Mahashivratri 2023, भोलेनाथ की पूजा, महाशिवरात्रि व्रत नियम, शिव मंत्र, क्यों मनाते है महाशिवरात्रि, शिव पूजन विधि, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी
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Mahashivratri 2023: विशेष कृपा के लिए इस मुहूर्त, विधि से करे भगवान भोलेनाथ की पूजा; जानिए महाशिवरात्रि व्रत नियम, पूजा विधि, शिव मंत्र और महत्व

Mahashivratri 2023: हर महीने की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि मनाई जाती हैं, लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि की प्रधानता दी गई है। भगवान शिव की आराधना का महापर्व, महाशिवरात्रि इस बार 18 फरवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस रात में विधिवत साधना करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

इस बार महाशिवरात्रि के दिन शनि त्रयोदशी तिथि यानी शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ है। शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव को प्रिय हैं। इसमें व्रत, रात्रि जागरण और चार पहर, चार प्रकार के पूजन-अर्चन का विधान है, जो शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाएगा।

शिवरात्रि को कई श्रद्धालु निर्जला व्रत रख रात्रि जागरण करते हैं। महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है। महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से श्रद्धालुओं को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

आइये जानते हैं महाशिवरात्रि व्रत 2023 में कब है, महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि, महाशिवरात्रि का महत्व, शिव मंत्र, महाशिवरात्रि कथा, महाशिवरात्रि व्रत नियमभोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए महाशिवरात्रि पर क्या करे और क्या ना करे के बारे में –

Mahashivratri 2023 Shubh Muhurat

महाशिवरात्रि 2023 कीतिथि: 18 फरवरी 2023

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 2023 का शुभारंभ: 18 फरवरी, रात 08:02 बजे से
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी ति​थि 2023 की समाप्ति: 19 फरवरी, शाम 04:18 बजे पर

18 फरवरी को संध्या 08:02 बजे से चतुर्दशी तिथि लगेगी। मध्यरात्रि को चतुर्दशी तिथि के योग में 18 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनेगी।

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महाशिवरात्रि 2023 शुभ समय:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:15 बजे से सुबह 06:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:13 बजे से दोपहर 12:58 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 12:02 बजे से 01:27 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:28 बजे से 03:13 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 05:42 बजे से अगली सुबह 06:56 बजे तक

महा शिवरात्रि शुभ योग:

संतान प्राप्ति की कामना और शनि दोष को दूर करने के लिए यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही इस बार महाशिवरात्रि पर शनिदेव अपनी ही राशि कुंभ में रहेंगे, जहां सूर्य देव भी मौजूद हैं। इस तरह महाशिवरात्रि पर पिता-पुत्र यानी सूर्य और शनिदेव एक ही राशि में विराजमान होंगे। वहीं गुरु भी अपनी मीन राशि में होंगे। इससे सर्वार्थ सिद्धि जैसा महायोग बन रहा है, इससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया है।

फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी में सर्वार्थ सिद्धि योग एवं श्रवण नक्षत्र का योग बन रहा है। इसे विशेष फलदायक बताया जा रहा है। इस योग में शिव व्रतपूजन से अखंड सौभाग्य, मनोकामना की पूर्ति और अभीष्ठ फल की प्राप्ति होगी। मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से उपासक को मोक्ष मिलता है।

भगवान शिव की पूजन सामग्री

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव को अर्पण की जाने वाली सामग्री–  जल, दूध, दही, घृत, मधु, शर्करा, गंगा जल, सफेद चंदन, नागकेसर, बेर, आम्र मंजरी, शमीपत्र, मोली, साबुत चावल, कमलगट्टा, जनेऊ, सफेद मिष्ठान, मिश्री, बेलपत्र (बिल्वपत्र), आक धतूरा, भांग, रुद्राक्ष, आक के फूल, अबीर गुलाल, चंदन का इत्र, धूप, दीप, कपूर, और शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।

मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्‍त सच्चे मन से शिविलंग का अभिषेक या जल चढ़ाते हैं उन्‍हें महादेव की विशेष कृपा मिलती है।

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शिव पूजन विधि  शिव मंत्र

शिवपुराण में महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की चार प्रहर पूजा करने का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात में शिव मंत्र का जाप के साथ, अलग-अलग पदार्थों जैसे दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से भगवान शिव के अभिषेक का विधान है।

