Pitru Paksh 2019: आश्विन मास का कृष्ण पक्ष (अंधियारा पाख) को श्राद्ध पक्ष, पितृपक्ष (Pitru Paksh) कहते हैं, जो की पितरों के प्रति श्रद्धा, समर्पण के पर्व के रूप मे मनाया जाता हैं। पितृ पक्ष भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से आरम्भ होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक रहेगा। इन दिनों पितरों के लिए पर श्राद्ध कर्म, तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में पितरों को जलांजलि देकर तथा मृत्युतिथि को श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करके पितृऋण चुकाया जाता है। हिन्दू धर्म संस्कृति में इस पक्ष का विशेष महत्व है। This year Pitru Paksh 2019 has started from September 13 (Friday) and will be till September 28, 2018 (Saturday).
श्राद्ध विधि व महत्व
घर पर श्राद्ध कर्म करने की सरल विधि
- सुबह स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करें। पुरे घर में गंगाजल और गौमूत्र छिड़के।
- श्राद्ध कर्म में दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, जौ और तिल मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।
- दक्षिण दिशा कि तरफ मुंह करे और बांए पैर को मोड़कर कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के बर्तन में तिल, जौ, दूध, गंगाजल, थोड़े पुष्प और स्वच्छ जल रखे। उस जल को हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिरा दे। पितरों को स्मरण करते हुए ऐसा लगतार 11 बार करें।
- पितरों के लिए सात्विक भोजन बनाएं। ब्राह्मण, घर की स्वासिनी (बहन बेटी) को न्यौता देकर बुलाएं।
- पितरों के निमित्त बनी खीर को अग्नि में अर्पण करें। ब्राह्मण भोज से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री निकाल ले। पितृपक्ष के दौरान जो भी भोजन बनाएं उसमें से एक हिस्स पितरों के नाम से निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें।
- श्रद्धानुसार एक या तीन ब्राह्मणों को प्रसन्न होकर भोजन कराएं।
- भोजन के उपरांत वस्त्र, दक्षिणा आदि सामग्री ब्राह्मण को प्रणाम कर दे। ब्राह्मण वैदिक पाठ करें और गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं दें।
- श्राद्ध कर्म के दिन व्रत रहकर भोजन बनाकर ब्राह्मणों, बहन-बेटी को खिलाने के बाद ही भोजन करें।
- पितरों की शांति के लिए प्रतिदिन एक माला “ऊं पितृ देवताभ्यो नम:” की करें और “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:” का जाप करते रहें। भगवद्गीता या भागवत का पाठ भी कर सकते हैं।
श्राद्ध करने का महत्व
श्रद्धाभाव सहित मनःशक्ति से मंत्रोच्चारणों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध से पितरों को (जिसका श्राद्ध किया जाता है) प्रेतत्व से मुक्ति होकर सद्गति मिलती है। कूर्मपुराण के अनुसार श्राद्ध वाले दिन पितर अपने पूर्व गृह यह जानने के लिए जाते हैं कि उनके कुल परिवार के लोग उन्हें विस्मृत तो नहीं कर चुके हैं। यदि उन्हें श्राद्ध के माध्यम से याद नहीं करते तो उन्हें बहुत निराशा और दुख होता है।
जो अपने परिश्रम और ईमानदारी से अर्जित धन से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करते हैं, उनको पितर दीर्घायु, यश, धन-धान्य, विद्या तथा विभिन्न प्रकार के सांसारिक सुखों का आर्शीवाद देकर, श्राद्ध स्वीकार कर प्रसन्नतापूर्वक अपने लोकों को प्रस्थान करते हैं।
विष्णुपुराण में कहा गया है कि जिनके पास श्राद्ध करने की सामग्री और क्षमता न हो, वह भी यदि भक्तिभाव से केवल जलांजलि देकर पितरों को प्रणाम करते हैं, इससे भी पितर संतुष्ट हो जाते हैं। उनकी संतुष्टि के लिए श्रद्धा, भक्ति, सम्मान और आदरभाव ही पर्याप्त है।
Pitru Paksh 2019: किस तिथि पर किसका श्राद्ध करना चाहिए
हर साल पितृपक्ष मे हमारे पितर धरती पर आते हैं और उनकी सेवा की जाती है। आमतौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि पर होती है, पितृ पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पर कुछ cases me पितृ पक्ष में किस तिथि पर किसका श्राद्ध होता है, आइए विस्तार से उनके बारे में जानते हैं-
पूर्णिमा का श्राद्ध
किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हो तो उसका श्राद्ध भाद्र पूर्णिमा को करना चाहिए। दादा-दादी, परदादी का श्राद्ध भी भाद्र पूर्णिमा को करना चाहिए।
भरणी का श्राद्ध
कई लोग अपने जीवन में कोई भी तीर्थयात्रा नहीं कर पाते है। ऐसे लोगों की मृत्यु होने पर उन्हें मातृगया, पितृगया, पुष्कर तीर्थ और बद्रीकेदार आदि तीर्थों पर किए गए श्राद्ध का फल मिले, इसके लिए भरणी श्राद्ध किया जाता है। यह श्राद्ध करने से गया श्राद्ध करने जितना महत्व है। भरणी श्राद्ध पितृपक्ष मे भरणी नक्षत्र के दिन किया जाता है। 18 सितंबर को चतुर्थी तिथि दिन बुधवार को भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी का श्राद्ध किया जा सकता है।
अविवाहित व्यक्ति का श्राद्ध
अगर किसी अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु हो गई है तो उसका श्राद्ध पंचमी तिथि पर करना चाहिए। इस साल 19 सितंबर दिन गुरुवार को अविवाहित व्यक्ति का श्राद्ध किया जाएगा।
नवमी का श्राद्ध
नवमी तिथि को सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है। 23 सितंबर दिन सोमवार को नवमी श्राद्ध किया जाएगा। अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है।
संन्यासियों का श्राद्ध
संन्यासियों का श्राद्ध पार्वण पद्धति से द्वादशी में किया जाता है, भले ही इनकी मृत्यु तिथि कोई भी क्यों न हो। 25 सितंबर दिन बुधवार को एकादशी श्राद्ध/द्वादशी श्राद्ध/संन्यासियों का श्राद्ध किया जाएगा।
मघा का श्राद्ध
जिनके जन्म कुंडली में पितृदोष के कारण घर परिवार में और पति पत्नी में क्लेश अशांति हो, मघा नक्षत्र मे श्राद्ध करने से वह शांत हो जाती है। घर में सुख शांति बन जाती हैं।
अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध
वाहन दुर्घटना, सांप के काटने से, जहर के खाने से, अकाल मृत्यु के कारण जिसकी मृत्यु हुई हो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। 27 सितंबर दिन शुक्रवार को अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध किया जाएगा।
चतुर्दशी तिथि में मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी में नहीं करना चाहिए, इनका श्राद्ध त्रयोदशी या अमावस्या को करना चाहिए। जिसे किसी की मृत्यु की तिथि का ज्ञान न हो उसका श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए।
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(इस आलेख में दी गई Pitru Paksh 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)