Makar Sankranti 2020:इस संक्रांति के दिन सूर्य, धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है, इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व इस बार यानी साल 2020 में 14 जनवरी की बजाए 15 जनवरी को मनाना चाहिए। 15 जनवरी से मलमास (खरमास) और अशुभ समय समाप्त हो जाएगा और विवाह, ग्रह प्रवेश आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव को समर्पित है। मकर संक्रांति में ‘मकर‘ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति‘ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि (मकर के स्वामी शनि देव हैं) में प्रवेश करते है। एक राशि को छोड़कर दूसरे राशि में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है।
मकर संक्रांति त्योहार के अलग-अलग नाम
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) को दक्षिण भारत में पोंगल (Pongal) के नाम से जाना जाता है। गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण (Uttarayan) कहा जाता है। गुजरात में मकर संक्रांति के दौरान खास अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (International Kite Festival) भी होता है। वहीं, हरियाण और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी (Maghi) के नाम से पुकारा जाता है। इसी वजह से इसे साल की सबसे बड़ी संक्रांति कहा गया है, क्योंकि यह पूरे भारत में मनाई जाती है।
मकर संक्रांति का धार्मिक इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन की गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते है सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है।
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Makar Sankranti 2020 Date and Shubh Muhurat
इस साल सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 जनवरी (मंगलवार) की मध्य रात्रि (15 जनवरी) के बाद रात 2 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है। शास्त्रों के नियम के अनुसार मध्य रात्रि के बाद संक्रांति होने की वजह से इसके पुण्य काल का विचार अगले दिन (15 जनवरी) ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर तक होगा। इसी वजह से मकर संक्रांति 2020, 14 को नहीं बुधवार 15 जनवरी को मनाई चाहिए।
मकर संक्रांति 2020– 15 जनवरी
संक्रांति काल– 07:19 बजे (15 जनवरी)
पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल– 07:19 से 09: 03 बजे तक
संक्रांति स्नान– प्रात: काल, 15 जनवरी 2020
मकर संक्रांति पूजा विधि
- मकर संक्रांति के दिन तड़के सुबह पवित्र नदी, तालाब, शुद्ध जलाशय में स्नान करें।
- नए या साफ वस्त्र पहनकर सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। पूर्व की दिशा में मुंह करके सूर्य देव की आराधना करें। तांबे के एक पात्र में जल के साथ लाल चन्दन, काले तिल, अक्षत डाल कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें, लाल रंग का फूल भी अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- मकर संक्रांति के दिन पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण दिया जाता है।
- श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ या गीता का पाठ करें।
- महिलाए सुहागन की सामग्री बेटी, ब्राह्मण या मंदिर को देती हैं।
- मकर संक्रान्ति के दिन ब्राह्मणों, गरीबों को दान करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन दान में अन्न, आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं।
- नए अन्न, कम्बल, लाल वस्त्र, ताम्बे के बर्तन तथा गेंहू का दान भी करना चाहिए।
- घर में प्रसाद ग्रहण करने से पहले आग में थोड़ी सा गुड़ और तिल डालें और अग्नि देवता को प्रणाम करें।
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मकर संक्रांति पूजा मंत्र
मकर संक्रांति पर गायत्री मंत्र के अलावा भगवान सूर्य की पूजा इन मंत्रों से भी की जा सकती है-
ऊं सूर्याय नम:
ऊं आदित्याय नम:
ऊं सप्तार्चिषे नम:
ऊं सवित्रे नम:
ऊं वरुणाय नम:
ऊं सप्तसप्त्ये नम:
ऊं मार्तण्डाय नम:
ऊं विष्णवे नम:
मकर संक्रांति का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के शुभ अवसर जो व्यक्ति पवित्र नदी में डुबकी लगाता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति को मिठास का त्योहार भी कहा जाता है। तिल और गुड़ से बने लड्डू और दूसरी मिठाईयां हर घर में बनती हैं। आज के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण काल में ही शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।
मकर संक्रान्ति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। पतंग उड़ाने की परंपरा धार्मिकता से नहीं बल्कि स्वास्थ्य लाभ से जुड़ी है। लोगों को धूप में वक्त बिताने का मौका मिलता है जिससे सर्दी में होने वाले संक्रमणों से बचने में मदद मिलती है। सर्दी के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है।
मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। मकर संक्रान्ति बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है।
उड़ी वो पतंग और खिल गया दिल
गुड़ की मिठास में देखो मिल गया तिल
चलो आज उमंग-उल्लास में खो जाएं हम लोग
सजाएं थाली और लगाएं अपने भगवान को भोग।
Happy Makar Sankranti 2020 !!
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(इस आलेख में दी गई Makar Sankranti 2020 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)