नवरात्रि शक्ति साधना का पर्व है। इस बार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2020) अधिकमास के कारण एक महीने की देरी से आरंभ होंगे। अधिकमास 16 अक्टूबर को खत्म हो रहा है फिर इसके अगले दिन यानी 17 अक्टूबर (शनिवार) से नवरात्रि शुरू हो जाएंगे। आश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना आरंभ हो जाती है। इस बार नवरात्रि पर 58 साल के बाद बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है।
ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 58 वर्षों के बाद शनि और गुरु ग्रह दोनों ही स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। शनि अपनी राशि मकर में और गुरु अपनी राशि धनु में हैं। इस शुभ संयोग पर कलश स्थापना के साथ नवरात्रि बहुत ही शुभ माना गया है। इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर चित्रा नक्षत्र रहेगा।
इस बार शारदीय नवरात्रि का समापन 25 अक्टूबर को होगा। ज्योतिर्विद के अनुसार इस बार 25 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट तक नवमी मनायी जाएगी। 11 बजकर 14 मिनट के बाद विजयादशमी मनायी जाएगी। इसके बाद शाम को दशहरा मनाया जाएगा।
नवरात्र की तिथियां | Shardiya Navratri 2020 Dates
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। 24 तारीख को सूर्योदय के वक्त अष्टमी और दोपहर में नवमी तिथि रहेगी. इसलिए धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार, अगले दिन शाम के समय यानी विजय मुहूर्त में दशमी तिथि होने से 25 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाना चाहिए।
17 अक्टूबर – प्रतिपदा (नवरात्रि का पहला दिन, कलश स्थापना) – माँ शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर – द्वितीया, नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर – तृतीया, नवरात्रि का तीसरा दिन – माँ चन्द्रघण्टा पूजन
20 अक्टूबर – चतुर्थी, नवरात्रि का चौथा दिन – माँ कुष्मांडा पूजन
21 अक्टूबर – पंचमी, नवरात्रि का पांचवां दिन – माँ स्कंदमाता पूजन
22 अक्टूबर – षष्टी, नवरात्रि का छठा दिन – माँ कात्यायनी पूजन
23 अक्टूबर – सप्तमी, नवरात्रि का सातवां दिन – माँ कालरात्रि पूजन
24 अक्टूबर – अष्टमी, नवरात्रि का आठवां दिन – कन्या पूजन, माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी) पूजन
25 अक्टूबर – नवमी, नवरात्रि का नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री (महानवमी) पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
25 अक्टूबर – दशमी, विजयदशमी (दशहरा)
घट/कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से है। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है। कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
इस बार प्रतिपदा रात्रि 09:08 तक रहेगी इसलिए कलश की स्थापना रात्रि 09:08 के पूर्व कर लेनी चाहिए। इसके चार शुभ मुहूर्त होंगे – सुबह 07:30 से 09:00 तक, दोपहर 01:30 से 03:00 तक, दोपहर 03:00 से 04:30 तक और शाम को 06:00 से 07:30 तक।
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कलश स्थापना के लिए सामग्री
लाल रंग का आसन, मिट्टी का पात्र, जौ, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, कलश, मौली, लौंग, इलायची, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोका या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता का श्रृंगार और फूलों की माला। घटस्थापना के लिए स्वच्छ मिट्टी का ही प्रयोग करना चाहिए।
कलश स्थापना की विधि
कई लोग तो नवरात्रि के पहले दिन पंडितों को घर में बुलाकर कलश की स्थापना करवाते हैं, लेकिन आप यहां दिए गए समय और विधि के अनुसार खुद ही अपने घरों में कलश की स्थापना कर सकते हैं|
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के ईशान कोण (पूर्व व उत्तर के बीच का स्थान) को धार्मिक क्रियाओं और पूजा करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है अतः ईशान कोण घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ दिशा है इसके अलावा पूर्व तथा उत्तर दिशा भी घट स्थापना के लिए शुभ हैं। नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए।
- कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। नवरात्रि के दिन, पहले खुद नहाकर मंदिर की सफाई करें और हर शुभ काम की तरह सबसे पहले गणेश जी का नाम लें।
- एक लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इस कपड़े पर थोड़ा- थोड़ा चावल रखना चाहिए। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए।
- मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डालें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए।
- एक तांबे के लोटे (कलश) पर मौली / रक्षा सूत्र बांधें और उस पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बनाना चाहिए। स्वास्तिक के निशान को गणेश जी का प्रतीक माना गया है।
- लोटे (कलश) पर कुछ बूंद गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डालें।
- अब लोटे (कलश) के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं।
- कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए।
- अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें।
अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना
कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। मान्यता है कि कलश स्थापना मां दुर्गा का आह्वान है और शक्ति की इस देवी का नवरात्रि से पहले वंदना शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इससे देवी मां घरों में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाती हैं।
इस बार घोड़े पर होगा मां दुर्गा का आगमन
नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है।
नवरात्रि का पहला दिन शनिवार होने के कारण मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी। जब मां दुर्गा की सवारी घोड़ा रहता है तब पड़ोसी देशों से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की आशंका रहती है।
साथ ही नवरात्र का आखिरी दिन रविवार होने से देवी भैंसे पर सवार होकर जाएंगी, इसके अशुभ फल के अनुसार देश में रोग और शोक बढ़ने की आशंका है।
Significance of Shardiya Navratri 2020 | नवरात्रि का महत्व
हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल में दो बार नवरात्रि पड़ती हैं – चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) और शारदीय नवरात्र (Sharad Navratri)। जहां चैत्र नवरात्र से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं, शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
यह त्योहार इस बात का द्योतक है कि मां की ममता जहां सृजन करती है। वहीं, मां का विकराल रूप दुष्टों का संहार भी कर सकता है। नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं। मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस बार कोरोना का प्रभाव जो हिन्दुस्तान में होली के मौके से दिखना शुरू हुआ था, अब दिवाली तक कामय है, इसीलिए सभी गाइडलाइन्स का पालन करते हुए नवरात्रि मनाएं।
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(इस आलेख में दी गई Shardiya Navratri 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)