H1N1 इन्फ्ल्यूएंजा (Influenza) या Swine Flu 4 वायरस के कारण होता है। Swine Flu virus is originated from pigs ‘सूअर‘ and now spreads from person to person. इसी वजह से मीडिया ने Swine Flu ‘स्वाइन फ्लू’ को ‘सुअर फ्लू‘ का नाम भी दिया है। यह पहले भी भारत में 2009, 2015 में जानवरों और इंसानो के लिए घातक था और उन्हें प्रभावित किया था।
अभी भी यह फ्लू महामारी की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैल रहा है। नमी के कारण स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है और यह तेजी से फैलने लगता है। यही वजह है कि मौसम बदलने के साथ स्वाइन फ्लू भी लोगों में बढ़ जाता है । यदि 2-3 दिन में खांसी और बुखार ठीक न हो, तो H1N1 की जांच अवश्य कराएं। स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में फैलता है और खांसने (coughing), touching a contaminated surface and then rubbing eyes or nose, छींकने (sneezing) and थूकने से सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।
राजस्थान प्रदेश में बेकाबू हो रहे स्वाइन फ्लू का कहर लगातार जारी है| स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों की संख्या प्रदेश में बढ़कर हुई 507 हो गई है| अभी तक जोधपुर में 252 लोगों का टेस्ट हो चुका हैं, जिनमें से 99 लोगो के पॉजिटिव रिजल्ट हैं | वहीं स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों की संख्या प्रदेश में बढ़कर हुई 507 हो गई है|
स्वाइन फ्लू से अब तक सबसे ज्यादा मौतें जोधपुर में हुई है|अभी तक जोधपुर में स्वाइन फ्लू से 9 लोगो की मौत हो चुकी हैं और प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मरने वालों का आंकड़ा 19 तक पहुंच गया है|
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स्वाइन फ्लू के लक्षण | Symptoms of Swine Flu
हर बीमारी की तरह स्वाइन फ्लू के भी कुछ विशेष लक्षण होते हैं , जिनका हम सभी को ध्यान रखना चाहिए | इनके लक्षण regular flu (इन्फ्लुएंजा) जैसे होते हैं जो की इस प्रकार हैं :
1. तेज ठंड लगना
2. बुखार आना (high fever)
3. तेज सिरदर्द होना
4. मांसपेशियों में दर्द (pain in the muscles)
5. कमजोरी महसूस करना आदि
6. गला खराब होना
7. तेज़ खांसी आना
8. Vomiting
9. loss of Appetite
10. Dehydration
11. Diarrhea
12. Running Nose
13. Sneezing
स्वाइन फ्लू का मेडिकल Treatment
स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान targets पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं ,बूढें आदि होते हैं। इनके शिकार वो लोग भी ज़्यादा होते हैं जीने दिल, फेफड़े या किडनी की बीमारी हो | स्वाइन फ्लू से ज़्यादा ग्रस्त वाले रोगियों को Antiviral drugs oseltamivir (Tamiflu), zanamivir (Relenza) दिया जाता है |
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Swine Flu से बचाव और बीमारी की रोकथाम के उपाय
ऐसा माना गया है की स्वाइन फ्लू से बचाव ही इसे रोकने का सबसे प्रबल तरीका है। हमें कुछ सावधानी रखनी चाहिए जिससे स्वाइन फ्लू का शिकार ना हो |
- खांसी अथवा छींक के समय अपने चेहरे को हमेशा Tissue पेपर या रुमाल से ढककर रखें।
- टिश्यू पेपर (tissue paper) को उपयोग मे लेने के बाद सही तरीके से फेंके अथवा नष्ट कर दें।
- अपने हाथों को हमेशा साफ़ रखें | ऐसा करने के लिए हाथों को किसी Sanitizer द्वारा साफ करें।
- सफाई का भी बहुत ध्यान रखें और अपने आसपास हमेशा सफाई रखें |
- ज़्यादा भीड़ भाड़ वाली जगह से बचें, अगर जाना ही हो तोह Mask या किसी रुमाल से अपना चेहरा ढकें |
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए टीका अवश्य लगवाएं |
- खूब सारा पानी ,फल का रस और सूप का सेवन करें जिससे Dehydration ना हो |
स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक नुस्के
आयुर्वेद के सरल घरेलु नुस्के किसी भी तरह के फ्लू को कम् करने के लिए अपनाये जाते हैं | ऐसे कुछ आयुर्वेदिक नुस्के भी हैं जिन्हे स्वाइन फ्लू से बचने के लिए, और इसके असर को कम करने के लिए अपनाया जा सकता है, जैसे:
- हल्दी और नमक उबालकर गुनगुने पानी से गरारे करने चाहिए।
- स्वाइन फ्लू के दौरान गर्म पानी से हाथ-पैर धोएं और अधिक से अधिक सफाई रखें |
- स्वाइन फ्लू में नीलगिरी, इलायची तेल की एक-दो बूंदें रूमाल पर डालकर नाक पर रखनी चाहिए।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए अदरक, तुलसी, कालीमिर्च, गिलोय को पीस कर शहद के साथ सुबह खाली पेट चाटना चाहिए।
- स्वाइन फ्लू के लिए शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाली औषधियां – गुड़ची, काली तुलसी, सुगंधा आदि का प्रयोग करना चाहिए।
- कहीं-कहीं कपूर को भी स्वाइन फ्लू के रोधी के रूप में माना गया हैं।
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