Radha Ashtami 2025: राधा-कृष्ण का आशीर्वाद दिलाता है राधा अष्टमी पर्व; जानिए राधा रानी जन्म कथा, राधाष्टमी पूजन विधि, व्रत विधान और महत्व
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Radha Ashtami 2025: राधा-कृष्ण का आशीर्वाद दिलाता है राधा अष्टमी पर्व; जानिए राधा रानी जन्म कथा, राधाष्टमी पूजन विधि, व्रत विधान और महत्व

Radha Ashtami 2025: राधा अष्‍टमी का पर्व, कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। राधा अष्टमी (श्री राधाजी के प्राकट्य दिवस) के दिन राधा जी के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। राधा जी और श्री कृष्ण के प्रेम को, एक आदर्श प्रेम के रूप में जाना जाता है।

राधा (Goddess Radha), श्री कृष्ण की आराध्य शक्ति, जिनके मात्र नाम जप से तीनों लोक के स्वामी खिंचे चले आते हैं, का जन्मोत्सव राधाष्टमी का पर्व हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता हैं । माना जाता है इस दिन राधा जी की पूजा करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है। महिलाएं सुखद वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए राधा अष्टमी का व्रत व पूजन करती हैं।

मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। श्री राधाजी के जन्‍मोत्‍सव को मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं राधा रानी जन्म कथा, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, राधा अष्टमी का महत्व, राधा अष्टमी व्रत व उद्यापन विधि के बारे में।

Radha Ashtami 2025 Date and Shubh Muhurat

राधा, श्री कृष्ण की आराध्य शक्ति, जिनके मात्र नाम जप से तीनों लोक के स्वामी खिंचे चले आते हैं, का जन्मोत्सव राधाष्टमी का पर्व हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता हैं । माना जाता है इस दिन राधा जी की पूजा करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है। महिलाएं सुखद वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए राधा अष्टमी का व्रत व पूजन करती हैं।

मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। श्री राधाजी के जन्‍मोत्‍सव को मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं राधा रानी जन्म कथा, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, राधा अष्टमी का महत्व, राधा अष्टमी व्रत व उद्यापन विधि के बारे में।

Radha Ashtami 2025 Date and Shubh Muhurat

भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि आरंभ – शनिवार 30 अगस्त रात 10 बजकर 46 मिनट से

भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त – 1 अगस्त, रविवार की देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर

राधा अष्टमी 2022 Date -04 सितंबर 2022. उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 04 सितंबर को मनाया जाएगा।

राधा अष्टमी 2025 Date -31 अगस्त , रविवार (उदया तिथि के अनुसार)

राधा अष्टमी शुभ योग

राधा अष्टमी पर दो बेहद कल्याणकारी शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य सिंह राशि में रहेंगे और चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 47 मिनट तक चलेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी के दिन सिंह राशि में केतु, सूर्य और बुध ग्रह की युति से त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग बन रहा है , जो बुद्धि, सौंदर्य और आत्मिक उन्नति के लिए शुभ है।

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राधाष्टमी पूजन/व्रत विधि

Radha Ashtami 2019: राधा रानी जन्म कथा, राधाष्टमी पूजन व उद्यापन विधि और महत्व। Radha Jayanti is celebrated to observe the birth anniversary of Goddess Radha. राधाष्टमी का पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल, राधा अष्टमी का पर्व, 6 सितंबर 2019 शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।

  • राधाष्टमी के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई, आदि करके शुद्ध मन से व्रत का संकल्प करना चाहिए।
  • पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • राधाष्टमी की पूजा के लिए मध्याह्न का समय उपयुक्त माना गया है।
  • इस दिन पूजन स्थल में रंगोलीध्वजा, पुष्पमाला, वस्त्र, तोरण आदि से सजाना चाहिए।
  • सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, शहद, बूरा, घी)  से स्नान कराएं
  • भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का जलाभिषेक करें, और उसके बाद उनको नए वस्त्र और श्रृंगार से सजाना चाहिए।
  • इसके बाद मूर्ति को स्थापित कर, फिर राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा अर्चना कर धूप, दीप, फल, फूल आदि चढाना चाहिए।
  • अब राधा जी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • राधा अष्टमी की कथा सुननी चाहिए।
  • श्री राधा चालीसा का पाठ करें और मंत्र जाप करें।
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की आरती करें।
  • माता को खीर का भोग लगाएं।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
  • संध्या आरती करने के बाद सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए।
  • पूजन के बाद पूरा दिन व्रत रखे और एक समय भोजन करें।
  • दिन भर राधा रानी के नामों का, राधा गायत्री मंत्र और अन्य मंत्रो का मानसिक जाप करते रहे।
  • दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।

राधा गायत्री मंत्र:

  वृषभानुजायै विद्महे  क्रष्णप्रियायै धीमहि! तन्नो  राधिका प्रचोदयात!

  रां  राधिकायै नम:’ इति  मूलमंत्र:!

राधा रानी जन्म कथा

पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु और कीर्ति देवी की संतान बताया गया। जब राजा बरसाना मे यज्ञ के लिए भूमि की सफाई कर रहे थे तब भूमि से कन्या के रुप में राधा मिली थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया। कहा जाता है कि राधा भगवान श्रीकृष्ण से साढ़े ग्यारह माह बड़ी थीं।

एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु कृष्ण अवतार में जन्म लिया था तब उनके अन्य सदस्य भी पृथ्वी पर जन्म लिया था। विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं। 

राधाष्टमी पर्व का महत्व

भगवान श्री कृष्ण के भक्त राधा अष्टमी पर, राधा जी की पूजा को विशेष महत्व देते हैं।

  • राधा जी और श्री कृष्ण के प्रेम से तो पूरी दूनिया परिचिति है। इसलिए वेदों, पुराणों और शास्त्रों में राधाजी को कृष्ण वल्लभा कहकर गुणगान किया गया है।
  • ‘ॐ ह्रीं श्री राधिकायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • राधा अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है। राधा की पूजा किये बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • राधा जी का जाप और स्मरण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • राधा अष्टमी का व्रत करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
  • राधाष्टमी की कथा सुनने मात्र से भक्त को सुख-समृद्धि, धन और मान- सम्मान की प्राप्ति हो जाती है।
  • ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
  • इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्‍य का वरदान प्राप्‍त होता है, घर में धन की कभी कमी नहीं होती।
  • राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है।
  • इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

राधा अष्टमी व्रत का उद्यापन कैसे करें?

इस व्रत का उद्यापन करते समय एक सूप लेते हैं और उसमें 16 श्रृंगार की चीजें रखी जाती हैं और उसे दूसरे सूप से ढंककर 16 दिए जलाए जाते हैं। व्रत के बाद चन्द्र भगवान को अर्घ्य देते हैं। लक्ष्मी जी को अपने घर में वास करने का आमंत्रण दिया जाता है। श्रृंगार का सामान किसी ज़रूरतमंद को दान कर दिया जाता है।

इस व्रत के दौरान आस पास के लोगों को आमंत्रित करके घर में कथा पाठ भी कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि 16 बार कथा पाठ करवाना ज्यादा शुभ होता है।

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|| जय श्री राधे राधे ||

Radha Ashtami 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं ।।

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(इस आलेख में दी गई Radha Ashtami 2025 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)

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