Nirjala Ekadashi 2020: ज्येष्ठ मास शुल्क पक्ष एकादशी- निर्जला एकादशी व्रत विधि विधान शुभ मुहूर्त, निर्जला एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा विधि, निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व
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Nirjala Ekadashi 2020: जानिए निर्जला एकादशी व्रत-पूजा विधि, धार्मिक महत्व एवं इस दिन क्या दान करने से होता हैं दुर्भाग्य दूर

Nirjala Ekadashi 2020: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास के शुल्क पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी का विशेष मह्त्व है। यह व्रत जीवन में जल की महत्वता को बताता है। एक साल में होने वाली 26 एकदाशी (अधिक मास को मिलाकर) में से निर्जला एकादशी, सबसे श्रेष्ठ और कठिन मानी जाती है। यह व्रत बिना पानी पिए रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी पर बिना पानी पिए भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

हिंदू पुराणों के अनुसार महाराभारत काल में इस व्रत को भीमसेन ने किया था, इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी और पाण्डव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार Nirjala Ekadashi 2020 व्रत, 02 जून मंगलवार को है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की आराधना, व्रतदान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मनुष्य को अपने किए गये पापों से मुक्ति मिलती है, जीवन निरोग रहता है और सुख सौभाग्य की प्राप्ती होती है।

इस आलेख में हम निर्जला एकादशी के बारे में बताएंगे की श्रद्धालु इस दिन किस विधि विधान से व्रत रखें, भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें, निर्जला एकादशी का क्या महत्व है और किस शुभ समय पूजा करें, इत्यादि।

Nirjala Ekadashi 2020 शुभ मुहूर्त

निर्जला एकादशी 01 जून 2020 सोमवार को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर 2 जून को दिन के 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रही है। अतः व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं। इस व्रत के पारण का समय 03 जून 2020 को सुबह 5:23 बजे से लेकर 8:08 बजे तक रहेगा।

निर्जला एकादशी – मंगलवार, जून 2, 2020 को

एकादशी तिथि प्रारम्भ – जून 01, 2020 को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त – जून 02, 2020 को 12 बजकर 04 मिनट पर

पारण का समय: 03 जून 2020 को सुबह 5:23 बजे से लेकर 8:08 बजे तक

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निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि

  • निर्जला एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है इसलिए इस व्रत को पूरे मन के साथ करना चाहिए।
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान श्रीहरि विष्णु जी का स्मरण करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु के सामने व्रत रखने का संकल्प करें।
  • तुलसी के पौधे व पीपल के पेड़ की पूजा करें, उन्हें जल चढ़ाएं,परिक्रमा करें और शाम को दीपक जलाएं।
  • निर्जला एकादशी व्रत के दिन के सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक जल और अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। आपके लिए ये संभव न हो तो फलों का रस, दूध, फलाहार का सेवन कर सकते हैं। अपने शक्ति के अनुसार व्रत किया जा सकता है।
  • इस शुभ दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने के साथ ही “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। निर्जला एकादशी की कथा को पढ़ना और सुनना चाहिए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं।
  • भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें लाल फूलों की माला चढ़ाएं, धूप, दीप, नैवेध, फल अर्पित करके उनकी आरती करें।
  • सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें और भगवान से किसी प्रकार हुई गलती के लिए क्षमा भी मांगे।
  • अगर निर्जला एकादशी का व्रत न भी कर पाएं तो इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें।
  • एकादशी को धार्मिक आचरण रखना चाहिए। घर में शांति का वातावरण रखें। माता-पिता से आशीर्वाद लें और जीवन साथी का सम्मान करें।
  • द्वादशी वाले दिन सूर्यादय के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा देने के बाद खुद अन्न और जल ग्रहण करें।

जानिए निर्जला एकादशी के दिन क्या दान करने से होता है दुर्भाग्य दूर?

निर्जला एकादशी पर व्रत करने और दान पुण्य करने से जीवन में समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है।

  1. निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शक्कर के ओलेशैय्या, सुन्दर आसन, पंखीछाता दान करना चाहिए।
  2. जरूरतमंद को खाना, वस्त्र, फल दान करने से भगवान विष्णु की दया दृष्टि आप पर बनी रहेगी।
  3. इस दिन नमक का दान करने से बुरा समय दूर हो जाता है। घर में भोजन की कमी कभी नहीं रहती।
  4. सुपात्र ब्राह्मण को जूता दान करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
  5. तिल का दान करने से शक्ति मिलती है अगर आप किसी लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं तो इससे भी आपको फायदा मिलेगा। वहीं मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।
  6. पुराने कपड़े का दान करने से आपको लंबी आयु मिलेगी। इसके साथ ही आपको रोगों से भी मुक्ति मिलेगी।
  7. अनाज का दान करने से आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी।
  8. इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। मीठे जल का वितरण करना सर्वाधिक पुण्यकारी है। मंदिर मे, ब्राह्मण को या किसी प्याऊ में मटकी का दान करें।
  9. जल से कलश भरेसफ़ेद वस्त्र को उस पर ढककर रखें और उस पर चीनी और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें।
  10. अगर संभव हो सके तो किसी गौशाला में धन का दान करें।

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निर्जला एकादशी का महत्‍व

यह व्रत हमें जल संरक्षण का संदेश देता है। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है। इस दिन निर्जल व्रत जप-तप पूजा पाठ करने से प्राणी श्रीविष्णु का सानिध्य प्राप्त कर जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। उसके सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं।

शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता कि अगर कोई पूरे साल की एकदाशी में से एक का भी व्रत रख नहीं पाता है, और वह अगर निर्जला एकादशी का व्रत रखले तो उसे सभी एकादशियों का फल और पुण्य हासिल हो जाता है। साथ ही मनुष्य के परिवार पर भगवान विष्णु कृपा बरसती रहती है। जो लोग एकादशी का व्रत नहीं कर रहे हैं उन्‍हें भी इस दिन भगवान विष्‍णु का पूजन करना चाहिए।

यह व्रत निर्जल रखा जाता है यानि व्रती को बिना पानी का सेवन किए रहना होता है। ज्येष्ठ माह में बिना पानी के रहना बहुत बड़ी बात होती है। इस कारण यह व्रत काफी कठिन माना जाता है।

Nirjala Ekadashi 2020 Vrat की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Nirjala Ekadashi 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)

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