Baba Ri Beej 2020: राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव (जो रामसा पीर के नाम से भी प्रसिद्ध है), के 636वे अवतरण दिवस इस साल कोरोना महामारी की गाइड्लाइन्स मे धूमधाम से मनाया जायेगा। Baba Ramdev Jayanti, the birth tithi of Ramdev Ji falls on Bhadrapad month Shukla Paksha Dooj of Hindu calendar and is also famous as ‘बाबा री बीज‘ (‘बाबा री दूज‘). This Year, Baba Ramdev Jayanti 2020 will be celebrated on Thursday, August 20.
बाबा रामदेव को रामदेवजी, रामसा पीर, रामदेव पीर, आदि नामो से भी पुकारा जाता हैं। रामदेवजी द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) के अवतार माने गये हैं। बाबा का संबंध राजवंश से था लेकिन उन्होंने पूरा जीवन शोषित, गरीब और पिछड़े लोगों के बीच बिताया। उन्होंने रूढ़ियों तथा छूआछूत का विरोध किया।
बाबा रामदेव को सभी भक्त ‘जै बाबा री’ से जयकार करते हैं। रामदेव जी हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के आराध्य देवता माने जाते हैं। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं। मान्यता है की बाबा रामदेव ने भाद्रपद शुक्ल दशमी को जीवित समाधि ली थी। हिन्दू-मुस्लिम एकता (सांप्रदायिक सौहार्द) के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण तहसील के रामदेवरा (रुणिचा) में स्थित है।
कुछ विद्वान मानते हैं कि विक्रम संवत 1409 (1352 ईस्वी सन्) को उडूकासमीर (बाड़मेर) में बाबा का जन्म हुआ था और विक्रम संवत 1442 में उन्होंने रुणिचा में जीवित समाधि ले ली। रामदेव जी के जन्म स्थान को लेकर मतभेद है, परन्तु इसमें सब एक मत है कि उनका समाधी स्थल रामदेवरा ही है। यहां वे मूर्ति स्वरूप में पूजे जाते हैं। ‘रुणेचा’ रामदेवरा का प्राचीन नाम है। रुणिचा (जैसलमेर) में बाबा की समाधि के निकट ही उनका भव्य मंदिर है जो बीकानेर के महाराजा गंगासिंह द्वारा 1931 में बनवाया गया था।
भारत और पाकिस्तान से लाखों की तादाद में श्रद्धालु (जातरू) उन्हें नमन करने आते हैं। इस मेले में राजस्थान के अलावा हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों से लोग बाबा के दर्शन को आते हैं। जातरू पहले जोधपुर के मसूरिया पहाड़ी पर स्थित बाबा रामदेव मंदिर मे उनके गुरु बालीनाथ के दर्शन कर फिर रामदेवरा के लिए निकलते हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा रामदेव जी का जो मेला भरा जाता है काेराेना काल के चलते हुए इस साल नहीं भरा जाएगा। रामदेव बाबा जी का मेला आयोजन इस बार 20 अगस्त से (भाद्रपद शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि) 28 अगस्त तक लगने वाला था।
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बाबा रामदेव जी की जन्मकथा
बाबा का अवतरण वि.सं. 1409 को भाद्रपद महीने के शुक्ल दूज के दिन तोमर वंशीय राजपूत तथा रूणीचा के शासक अजमालजी तंवर के घर हुआ। उनकी माता का नाम मैणादे था। उनकी पत्नी का नाम नेतलदे, गुरु का नाम बालीनाथ, घोड़े का नाम लाली रा था।
राजा अजमल जी द्वारिकानाथ के परमभक्त होते हुए भी उनको दु:ख था उनके कोई पुत्र नहीं था। दूसरा दु:ख था कि उनके ही राज्य में पड़ने वाले पोकरण से 3 मील उत्तर दिशा में भैरव राक्षस ने परेशान कर रखा था।
राजा अजमल जी पुत्र प्राप्ति के लिये दान पुण्य करते, साधू सन्तों को भोजन कराते, यज्ञ कराते, नित्य ही द्वारिकानाथ की पूजा करते थे। भैरव राक्षस को मारने का उपाय सोचते हुए राजा अजमल जी द्वारका जी पहुंचे। जहां अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए, राजा के आखों में आंसू देखकर भगवान में अपने पिताम्बर से आंसू पोछकर कहा, हे भक्तराज रो मत मैं तुम्हारा सारा दु:ख जानता हूँ। मैं तेरी भक्ति देखकर बहुत प्रसन्न हूँ।
भगवान की असीम कृपा प्राप्त कर राजा अजमल जी बोले हे प्रभु अगर आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं तो मुझे आपके समान पुत्र चाहिये, आपको मेरे घर पुत्र बनकर आना पड़ेगा और राक्षस को मारकर धर्म की स्थापना करनी पड़ेगी।
भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर उन्हें आश्वस्त किया कि वे स्वयं उनके घर अवतार लेंगे। बाबा रामदेव के रूप में जन्मे श्रीकृष्ण संवत् 1409 में भाद्र मास की दूज को पालने में खेलते अवतरित हुए और अपने चमत्कारों से लोगों की आस्था का केंद्र बनते गए। इसीलिए बाबा रामदेव को कृष्ण (द्वारिकानाथ) का अवतार माना जाता है।
बाबा रामदेव जी के परचा (चमत्कार)
बाबा रामदेव के पिता और राजा अजमलजी को द्वारकाद्धीश श्रीकृष्ण ने ये वरदान दिया था कि वो स्वंय उनके घर अवतरित होंगे। उन्होंने बचपन में ही अपनी लीलाएं दिखानी शुरू कर दीं। माता के आंचल से दूध खुद ही उनके मुहं में चला जाता था। पांच साल की उम्र में उन्होंने लकड़ी और कपड़े का घोड़ा आकाश में उड़ाया और आदू राक्षस को मार गिराया।
