Papankusha Ekadashi 2021 date, एकादशी व्रत विधि, पापाकुंशा व्रत का महत्व, पापाकुंशा एकादशी व्रत कथा, अश्विन मास शुक्ल पक्ष एकादशी व्रत पारण
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Papankusha Ekadashi 2021: इस व्रत से मिलती है पापों से मुक्ति; जानिए पापाकुंशा एकादशी व्रत विधि, कथा, व्रत का महत्व

Papankusha Ekadashi 2021: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार 16 अक्टूबर दिन शनिवार को इस एकादशी का व्रत रखा जाएगा। द्वादशी तिथि वाले दिन 17 अक्टूबर को प्रातः व्रत का पारण किया जाएगा। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा का विधान है। यह व्रत मनुष्य को समस्त मानसिक और शारीरिक पाप कर्म से मुक्त करता है।

एकादशी व्रत का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत को नियम और निष्ठा पूर्वक करने मनुष्य के पापकर्मों, अशुभ संस्कारों का नाश होता है। इस एकादशी का व्रत करने से सूर्य यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। जानिए क्यों कहते हैं इसे पापाकुंशा एकादशी, क्या है इसका महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और व्रत विधि के बारे मे…

क्यों कहा जाता है पापांकुशा एकादशी?

इस एकादशी को पापांकुशा क्यों कहते हैं इसके लिए भी एक कथा प्रचलित है जिसका सार यह है कि पाप रूपी हाथी को इस व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से भेदने के कारण ही इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा है।

इस दिन मौन रहकर भगवद् स्मरण और भगवान के कीर्तन-भजन करने का प्रावधान है। जिससे मनुष्य में सद्गुण आते हैं और उसका मन में निर्मलता आती है।

Papankusha Ekadashi 2021 Date and Timings

एकादशी तिथि आरंभ – 15 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 05 मिनट से

एकादशी तिथि समापन – 16 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 37 मिनट तक

एकादशी व्रत पारण समय और तिथि – 17 अक्टूबर, सुबह 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक

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पापाकुंशा व्रत विधि

इस दिन उपवास किया जाए तो यह बेहद उत्तम होता है। दशमी तिथि से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। दशमी तिथि वाले दिन सूर्यास्त से पूर्व ही भोजन कर लेना चाहिए। रात के समय भोजन न करें ताकि एकादशी वाले दिन पेट में अन्न का अंश न रहे।

एकादशी तिथि को अन्न ग्रहण करना वर्जित माना गया है। यह व्रत निर्जला या फिर क्षमतानुसार फलाहार करके किया जा सकता है। इस व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल तथा मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि तो किया जाता है। प्रातः उठकर पूजा पाठ करने के बाद ब्राह्मण को भोजन करवाएं उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करें। उसके बाद स्वयं व्रत का पारण करें।

पापाकुंशा पूजा विधि

  • एकादशी को ब्रह्ममुहूर्त में उठे नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करने के पश्चात् भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें।
  • इसके बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे।
  • उसके बाद एक पटरी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान विष्णु की तस्वीर रखें और कलश स्थापित करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
  • इसके बाद भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल, फूल, प्रसाद और तुलसी पत्र आदि अर्पित करें।
  • उसके बाद विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
  • पूजा करने के बाद वहीं बैठ कर श्री हरि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और फिर आरती करें।
  • इसके बाद कथा का श्रवण करें। कोशिश करें कि व्रत वाले दिन किसी भी व्यक्ति पर क्रोध न करें।
  • रात्रि में भगवान के भजन कीर्तन और स्मरण करें।

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पापाकुंशा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहुत क्रूर बहेलिया रहा करता था। उसने अपना पूरा जीवन हिंसा, झूठ, छल-कपट और मदिरापान जैसे बुरे कर्म करते हुए व्यतीत कर दिया।

जब उसका अंत समय आया तो यमराज ने अपने दूतों को बहेलिया के प्राण हरण करने की आज्ञा दी। जिसके बाद दूतों ने उससे कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है।

मृत्यु का समय निकट देखकर बहेलिया भयभीत हो गया। वह बहेलिया महर्षि अंगिरा की शरण में जा पहुंचा। उसने महर्षि से प्रार्थना की तब उन्होंने उस पर दया भाव दिखाते हुए, उससे पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। तब इस व्रत को करने से बहेलिए के पाप नष्ट हुए और ईश्वर की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

पापांकुशा एकादशी का महत्

यह व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह एकादशी व्रती व्यक्ति को तो लाभ पहुंचाती ही है साथ ही दूसरों को भी लाभ प्राप्त कराती है। इससे व्यक्ति का मन शुद्ध होता है। यह व्रत करने से व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से माता, पिता और मित्र की पीढ़ियों को भी मुक्ति प्राप्त होती है।

पापांकुशा एकादशी के महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है कि महाभारत काल में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने धर्म राज युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा बताई थी। इस व्रत को करने से मनुष्य के अशुभ संस्कारों का नाश हो जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सूर्य यज्ञ और अश्वमेज्ञ यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।

पापांकुशा एकादशी के दिन मौन रहकर भगवद स्मरण किया जाता है। अगर इस दिन भगवान की सच्चे मन से पूजा-अर्चना की जाए तो इससे व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना की जाए तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है।

!! नारायण नारायण !!

Papankusha Ekadashi 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Papankusha Ekadashi 2021 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)

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