Radha Ashtami 2022: राधा, श्री कृष्ण की आराध्य शक्ति, जिनके नाम जाप मात्र से तीनों लोक के स्वामी खिंचे चले आते हैं, का जन्मोत्सव राधाष्टमी का पर्व 4 सितंबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा। राधा अष्टमी (श्री राधाजी के प्राकट्य दिवस) के दिन राधा जी की पूजा करने का विधान है। माना जाता है इस दिन राधा जी की पूजा करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है।
मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। शायद इसलिए ये संयोग बना है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है, वहीं 15 दिन बाद इसी माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधाष्टमी। श्री राधाजी के जन्मोत्सव को मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद (Bhadrapada) शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। राधा अष्टमी के दिन राधा जी के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। राधा जी और श्री कृष्ण के प्रेम को, एक आदर्श प्रेम के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि जो राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखता, उसे जन्माष्टमी व्रत का फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं राधा रानी जन्म कथा, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, राधा अष्टमी का महत्व, राधा अष्टमी व्रत व उद्यापन विधि के बारे में।
Radha Ashtami 2022 Date and Shubh Muhurat
अष्टमी तिथि आरंभ – शनिवार 03 सितंबर 2022, दोपहर 12:25 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – रविवार 04 सितंबर 2022, सुबह 10:40 बजे
राधा अष्टमी 2022 Date -04 सितंबर 2022. उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 04 सितंबर को मनाया जाएगा।
राधाष्टमी पूजन/व्रत विधि
On the day of Radha Ashtami, devotees spend the day worshipping and praying Goddess Radha along with Lord Krishna. Some devotees also observe a fast for this occasion to show their devotion to Goddess Radha. Various bhajans and songs are sung about the tales and devotion of Goddess Radha.
- राधाष्टमी के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई, स्नान आदि करके शुद्ध मन से व्रत का संकल्प करना चाहिए। इनकी पूजा के लिए मध्याह्न का समय उपयुक्त माना गया है।
- इस दिन पूजन स्थल में रंगोली, ध्वजा, पुष्पमाला, वस्त्र, तोरण आदि से सजाना चाहिए।
- सबसे पहले राधा जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, शहद, बूरा, घी) से स्नान कराएं और उसके बाद उनको नए वस्त्र और श्रृंगार से सजाना चाहिए।
- इसके बाद राधा रानी की मूर्ति को स्थापित कर, फिर राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा अर्चना कर धूप, दीप, फल, फूल आदि चढाना चाहिए।
- राधा अष्टमी की कथा सुननी चाहिए।
- संध्या आरती करने के बाद सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए।
- पूजन के बाद पूरा दिन व्रत रखे और एक समय भोजन करें।
- दिन भर राधा रानी के नामों का, राधा गायत्री मंत्र और अन्य मंत्रो का मानसिक जाप करते रहे।
- दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
राधा गायत्री मंत्र:
ॐ वृषभानुजायै विद्महे क्रष्णप्रियायै धीमहि! तन्नो राधिका प्रचोदयात!
‘ॐ रां राधिकायै नम:’ इति मूलमंत्र:!
राधा रानी जन्म कथा
पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु और कीर्ति देवी की संतान बताया गया। जब राजा बरसाना मे यज्ञ के लिए भूमि की सफाई कर रहे थे तब भूमि से कन्या के रुप में राधा मिली थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया। कहा जाता है कि राधा भगवान श्रीकृष्ण से साढ़े ग्यारह माह बड़ी थीं।
एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु कृष्ण अवतार में जन्म लिया था तब उनके अन्य सदस्य भी पृथ्वी पर जन्म लिया था। विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं।
राधाष्टमी पर्व का महत्व
भगवान श्री कृष्ण के भक्त राधा अष्टमी पर, राधा जी की पूजा को विशेष महत्व देते हैं। The followers of Gaudiya Vaishnavism keep fast on this auspicious day. Also, on the holy birth anniversary of Radha Rani, the followers of the Nimbarka Sampradaya ask Goddess Radha to bless them by favours to acquire Lord Krishna Blessings.
- राधा जी और श्री कृष्ण के प्रेम से तो पूरी दूनिया परिचिति है। इसलिए वेदों, पुराणों और शास्त्रों में राधाजी को कृष्ण वल्लभा कहकर गुणगान किया गया है।
- राधा अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है। राधा की पूजा किये बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है।
- राधा जी का जाप और स्मरण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- राधा अष्टमी का व्रत करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
- राधाष्टमी की कथा सुनने मात्र से भक्त को सुख-समृद्धि, धन और मान- सम्मान की प्राप्ति हो जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
- इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है, घर में धन की कभी कमी नहीं होती।
- राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है।
- इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
राधा अष्टमी व्रत का उद्यापन कैसे करें?
इस व्रत का उद्यापन करते समय एक सूप लेते हैं और उसमें 16 श्रृंगार की चीजें रखी जाती हैं और उसे दूसरे सूप से ढंककर 16 दिए जलाए जाते हैं। व्रत के बाद चन्द्र भगवान को अर्घ्य देते हैं। लक्ष्मी जी को अपने घर में वास करने का आमंत्रण दिया जाता है। श्रृंगार का सामान किसी ज़रूरतमंद को दान कर दिया जाता है।
इस व्रत के दौरान आस पास के लोगों को आमंत्रित करके घर में कथा पाठ भी कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि 16 बार कथा पाठ करवाना ज्यादा शुभ होता है।
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|| जय श्री राधे राधे ||
Radha Ashtami 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
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(इस आलेख में दी गई Radha Ashtami 2022 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं, हिंदू पांचांग और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)