  • महाशिवरात्रि के दिन प्रभात काल उठकर स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प मंत्र के साथ लें –

ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं शिवपूजनमहं करिष्ये

  • शिव पूजन में, शिवलिंग का अभिषेक जल, कच्चा दूध, दही घृत, मधु, शर्करा (पंचामृत) गन्ने का रस, चन्दन से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से करते हुए ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें, अगर ज्‍यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और “ऊं नम: शिवाय” बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • जल चढ़ाने के बाद चंदन, अक्षत, बेलपत्र (बिल्व पत्र), पुष्‍प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मिश्री, इत्र, मौली, जनेऊ और मिष्‍ठान एक-एक कर चढ़ाएं। द्रव्यों से अभिषेक विशेष मनोकामनापूर्ति हेतु किया जाता है।
  • शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें:

अमंगलानां शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।

दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।

  • भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित करें।
  • शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं, कर्पूर से भगवान शिव की आरती कर प्रसाद बांटें।
  • वहीं पर एक आसन पर बैठकर शिवाष्टक का 3 बार पाठ, शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र, शिव के पंचाक्षर मंत्र नमः शिवाय“, नमो भगवते रूद्राय का जाप करना चाहिए।
  • चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र  का जाप करना चाहिए।
  • महाशिवरात्रि को भगवान शिव का विशेष रात्रि जागरण फलदाई माना जाता है और अगले दिन सुबह नहाकर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद, ब्राहमणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण किया जाता है।

शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल‘ (रात्रि का आठवां पहर) में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं। व्रत रखेने वाले दिनभर शिव मंत्र का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें।

क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि (MahaShivratri 2023)?

हिंदू पुराणों में महाशिवरात्रि से जुड़ी कई कथाए बताई गई हैं-

  1. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव अग्नि ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिसका न आदि था और न ही अंत। इसी दिन पहली बार भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। यह भी माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने ही महाशिवरात्रि के दिन ही शिवजी के रुद्र रूप का प्रकट किया था।
  2. दूसरी प्रचलित कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी कथा के चलते यह मान्यता है कि कुवांरी कन्याओं द्वारा महाशिवरात्रि का व्रत रखने से शादी का संयोग जल्दी बनता है।
  3. तीसरी कथा के मुताबिक भगवान शिव द्वारा विष पीकर पूरे संसार को बचाने की घटना के उपलक्ष में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। सागर मंथन के दौरान जब सागर से कालकूट नाम का विष निकला जो इतना खतरनाक था कि इससे पूरा ब्रह्मांड नष्ट हो सकता था। लेकिन भगवान शिव ने कालकूट विष को अपने कंठ में रख लिया। इससे उनका कंठ (गला) नीला हो गया, इस घटना के बाद से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा।

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महाशिवरात्रि व्रत नियम

महाशिवरात्रि व्रत के कोई सख्त नियम नही है। कोई भी इस व्रत को बेहद ही आसानी से रख सकता है।

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।
  • दिन में फलाहार, चाय, पानी आदि का सेवन करें।
  • दिन मे और शाम के समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करें।
  • रात के समय व्रत में सेंधा नमक के साथ बनें भोजन खाएं।

महाशिवरात्रि पर करें ये काम

  1. महाशिवरात्रि के दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें, इस दिन काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है।
  2. कुछ ऐसी चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए जो भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती है। शिवपुराण के अनुसार भक्तों को कभी भी भगवान शिव को केतकी के फूलहल्दीकुमकुम या सिंदूरशंख से जलतुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाना चाहिए।
  3. शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं, हालांकि भक्तजन मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का टीका लगा सकते हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका लगा सकते हैं।
  4. शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पहले यह ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या गर्म दूध का इस्तेमाल ना करें और शिवलिंग पर कच्चा दूध ही चढ़ाएं। अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो। अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें।
  5. भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए।
  6. शिवरात्रि पर शिवजी को तीन पत्रों वाला बेलपत्र अर्पित करें और डंठल चढ़ाते समय आपकी तरफ हो। कटेफटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
  7. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर केवल सफेद रंग के ही फूल ही चढ़ाने चाहिए।
  8. इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं

Mahashivratri 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Mahashivratri 2023 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)

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