Gangaur 2020: हिन्दू धर्म में चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। गणगौर लोकपर्व होने के साथ-साथ रंगबिरंगी संस्कृति का अनूठा उत्सव है। यह इस वर्ष 27 मार्च शुक्रवार को है। ये त्योहार राजस्थान में धूम धाम से मनाया जाता है एवं झांकियां भी निकलती हैं। नवरात्र के तृतीया को लगने वाला गणगौर मेला इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण स्थगित कर दिया गया है।
गणगौर पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि से आरम्भ की जाती है। इसमें कन्याएं और विवाहित स्त्रियां मिट्टी के शिव जी यानी की गण एवं माता पार्वती यानी की गौर बनाकर पूजन करती हैं। यह पर्व विशेष तौर पर केवल महिलाओं के लिए ही होता है।
इस दिन भगवान शिव ने पार्वतीजी को तथा पार्वतीजी ने समस्त स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर शिव पार्वती के स्वरूप में गणगौर की पूजा करती है। महिलाए नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं। इस दिन व्रती महिला को केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए। जानिए गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, गणगौर पूजा का महत्व, के बारें में।
Gangaur 2020 Puja Shubh Muhurat
- गणगौर पूजा – शुक्रवार, मार्च 27, 2020 को
- तृतीया तिथि प्रारम्भ – मार्च 26, 2020 को शाम 07:53 से
- तृतीया तिथि समाप्त – मार्च 27, 2020 को रात 10:12 तक
- अमृत चौधडिया मुहूर्त: सुबह 09:29 बजे से 11:01 तक
- लाभ चौधडिया मुहूर्त: सुबह 07:57 बजे से 09:29 तक
- शुभ चौधडिया मुहूर्त: दोपहर 12:32 बजे से 02:04 बजे तक
- गुली काल: सुबह 07:57 बजे से 09:29 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक
इस पूजा के लिए स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 10 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 10 बजकर 09 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
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गणगौर पूजा विधि
गणगौर पूजा बहुत ही श्रद्धा भक्ति और उत्साह के साथ की जाती हैं। होली के दूसरे दिन से शुरू यह पर्व पूरे 16 दिन तक मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को समाप्त होता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं और महिलाएं मिट्टी से गौर बनाकर, उनको सुंदर पोषाक पहनाकर शृंगार करती हैं और खुद भी 16 शृंगार कर संवरती हैं।
गणगौर पूजन का स्थान किसी एक स्थान या घर में किया जाता है। इस बार कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है। कोरोना वायरस के चलते भक्तों को घर पर ही विधि विधान के साथ पूजा करनी होगी। गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं व विवाहित स्त्रियां ताज़ा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुई घर आती हैं। इसके बाद शुद्ध मिट्टी के शिव स्वरुप ईसर और पार्वती स्वरुप गौर की प्रतिमा बनाकर चौकी पर स्थापित करती हैं। प्रतिमा ना होने पर चित्र भी बना सकते हैं।
शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा में 16 अंक का विशेष महत्व होता है। सौभाग्य की कामना लिए दीवार पर 16-16 बिंदियां रोली, मेहंदी व काजल की लगाई जाती हैं। गणगौर को चढ़ने वाले प्रसाद, बतुआ की पिंडी, फल व सुहाग की सामग्री 16 के अंक में ही चढ़ाई जाती हैं।
एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है। दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर को छींटे देकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती हैं। खीर, चूरमा, पूरी, मठरी, मीठे गुने का भोग गणगौर माता को लगाया जाता हैं। अंत में गणगौर माता की कहानी सुनकर व्रत खोला जाता हैं।
ऐसी मान्यता हैं की गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता। गणगौर के पूजन में प्रावधान है कि जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, महिलाएं उसे अपनी मांग में सजाती हैं। शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में इनका विसर्जन किया जाता है।
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गणगौर गीत
गणगौर माता से प्रार्थना भी लोकगीतों के जरिए की जाती है। पूजन करने वाली समस्त स्त्रियां बड़े चाव से गणगौर के मंगल गीत गाती हैं- भंवर म्हाने पूजण दे गणगौर…. गौर-गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती…. खोल ऐ गणगौर माता खोल किवाड़ी … ईशर जी तो पेचो बांधे गौराबाई पेच संवारियो राज ……जो बेहद सुहावने लगते हैं।
गणगौर व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एकबार चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन मां पार्वती और भगवान शिव नारद मुनि के साथ धरती पर भ्रमण पर आएं। इस दौरान वे एक गांव में पहुंचें। जब गांव की महिलाओं को उनके आगमन की खबर लगी तो वे उनके स्वागत की तैयारी में जुट गईं। समृद्ध परिवारों की महिलाओं ने मां गौरी – शिव जी के स्वागत के लिए नाना प्रकार के पकवान और स्वादिष्ट भोजन की तैयारी करने लगीं। वहीं गरीब महिलाओं ने अपने श्रद्धा सुमन लेकर भगवान का स्वागत किया। माता पार्वती उनके श्रद्धा भाव व भक्ति को देखकर बेहद प्रसन्न हो गईं और सारा सौभाग्य (सुहाग) रस उन पर छिड़क दिया।
इसके बाद जब समृद्ध परिवार की स्त्रियां तरह-तरह के मिष्ठान और पकवान लेकर आईं तो माता के पास उन्हें आशीर्वाद के रूप में देने के लिए कुछ न था। ऐसे में भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अब आपके पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि आपने सारा आशीर्वाद गरीब स्त्रियों को दे दिया। अब इन्हें आप क्या देंगी? माता ने कहा इनमें से जो भी सच्ची श्रद्धा लेकर यहां आयी है उस पर ही इस विशेष सुहागरस के छींटे पड़ेंगे और वह सौभाग्यशालिनी होगी। तब माता पार्वती ने अपनी उंगली चीरकर अपने रक्त का सुहाग रस के छींटे बिखेरे जो उचित पात्र स्त्रियों पर पड़े और वे धन्य हो गई।
Gangaur Puja ka Mahatv|गणगौर पूजा का महत्व
गणगौर एक ऐसा पर्व है जिसे कुवारी कन्या से लेकर विवाहित स्त्री के द्वारा मनाया जाता है। इसमें कन्या भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि शादी के बाद पहला गणगौर पूजन मायके में किया जाता हैं। इस पूजन का महत्व अविवाहित कन्या के लिए, अच्छे वर की कामना को लेकर रहता है जबकि, विवाहित स्त्री अपने पति की मंगल कामना और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए होता है। इसमें अविवाहित कन्या पूरी तरह से तैयार होकर और, विवाहित स्त्री सोलह श्रृंगार करके पूरे सोलह दिन विधी-विधान से पूजन करती है।
गोर ए गणगौर माता खोल किँवाडी, बाहर ऊबी थारी पूजन वाली….!!
गणगौर माता की जय, Gangaur 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं !!
माँ पार्वती आप पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखे !!
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(इस आलेख में दी गई Gangaur 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)