Holika Dahan 2021: होली (Holi) का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली सिर्फ रंगों का ही नहीं एकता, सद्भावना और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। होली में रंगों के साथ-साथ होलिका दहन (Holika Dahan) की पूजा का भी खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होलिका दहन 28 मार्च (रविवार) को किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 29 मार्च को रंगों वाली होली मनाई जाएगी। शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है।
होलिका दहन को छोटी होली और होलिका दीपक भी कहते हैं। होलिका दहन के दिन बड़ी संख्याओं में पुरुष और महिलाएं होली की पूजा शुभ मुहूर्त में करते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन के समय की जाने वाली पूजा से घर में धन धान्य के भंडार तो भरते ही हैं वहीं जीवन से कष्ट भी दूर हो जाते हैं और घर में सुख और शांति आती है।
ज्योतिषों के अनुसार होलिका दहन के समय कुछ ऐसी चीजें डालने का विशेष महत्व होता है जिससे घर के संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख- समृद्धि आती है। अगर आप भी इस बार होलिका दहन की पूजा कर रहे हैं, तो यहां दी गई आसान विधि को पढ़े।
Holika Dahan 2021 का मुहूर्त
इस साल होलिका दहन पर अभिजीत मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत योग बन रहे हैं। ये योग लगभग सभी राशियों के लिए काफी फलदायी बताए जा रहे हैं। शुभ योग में अगर होलिका दहन किया जाता है तो जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
पूर्णिमा तिथि – 28 मार्च
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 28 मार्च सुबह 3 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 मार्च रात 12 बजकर 17 मिनट पर
होलिका दहन का मुहूर्त– 28 मार्च शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक, यानि 02 घंटे 20 मिनट। इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ है। इस वर्ष होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी। ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को अशुभ अवधि माना गया है।
भद्रा पूंछ: 28 मार्च, प्रात: 10 बजकर 13 मिनट से 11 बजकर 16 मिनट तक
भद्रा मुख: 28 मार्च प्रात: 11 बजकर 16 मिनट से दोहपर 13 बजे तक
रंगवाली होली खेलने की तिथि- 29 मार्च
होलिका दहन पूजा–विधि
1. थाली में गुड़, रोली, कच्चा सूत, अक्षत, फूल, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, फल, गुलाल, मिष्ठान, नारियल, गेहूं की बालियां और एक लोटा पानी रखें।
2. होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
3. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए होलिका और प्रहलाद पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
4. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) हाथ में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
5. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं, भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए अनाज चढ़ाएं।
6. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
7. कच्चा सूत के धागे को हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करें। होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार की जाती है। परिक्रमा करते हुए यह मंत्र का जाप करे-
उग्रं वीरं महा विष्णुम ज्वलन्तम सर्वतो मुखम
नृसिंहं भीषणम भद्रम मृत्युर्मृत्युम नाममि:अहम् ।
Ugram Veeram Maha Vishnum Jwalantam Sarvato Mukham
Nrisimham Bheeshanam Bhadram Mritoymrityum Namamyaham
8. गोबर के बिड़कले को होली में डालें।
9. आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं।
मान्यता है कि होली के त्यौहार पर होलिका पूजा करने से सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त होती है।
होलिका की अग्नि में क्या अर्पित करें (Holika Dahan Upay) –
अलग-अलग चीज़ों को अग्नि में डालकर अपनी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए- होलिका की अग्नि में काले तिल अर्पित करें।
- बीमारी से मुक्ति के लिए– हरी इलाइची और कपूर अर्पित करें।
- धन लाभ के लिए- चन्दन की लकड़ी अर्पित करें।
