Kajari Teej 2024: तीज पर्व भगवान महेश- माता पार्वती के प्रेम के प्रतिक स्वरुप, आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भाद्रपद (भादो) महीने की कृष्ण पक्ष तृतीया को मनाई जाने वाली कजरी तीज सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वूपर्ण मानी गयी है। इस साल यह तिथि 22 अगस्त, दिन गुरुवार को है।
यह तीज कजली तीज, सातुड़ी तीज, बूढ़ी तीज, बड़ी तीज, नीमड़ी तीज के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती के साथ चंद्रमा जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करती हैं। कजरी तीज का व्रत विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए रखती है।
इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर का आर्शीवाद मिलता है। कहते हैं, इस व्रत को रखने से दामपत्य जीवन में माधुर्यता भी आती है। आइए जानते हैं Kajari Teej 2024 Date, व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहुर्त, व्रत का महत्व, व्रत कथा, समेत सभी जानकारी।
Kajari Teej Rituals
The festival is celebrated with joy and zeal by women. While some regions add their own touch to the festival, the basic rituals which are followed remain the same. These rituals for Kajari Teej are listed below:
- यह व्रत वैसे तो निर्जला (सिर्फ पानी पीकर) ही किया जाता है। लेकिन अगर स्त्री गर्भवती है तो वो फलाहार कर सकती है।
- सुबह सूर्य उदय से पहले धमोली की जाती है इसमें सुबह मिठाई, फल आदि का नाश्ता किया जाता है। सुबह नहा धोकर महिलाएं सोलह बार झूला झूलती हैं, उसके बाद ही पानी पीती है।
- It is also essential for married women to sit on a झूला and swing 16 times.
- For the day of Kajari Teej, several dishes (सत्तू) are prepared using Barley, Wheat, Gram and Rice powder. The Sattu are decorated in different ways to give it a festive look.
- Special delicacies like Malpua and Ghewar are also prepared for this day.
- कजरी तीज व्रत का पारण चंद्रमा दर्शन और पूजा के बाद होता है।
- रात में चंद्र के उदय होने के बाद परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठकर, अपना-अपना पिण्डा (सत्तू) पासते है।
Kajari Teej 2024 Vrat Date
पंचाग के अनुसार भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त की शाम 05 बजकर 06 मिनट पर आरंभ हो जाएगी, जो कि 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगी।
कजरी तीज: 22 अगस्त 2024, रविवार
चंद्रोदय समय: 14 अगस्त, 2024 को शाम करीब 08:30 बजे
पूजन सामग्री
एक छोटा सातू का लडडू, नीमड़ी, दीपक, केला, अमरुद या सेब, ककड़ी, दूध मिश्रित जल, कच्चा दूध, नीबू, मोती की लड़/नथ के मोती, पूजा की थाली, जल कलश।
कजरी तीज की पूजा विधि
तीज का त्यौंहार तीज माता को प्रसन्न करने के लिये मनाया जाता है। तीज के त्यौंहार पर देवी पार्वती के अवतार तीज माता (नीमड़ी /निम्बड़ी माता) की उपासना, सुख, समृद्धि, अच्छी वर्षा और फसल आदि के लिये की जाती है। इस दिन उपवास कर भगवान महेश-पार्वती की पूजा की जाती है।
इस दिन सुबह जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर धम्मोड़ी यानी हल्का नाश्ता करने का रिवाज है। कजरी तीज की पूजा शाम के समय में की जाती है। व्रत से एक दिन पहले पूजा में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें एकत्रित कर लें, जैसे कि – कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, अगरबत्ती, दीपक, तीज गीत की किताब, कुछ सिक्के, चावल, कलश, फल, नीम की एक डाली, दूध, ओढ़नी, सत्तू, मिठाई, घी, दीप जलाने के लिए माचिस इत्यादि।
- पंचांग मे शुभ मुहूर्त देखकर, सबसे पहले घर में पूजा के लिए सही दिशा का चुनाव करके दीवार के सहारे मिट्टी/ गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा घेरा (पाल) बना लें। शुद्ध घी और गुड़ से पाल बांधा जाता है। तालाब ऐसे बनाएं कि उससे पानी बाहर ना निकले।
- एक थाली में नीबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली-अक्षत आदि पूजा का सामान रख लें।
- पाल के किनारे नीम की एक डाल को रोप देते हैं, यह नीमड़ी माता (तीज माता) का प्रतीक है।
- इसके बाद उस तालाब में कच्चा दूध और जल भर दें।
- फिर किनारे पर घी का एक दीपक जलाकर रख दें।
- इस नीम की डाल पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माता की विधि-विधान से पूजा करें।
