Panchak 2025: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। माना जाता हैं की शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं। लेकिन हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर महीने में पांच दिन ऐसे भी आते हैं, जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन्हें पंचक कहा जाता है।
प्रत्येक माह का पंचक काल अलग अलग होता है। इस दौरान मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते है और कुछ ऐसे काम है, जिस पर मनाही नहीं होती है। हालांकि, कुछ पंचक में शुभ कार्य किए जा सकते हैं जैसे राज पंचक को अच्छा माना जाता है।
पंचक क्या और क्यों लगता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल को पंचक काल कहते है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को कहा “पंचक” जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने में 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है। चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है, एक राशि में चंद्रमा ढाई दिन और दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन रहता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र से गुजरता है और इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहलाते हैं।
विज्ञान के अनुसार देखे तो 360 अंश वाले भचक्र में पृथ्वी 300 अंश से 360 अंश के मध्य भ्रमण कर रही होती है, जिस अवधि में धरती पर चंद्रमा का प्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है।
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पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव
यदि आप पंचक काल के दौरान कोई शुभ कार्य कर रहे हैं, तो आपको कई परेशानियों का सामना करना होगा।
अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके। मुहूर्त-चिंतामणि
अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।
- धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
- शतभिषा नक्षत्र में कलह (लड़ाई) होने की संभावना रहती है।
- जबकि पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में रोग होने/बढ़ने की संभावना रहती है।
- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में धन को लेकर ध्यान देना चाहिए, इस दौरान लेन-देन से बचें।
- वहीं, रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।
पंचक में नहीं करते हैं ये कार्य
पंचक के दौरान कुछ खास काम करने की मनाही होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पंचक काल के दौरान पांच कार्य वर्जित बताए गए हैं –
- लकड़ियों को एकत्र करना या खरीदना।
- पंचक के दौरान पलंग या चारपाई बनवाना/खरीदना शुभ नहीं माना जाता।
- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। ओर यात्रा करनी जरूरी है, तो हनुमान मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें और कुछ फल बजरंगबली को अर्पित करें।
- पंचक के दौरान घर की छत नहीं डलवानी चाहिए।
- शव जलाना, ऐसी भी मान्यता या धारणा है कि दिनों में मरने वाले व्यक्ति परिवार के अन्य पांच लोगों को भी साथ ले जाते हैं। अगर किसी की मृत्यु पंचक में मृत्यु हो जाए, तो शव के साथ कुश या आटे की पांच पुतलियों का भी अंतिम संस्कर करना ज़रूरी होता है।
- अन्य कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।
मान्यतानुसार किसी नक्षत्र में किसी एक के जन्म से घर आदि में पांच बच्चों का जन्म तथा किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होती है। पंचक में मरने वाले व्यक्ति की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय भी सुझाए गए हैं।
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(इस आलेख में दी गई Panchak 2025 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)