Ub Chhath 2024: भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्टी तिथि) को ऊब छठ (चंदन षष्ठी) पर्व मनाया जाता है। ऊब छठ का व्रत विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए तथा कुंआरी लड़कियां अच्छे पति की कामना से करती है। सूर्यास्त के बाद से लेकर चन्द्रमा के उदय होने तक खड़े रहकर उपासना के कारण ही इसको ऊब छठ व्रत कहा जाता है। व्रती चन्दन घिसकर टीका लगाती है और जल मिश्रित चंदन का सेवन भी करती है।
इस वर्ष ऊब छठ का पर्व 24 अगस्त 2024, दिन शनिवार को manaya जाएगा। देश के अलग अलग जगह पर श्री कृष्ण के जन्म से दो दिन पूर्व भाद्रपद के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को लीला पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण के भ्राता बलराम का प्राकट्योत्सव, ऊब छठ, चन्दन षष्टी, चन्ना छठ, हल षष्ठी, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ और चाँद छठ के नाम से भी जाना जाता है। शाम ढलने के बाद व्रत रखने वाली महिलाए और कुंआरी लड़कियां मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन के साथ, परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
ऊब छठ का व्रत रखने वाली महिलाए और कन्याए सूर्यास्त से चंद्रोदय तक खड़े रहकर मंदिरों में भगवान के दर्शन कर पूजा अर्चना करती हैं और साथ मे पौराणिक धार्मिक कथाओं का श्रवण करती हैं। महिलाए रात्रि में चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा जी को अर्ध्य देने के बाद व्रत का पालना करती हैं। सूर्यास्त से लेकर चंद्रोदय तक व्रती खड़े रहते है, इसीलिए इसको ऊब छठ कहते है। यह व्रत पुत्र को लंबी उम्र देने के साथ ही सुख एवं संपन्नता बढ़ाने के लिए रखा जाता है।
आइए जानते हैं Ub Chhath 2024 Date, व्रत की पूजा विधि, ऊब छठ की पूजन सामग्री, व्रत का महत्व, व्रत कथा, ऊब छठ के व्रत की उद्यापन विधि, समेत सभी जानकारी।
क्यों इस पर्व को कहते है ऊब छठ?
ऊब छठ के दिन, भक्त भगवान की पूजा करने के लिए मंदिर में इकट्ठा होते हैं। जब चंद्रमा उगता है, तो वे चंद्रमा को “अर्घ्य” dekar विशेष प्रार्थना करते हैं। इसके बाद वे अपना व्रत तोड़ते हैं। सूर्यास्त से लेकर चंद्रमा के उदय तक वे वहीं खड़े रहते हैं। इसीलिए इसे “ऊब छठ” कहा जाता है।
ऊब छठ की पूजन सामग्री
कुमकुम, चावल, चन्दन, सुपारी, पान, कपूर, फल, सिक्का, सफ़ेद फूल, अगरबत्ती, दीपक इत्यादी।
ऊब छठ की पूजा विधि
- व्रती स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं इस दिन पूरे दिन का उपवास रखती है।
- शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ और नए कपड़े पहनती है।
- व्रत संकल्प के बाद लक्ष्मी,गणेश, इष्टदेव, ठाकुरजी को कुमकुम और चन्दन से तिलक कर अक्षत अर्पित कर पूजा करते है।
- पूजन के समय सिक्का, फूल, फल, सुपारी चढ़ाते है। दीपक, अगरबत्ती जलाते है।
- फिर हाथ में चन्दन लेते है। कुछ लोग चन्दन मुँह में भी रखते है। इसके बाद ऊब छठ व्रत katha और गणेशजी की कहानी सुनते है।
- शाम को महिलाएं सजधज कर मंदिरों में दर्शन कर भजन करती है।
- इसके बाद व्रती जब तक चंद्रमा जी न दिख जाये, जल भी ग्रहण नही करती और ना ही नीचे बैठती है। ऊब छठ के व्रत का नियम है कि जब तक चंद्रमा का दर्शन नहीं हो जाता तब तक भक्त पानी नहीं पीते।
- व्रती मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजा अर्चना करके परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और खड़े रहकर पौराणिक कथाओं और भजन संकीर्तन का श्रवण करती हैं।
- चंद्रोदय पर चंद्रमा जी को अर्ध्य देकर पूजा-अर्चना की जाती है। चंद्रमा जी को जल के छींटे देकर कुमकुम, चन्दन, मोली, अक्षत और भोग अर्पित करते हैं।
- कलश से जल चढ़ायें। एक ही जगह खड़े होकर परिक्रमा करें। अर्ध्य देने के बाद व्रत का पालना करती है। लोग व्रत खोलते समय अपने मान्यता के अनुसार नमक वाला या बिना नमक का खाना खाते है। इस व्रत में हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है।
ऊब छठ व्रत उद्यापन विधि/Ub Chhath 2024 Ka Udyapan
