Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश सभी बाधाओं का निवारण करने वाले देव माने जाते हैं। देवताओं में प्रथम पूज्य हैं भगवान गणेश, वे ज्ञान, बल, बुद्धि और सौभाग्य के देवता हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह चतुर्थी मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी, श्री गणेश जयंती, विनायक चतुर्थी कहलाती है। इस चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है, इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना मना होता है। इस चतुर्थी को कलंक चौथ (कलंक चतुर्थी) के नाम से भी जाना जाता है। लोक परम्परानुसार इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
10 दिन तक चलने वाला यह गणेश चतुर्थी उत्सव, 27 अगस्त से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी (06 सितंबर) के दिन तक मनाया जायेगा। 27 अगस्त को भक्त लोग प्यारे बप्पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति को स्थापति कर अगले 10 दिन तक उनकी पूजा कर गणेश उत्सव मनाएंगे। गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (अनंत चतर्दशी) को ढोल नगाड़े बजाते हुए, नाचते गाते हुए गणेश प्रतिमा को जल में विसर्जन के लिये ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ मंगलमूर्ति भगवान गणेश को विदाई दी जाती है। साथ ही उनसे अगले बरस जल्दी आने का वादा भी लिया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेशजी की स्थापना विशेष मुहूर्त में करनी चाहिए। अगर इस दिन पूजा सही समय और मुहूर्त पर विधिपूर्वक की जाए तो हर मनोकामना की पूर्ति होता है। भगवान गणेश का धूप, दीप, नैवेद्य, मोदक, दूर्वा, नीलकंठी के पुष्प से द्वादश (बारह) गणेश नामावली से पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है।
जानिए Ganesh Chaturthi 2025 Date, पूजा विधि, गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त, भगवान गणेश की जन्म कथा, गणेश चतुर्थी का महत्व, गणेश स्थापना विधि समेत सभी जानकारी।
Ganesh Chaturthi 2025 Shubh Muhurat
गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी): 27 अगस्त 2025 दिन बुधवार
चतुर्थी तिथि 2025 प्रारंभ: 26 अगस्त को दोपहर 01:54 बजे से।
चतुर्थी तिथि 2025 समाप्त: 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे तक।
मान्यता है कि गणेश जी का जन्म मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। चतुर्थी के दिन मध्याह्न 12 बजे का समय गणेश-पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 11:06 से दोपहर 1:40 तक
गणपति स्थापना विधि
गणपति को घर में स्थापित करने से पहले पूजा स्थल की सफाई करें। गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान कर नए (या साफ धुले हुए) वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं।
एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत (चावल) या गेहूं, मूंग, ज्वार रखें और गणपति (सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा) को स्थापित करें। आप चाहे तो बाजार से खरीदकर या अपने हाथ से बनी गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें। जल से भरा हुआ कलश गणेश जी के बाएं रखें। कलश पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें।
घी का दीपक जलाएं, इसके बाद पूजा का संकल्प लें। फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें। गणेश जी के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखें।
चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली, पान, सुपारी, लड्डू, दूर्वा औऱ लौंग जरुर चढ़ाएं। पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है, कहा जाता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें लड्डूओं का भोग लगाएं। गणेश जी के पास थोड़े लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए।
घर में अगर गणेश जी की स्थापना हो रही है तो इस बात का ध्यान रखे की बप्पा की आरती सुबह औऱ शाम दोनों पहर होनी चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें और “ओम् गं गणपतये नमः” मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए।
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गणेश स्थापना – ध्यान रखें
- आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए। पत्थर के आसन का इस्तेमाल न करें।
- गणेश जी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए मध्याह्न में ही प्रतिष्ठापित करें।
- 10 दिन तक नियमित समय पर आरती करें।
- पूजा का समय नियत रखें। जाप माला की संख्या भी नियत ही रखें।
- गणेश जी के सम्मुख बैठकर उनसे संवाद करें। मंत्रों का जाप करें। अपने कष्ट कहें।
- शिव परिवार की आराधना अवश्य करें।
- ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
चंद्रमा के दर्शन करने से लगता हैं दोष
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी अपने वाहन मूषक राज पर बैठकर कहीं जा रहे थे। सफर के दौरान मूषकराज की टक्कर किसी चीज से हुई और भगवान गणेश संतुलन खो बैठे और नीचे गिर पड़े। यह सब होते, चंद्रमा देख रहे थे और वो गणेश जी पर जोर से हंसने लगे। यह देखकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर चंद्रमा को जो देखेगा उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा।
वहीं कुछ ग्रंथों में यह वर्णित भी है कि एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश के लम्बे उदर और हाथी के सिर वाली आकृति का मजाक उड़ाया था। क्रोधित गणेश जी इस दिन चन्द्र देव को श्राप दिया था कि इस दिन अगर कोई चंद्रमा को देखेगा तो उसे झूठे आरोपों का सामना करना पड़ेगा।
इसलिए जो व्यक्ति इस दिन चंद्र दर्शन करता है वो मिथ्या कलंक का भागी बनता है।
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है: रात 8:47 से रात 9:26 तक
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चंद्रमा के दर्शन दोष का निवारण
अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें।
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
चंद्र को देख ही लिया तो कृष्ण-स्यमंतक कथा को पढ़ने या विद्वतजनों से सुनने पर भगवान गणेश क्षमा कर देते हैं। इसके साथ ही कलंक से बचने के लिए दूज का चांद देखना भी जरूरी है।
गणेश जी के मंत्र ‘ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्‘ का जप कर सकते हैं या फिर गणेश गायत्री मंत्र जप सकते हैं। इससे किसी भी तरह का गलत आरोप आप पर नहीं लगता।
श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करने के बाद आपको गणेश जी से क्षमा याचना भी करनी चाहिए।
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गणेश चतुर्थी का महत्व
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है| भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायक माना गया है। 
सभी देवताओं में सबसे पहला स्थान गणेश जी का ही है। कोई भी शुभ काम, पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्तुति के बिना शुरुआत नही होती है। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से किसी भी शुभ कार्य में कोई विघ्न, बाधा नहीं आती है। इसलिए हर कार्य में सबसे पहले गणपति की पूजा करने का विधान है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
धार्मिक मान्यता अनुसार इस त्यौहार को बड़ा पवित्र, शुभ, सिद्धिदायक और महान फल देने वाला बताया गया है। यही वजह है कि भगवान गणेश के जन्मदिवस यानी कि गणेश चतुर्थी को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाया जाता है। चतुर्थी व्रत से सभी संकट-विघ्न दूर होते हैं। चतुर्थी का माहात्म्य यह है कि इस दिन विधिवत् व्रत करने से श्रीगणेश तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं।
” बोलो गणपति बप्पा मोर्या “
Ganesh Chaturthi 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं|
इस लेख के साथ हम आशा करते हैं कि गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर आपको भगवान गणेश जी की असीम कृपा प्रदान हो और गणपति जी के आशीर्वाद से आपका जीवन हमेशा विघ्न-रहित रहे।
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(इस आलेख में दी गई Ganesh Chaturthi 2025 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)