बाद में भैरव राक्षस का भी वध किया। बोहिता राजसेठ की नाव को समुद्र के तूफान से निकालकर किनारे लगाया। स्वारकीया सखा को सांप ने डस लिया और वह मर गया, तब रामदेव जी ने उसका नाम पुकारा और वो जिंदा हो गया। पीर रामदेव ने अंधों को आंखें दी, कोढिय़ों का कोढ़ ठीक किया, लंगड़ों को चलाया। बाद में उन्होंने पोखरण राज्य अपनी बहन को दहेज में दे दिया और रूणिचा के राजा बने।
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रामापीर बनने का रहस्य
बाबा रामदेवजी के चमत्कार की परीक्षा लेने मुल्तान से 5 पीर रुणिचा पहुंचे। इस दौरान रामदेवजी ने पीरों का जोरदार आवभगत की और ‘अतिथि देवो भव:‘ की भावना से उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। जब भोजन कराने के लिए बाबा ने पीरों के लिए जाजम लगाई तो पीरों ने कहा कि वे केवल अपने स्वयं के बर्तनों में ही भोजन करते हैं। दूसरों के बर्तनों में भोजन नहीं करते हैं यह उनका प्रण है। लेकिन सारे बर्तन मुल्तान में छोड़ आए हैं। आप यदि मुल्तान से वे कटोरे मंगवा सकते हैं तो मंगवा दीजिए, वर्ना हम आपके यहां भोजन नहीं कर सकते।
तब बाबा रामदेव ने उन्हें विनयपूर्वक कहा कि उनका भी प्रण है कि घर आए अतिथि को बिना भोजन कराए नहीं जाने देते। यदि आप अपने बर्तनों में ही खाना चाहते हैं तो ऐसा ही होगा। इस पर रामदेवजी ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उनके बर्तनों को उनके सामने रखकर चमत्कार कर दिया। इस चमत्कार (परचा) से वे पीर सकते में रह गए। तब उन पीरों ने कहा कि आप तो पीरों के पीर हैं।
इसे देखकर पांचों पीरों ने उन्हें दुनिया में रामशापीर, रामापीर, रामपुरी, हिंदवपीर के नाम से पहचाने जाने का आशिर्वाद दिया। इस तरह से पीरों ने भोजन किया और श्रीरामदेवजी को ‘पीर’ की पदवी मिली और रामदेवजी, रामापीर कहलाए।
रामापीर ने समाधि के अंतिम वक़्त दिया था ये उपदेश
श्रद्धालुओं में मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ली थी। बताया जाता है कि रामदेव जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुजुर्गों को प्रणाम किया और श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया था। साथ ही रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर अन्तिम उपदेश देते हुए कहा कि प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। बाबा ने जाते-जाते अपने ग्रामीणों को कहा कि इस युग में न तो कोई ऊँचा हैं, और न ही कोई नीचा, सभी जन एक समान हैं। सभी को एक समान ही समझना और उनमे किसी भी प्रकार का भेद न करना। मेरे जन्मोत्सव पर समाधि स्थल पर मेला लगेगा। मेरे समाधि पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुंगा।
श्री रामदेव जी की आरती
जय श्री रामदेव अवतारी, कलयुग में धणी आप पधारे ।
सतयुग में बाबा विष्णु बन आए, मधु-कटैभ को मार गिराये
ब्रह्मा जी को आप ऊबारो, देव श्री कहलाये ।। जय श्री रामदेव…
त्रेता में बाबा राम बन आए, रावण को मार गिराये
महाबीर की आप उबारो, पुरूषोत्तम कहलाये ।। जय श्री रामदेव…
द्वापर में बाबा कृष्ण बन आए, कंस को मार गिराये
सुदामा को आप उबारो, वासुदेव कहलाये ।। जय श्री रामदेव…
कलयुग में बाबा रामदेव बन आए, भैरों-राकस को मार गिराये
बोहिता बनिए को आप उबारो, रामपीर कहलाये ।। जय श्री रामदेव…
माता मैनादे पिता अजमाल जी, बाबा संग में डाली आये
देबो साबो पुत्र थारे, नेतली कहलाये ।। जय श्री रामदेव…
श्री रामपीर की आरती, जो कोई नर गाये
जन्म-जन्म के कष्ट मिटे, भव सागर तर जाये ।। जय श्री रामदेव…
जय श्री रामदेव अवतारी, कलयुग में धणी आप पधारे ।
Baba Ramdev 2020 Mela in Jodhpur
लोक देवता बाबा रामदेव व उनके श्रद्धालुओं के बीच इस बार कोरोना महामारी आ खड़ी हुई है। जोधपुर में बाबा की बीज पर गुरुवार को लगने वाला प्रसिद्ध मेला इस बार स्थगित कर दिया गया है। शहर में मसूरिया पहाड़ी स्थित बाबा रामदेव के गुरु बालिनाथ के समाधि स्थल की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को बैरिकेड्स लगा कर बंद कर दिया गया है। समाधि स्थल पर गुरुवार सुबह 4:15 पर होने वाली मंगला आरती के ऑन लाइन लाइव दर्शन की व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की गई है। श्रद्धालु गुरुवार सुबह जल्दी www.babaramdevmandir.com पर मंगला आरती को अपने घर बैठे देख सकते है।
जै बाबा रामदेव ..
पीरों के पीर रामापीर, हरे सब की पीर ..!!
बाबा रामदेव के 636वे अवतरण दिवस (Baba Ri Beej 2020) पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !!
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(इस आलेख में दी गई Baba Ri Beej 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)