- रोजगार के लिए- पीली सरसों अर्पित करें।
- विवाह और वैवाहिक समस्याओं के लिए- हवन सामग्री अर्पित करें।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए- काली सरसों अर्पित करें।
- अगर घर में पैसों की समस्या है तो होलिका दहन के अग्नि में चना, मटर, गेंहू डालें।
- अगर किसी कन्या के विवाह में परेशानी आ रही है या फिर किसी व्यक्ति के शादीशुदा जिंदगी में परेशानियां चल रही है तो चुटकी भर सिंदूर होलिका दहन की अग्नि में डाल दें।
- ज्योतिषों के अनुसार, होलिका दहन की रात सरसों के तेल का दीपक प्रजवलित करने से घर में उन्नति होती है, इससे भगवान नरसिंह प्रसन्न होते हैं।
होलिका दहन पर कुछ बातों का विशेष ध्यान
- होलिका दहन के समय सिर पर कपड़ा जरूर रखें।
- होलिका दहन के वक्त सोना नहीं चाहिए, हो सके तो आप पूजा में शामिल हों और अगर आप शामिल नहीं हो पा रहे हैं तो इस दौरान आप घर में सोइए नहीं बल्कि ईश्वर का ध्यान कीजिए।
- एकाग्रता की कमी होने पर परिक्रमा करें। होली का भुना गन्ना, होला खाएं।
- होलिका दहन के दिन सूर्य को अघ्र्य जरूर दें। ऐसा करने से आपका सूर्य मजबूत हेगा।
- रात में चंद्रमा को चीनी युक्त जल दें। गरीबों को गुझिया बनाने का सामान दें। इससे जन्म पत्रिका के दोष कम होते हैं।
- होलिका दहन की रात किसी भी एकांत जगह या श्मशान पर बिल्कुल ना जाएं। इस रात नकारात्मक शक्तियां बहुत हावी रहती हैं।
- होलिका दहन की रात्रि में श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- इस रात्रि संकट से परेशान लोगों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। शनि की साढ़ेसाती से या शनि की महादशा से प्रभावित जन शनि के बीज मंत्र का जप करें तथा हनुमान जी की विधिवत पूजा करें।
- होलिका दहन की रात्रि को अपने वजन के बराबर अन्न दान करें। गरीब जनों में वस्त्र तथा भोजन बाटें। निर्धन जन के बच्चों में खिलौने तथा अबीर गुलाल बांटने से कभी धन की कमी नहीं आती तथा अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
- होलिका पूजा और दहन में परिक्रमा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि परिक्रमा करते हुए अगर अपनी इच्छा कह दी जाए तो वो सच हो जाती है।
- ऐसा भी माना जाता है कि होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
- होली की बची हुई अग्नि और भस्म को अपने घर ले जाने से सभी नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है।
- कहीं-कहीं होलिका की आग घर ले जाई जाती है। उस आग से घर में रोटी बनाने को शुभ माना जाता है।
- होलिका दहन के अगले दिन पूरे घर में भस्म छिड़क दें और परिवार के सदस्य को भस्म का टीका लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख- समृद्धि रहेगी, साथ ही घर में लक्ष्मी आएगी।
होली पर्व का महत्व
भारत में सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाने में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। दशहरा की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
होली को लेकर हिंदू धर्म में कई कथाएं प्रचलित हैं और सभी में बुराई को खत्म करने के बाद त्योहार मनाने के बारे में बताया गया है। रंगवाली होली खेलने से पहले होलिका दहन की पवित्र अग्नि मे सभी तरह की बुराई, अंहकार और नकारात्मकता को जलाया जाता है। परिवारजनों और दोस्तों को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं।
होलिका दहन की कथा में गहन प्रतीक है। होलिका अज्ञान व अहंकार को निरूपित करती है, जबकि प्रह्लाद ईश्वर के प्रति निष्ठा व निश्छलता को। होलिका की अग्नि मनुष्य के ‘जीवन यज्ञ‘ का प्रतिनिधित्व करती है। होलिका की अग्नि में हम मन के भीतर छाए अहंकार, अज्ञान व दुष्कर्म का त्याग कर, उसे होम कर, सत्कर्मों का रक्षा कवच पहन कर प्रह्लाद की ही भांति निरापद बाहर आ कर रंगोत्सव का आनंद ले सकते हैं।
इस जीवन यज्ञ में, कर्म हमारे द्वारा दी जा रही आहुति है, किंतु जब तक हम अपने जीवन में सारे रंग नहीं भरेंगे, तब तक इस जीवन में आनंद को अनुभव नहीं किया जा सकता है। जैसे अग्नि समापन का प्रतीक है, वैसे ही अगले दिन खेला गया रंगोत्सव सृजन का परिचायक है।
Holika Dahan 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Holika Dahan 2021 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)