यह उब छठ का पर्व सुख, शांति, समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां-महिलाएं सभी करती है, पर खास बात यह है कि कुंवारी लड़कियों को व्रत करवाने के बाद उसका उद्यापन करना बहुत बड़ी धर्म की बात होती है।
कहा जाता है कि अगर व्रती ने चन्दन षष्ठी व्रत का उद्यापन किया है तो वह फिर किसी भी व्रत का उद्यापन कर सकती है। सबसे पहले इस व्रत का उद्यापन करना होता है एवं मासिक धर्म की अवधि में स्त्रियों द्वारा स्पर्श, अस्पर्श, भक्ष्य, अभक्ष्य इत्यादि दोषों के परिहार के लिए इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।
इस व्रत के उद्यापन के लिए पाव वजन के आठ लडडू बनाये जाते है। ये लडडू प्लेट में रखकर व्रत करने वाली आठ स्त्रियों को दिए जाते है। साथ में एक नारियल भी दिया जाता है। नारियल पर कुमकुम के छींटे दिए जाते है। एक प्लेट में लडडू और नारियल विनायक को भी दिया जाता है।
ये प्लेट घर पर जाकर दे सकते है या उनको भोजन के लिए निमंत्रण देकर भोजन कराके भी दे सकते है। प्लेट देते समय पहले महिला को तिलक करें। फिर प्लेट में लडडू और नारियल दें।
ऊब छठ व्रतकथा (Ub Chhath Vrat Katha)
ऊब छठ का व्रत और पूजा करते समय ऊब छठ व्रत कथा सुनते है, जिससे व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।
किसी गांव में एक साहूकार और इसकी पत्नी रहते थे। साहूकार की पत्नी रजस्वला होने पर भी सभी प्रकार के काम कर लेती थी। रसोई में जाना, पानी भरना, खाना बनाना, सब जगह हाथ लगा देती थी। उनके एक पुत्र था। पुत्र की शादी के बाद साहूकार और उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई।
अगले जन्म में साहूकार एक बैल के रूप में और उसकी पत्नी कुतिया बनी। ये दोनों अपने पुत्र के यहाँ ही थे। बैल से खेतों में हल जुताया जाता था और कुतिया घर की रखवाली करती थी।
श्राद्ध के दिन पुत्र ने बहुत से पकवान बनवाये। खीर भी बन रही थी। अचानक कही से एक चील जिसके मुँह में एक मरा हुआ साँप था, उड़ती हुई वहाँ आई। वो सांप चील के मुँह से छूटकर खीर में गिर गया। कुतिया ने यह देख लिया। उसने सोचा इस खीर को खाने से कई लोग मर सकते है। उसने खीर में मुँह अड़ा दिया ताकि उस खीर को लोग ना खाये।
पुत्र की पत्नी ने कुतिया को खीर में मुँह अड़ाते हुए देखा तो गुस्से में एक मोटे डंडे से उसकी पीठ पर मारा। तेज चोट की वजह से कुतिया की पीठ की हड्डी टूट गई। उसे बहुत दर्द हो रहा था। रात को वह बैल से बात कर रही थी।
उसने कहा तुम्हारे लिए श्राद्ध हुआ तुमने पेट भर भोजन किया होगा। मुझे तो खाना भी नहीं मिला, मार पड़ी सो अलग। बैल ने कहा – मुझे भी भोजन नहीं मिला, दिन भर खेत पर ही काम करता रहा। ये सब बातें बहु ने सुन ली और उसने अपने पति को बताया। उसने एक पंडित को बुलाकर इस घटना का जिक्र किया।
पंडित में अपनी ज्योतिष विद्या से पता करके बताया की कुतिया उसकी माँ और बैल उसके पिता है। उनको ऐसी योनि मिलने का कारण माँ द्वारा रजस्वला होने पर भी सब जगह हाथ लगाना, खाना बनाना, पानी भरना था। उसे बड़ा दुःख हुआ और माता पिता के उद्धार का उपाय पूछा। पंडित ने बताया यदि उसकी कुँवारी कन्या भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्टी यानि ऊब छठ का व्रत करे, शाम को नहा कर पूजा करे उसके बाद बैठे नहीं, चाँद निकलने पर अर्ध्य दे। अर्ध्य देने पर जो पानी गिरे वह बैल और कुतिया को छूए तो उनका मोक्ष हो जायेगा।
जैसा पंडित ने बताया था कन्या ने ऊब छठ का व्रत किया, पूजा की। चाँद निकलने पर चाँद को अर्ध्य दिया। अर्ध्य का पानी जमीन पर गिरकर बहते हुए बैल और कुतिया पर गिरे ऐसी व्यवस्था की। पानी उन पर गिरने से दोनों को मोक्ष प्राप्त हुआ और उन्हें अपनी इस योनि से छुटकारा मिल गया।
हे! ऊब छठ माता, जैसे इनका किया वैसे सभी का उद्धार करना। कहानी लिखने वाले और पढ़ने वाले का भला करना।
बोलो छठ माता की…. जय !!
बोलो गणेश जी महाराज की…… जय !!!
Ub Chhath 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
Connect with us for all latest updates through Facebook and follow us on Twitter also. Do comment below for any more information/query on Ub Chhath 2021 and how you celebrated Ub Chhath 2024 ‘ऊब छठ ‘?
(इस आलेख में दी गई Ub Chhath 2024 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)