- नीमड़ी माता की पूजा में सबसे पहले उन्हें रोली और जल के छिटें देकर उनका आह्वाहन करें और उन्हें चावल चढ़ाएं।
- अगर विवाहित स्त्री यह व्रत कर रही हैं तो पाल के पास कुमकुम, मेहंदी और काजल के सात गोल बिंदिया बनाना होता है। अगर अविवाहित लड़कियां इसे कर रही हैं तो उन्हें यह 16 बनाना होगा।
- इसके बाद नीमड़ माता की पीछे की दीवार पर मेहंदी, रोली की 13-13 बिंदिया अनामिका उंगली से लगांए। इसके बाद तर्जनी उंगली के इस्तेमाल से काजल की 13 बिंदियां लगाएं।
- इसके बाद माता को मोली, वस्त्र और श्रृंगार का सभी समाना चढ़ाना चाहिए।
- फिर दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, सत्तू, फल, और साड़ी के पल्लु का प्रतिबिंब को पाल में देखें। याद रखें कि प्रतिबिंब बस चढ़ाई गई चीजों का ही देखना है।
- कजरी तीज की व्रत कथा सुनें। मान्यता है कि यह व्रत करने से सुहाग और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है।
- इसके बाद सत्तू के स्वादिष्ट व्यंजन खाकर व्रत खोला जाता है।
कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि
इस दिन पूरे दिन उपवास किया जाता है। चांद को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है। कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद करवा चौथ की तरह ही चंद्रमा को अर्घ देने की परंपरा है। इसके लिए चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं और फिर भोग अर्पित करें।
इसके बाद चांदी की अंगूठी लें और कुछ आखे (गेहूं के दाने) हाथ में लें और चंद्रमा को जल से अर्ध्य दें और अंत में एक ही जगह खड़े होकर घूमें और चंद्रमा को प्रणाम करें। पूजा खत्म होने के बाद अपने बडो का आशीर्वाद लेना चाहिए।
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कजरी तीज व्रत कथा | Kajari Teej Vrat Katha
कजरी तीज की कथा पढ़ने सुनने मात्र से महिलाओं को नीमड़ माता से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजरी तीज के लिए बहुत सी कहानियां कही जाती हैं, इन्हीं में से एक हम आपको बताते हैं।
एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, ‘हे स्वामी आज मेरा तीज व्रत है, कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए’। ब्राह्मण बोला ‘मैं सातु कहाँ से लाऊं, भाग्यवान।’ तो ब्राह्मणी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए, चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।
रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहाँ पर चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया। इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जग गए और चोर चोर चिल्लाने लगे। साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया।
ब्राह्मण बोला में चोर नहीं हूँ। मैं तो एक गरीब ब्राह्मण हूँ। मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है, इसलिए मैं तो सिर्फ ये सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था। साहूकार ने उसकी तलाशी ली, उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला।
चाँद निकल आया था ब्राह्मणी इंतजार कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रूपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली माता की पूजा की।
जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे । कजली माता अपनी कृपा सब पर करें। बोलो तीज माता की जय !!!
कजरी तीज का महत्व
हरियाली तीज, हरतालिका तीज व्रत की तरह ही कजरी तीज का व्रत भी सुहाग की रक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि बनाए रखने तथा अनेक प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। तीज के त्यौंहार के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिये तीज माता की पूजा करती हैं, जबकि पुरुष अच्छी “वर्षा, फसल और व्यापार” के लिये तीज माता की उपासना करते हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, जिससे उनको अखंड सुहाग का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजरी तीज के दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और हाथों में मेंहदी रचाती हैं।
वैसे तो यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है, मगर गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं। उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो, तो फलाहार किया जा सकता है।
Kajari Teej 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Kajari Teej 2024 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)