याओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है। कन्याएं जब तक और जितना खाएं उन्हें टोके नहीं।
  • भोग के बाद कन्याओं को यथाशक्ति भेंट (उपहार) दें। आखिर में कन्‍याओं के पैर छूकर घर के बाहर तक विदा करें।

उम्र के अनुसार कन्याओं को कौन सी देवी का स्वरूप माना गया है?

नवरात्रि मे 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के तृतीय स्कंध के अनुसार दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति, चार साल की कन्या को कल्याणी, पांच साल की कन्या रोहिणी, छ: साल की कन्या कालिका कहलाती है। सात साल की कन्या को चण्डिका, आठ साल की कन्या को शांभवी, नौ साल की कन्या को दुर्गा का स्वरूप मानते हैं और दस साल की कन्या को सुभद्रा नाम दिया गया है।

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दुर्गाष्टमी का महत्‍व 

शास्त्रों के अनुसार दुर्गाष्टमी के दिन ​विधि विधान से महागौरी की पूजा से शुक्र ग्रह से उत्पन्न ग्रहदोष दूर होते हैं। इसके साथ ही व्यापार, दांपत्य, धन और सुख समद्धि में वृद्घि होती है, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अभिनय, गायन और नृत्य जैसे कलाओ में शामिल लोगों को सफलता मिलती है। मां महागौरी की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से मुक्ति भी मिलती है जिनमें उत्सर्जन, स्वाद इंद्रियों और त्वचा से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं।

महागौरी के पूजन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माता महागौरी की कृपा से भक्तों के असंभव लगने वाले कार्य भी संभव हो जाते हैं।

!! जय माता दी !!

Durga Ashtami 2019 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

साथ ही याद रखें कि कन्याओं को सिर्फ अष्टमी या नवमीं वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के हरेक दिन उनका सम्मान करें।

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