Vijaya Ekadashi 2022 कब, विजया एकादशी की कथा, एकादशी व्रत का महत्व, भगवान विष्णु की पूजा विधि, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष एकादशी व्रत विधि
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Vijaya Ekadashi 2022 के दिन मिलेगी हर परेशानियों पर विजय; जानिए विजया एकादशी व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Vijaya Ekadashi 2022: फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहते है। पंचांग के अनुसार इस बार यह एकादशी 27 फरवरी 2022, रविवार को मनाई जाएगी। इसे समस्त पापों का हरण करने वाली तिथि भी कहा जाता है। यह एकादशी महाशिवरात्रि से पहले आती है।

विजया एकादशी अपने नामानुसार विजय प्रदान करने वाली है। भयंकर शत्रुओं से जब आप घिरे हों और पराजय सामने खड़ी हो उस विकट स्थिति में विजया नामक एकादशी आपको विजय दिलाने की क्षमता रखती है। अगर आपके काम पूरे नहीं होते, बनते-बनते बात बिगड़ जाती है तो विजया एकादशी का व्रत विधि-विधान से करना चाहिए।

धर्म ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत करता है, सर्वेश्वर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान से करता है, उसे हर काम में विजय (सफलता) मिलती है और हर कष्टों से छुटकारा। इस पावन तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत हर मनोकामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने के पूर्व समुद्र किनारे अपनी पूरी सेना के साथ इस व्रत को रखा था और रावण को परास्त कर लंका पर विजय हासिल की थी। विजया एकादशी व्रत करने से इंसान हर क्षेत्र में आगे बढ़ता है। आइये जानते हैं विजया एकादशी व्रत 2022 में कब है, विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त, विजया एकादशी का महत्व, विजया एकादशी की पूजा विधि और विजया एकादशी की कथा के बारे में-

Vijaya Ekadashi 2022 पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि का प्रारंभ शनिवार, 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से होगा, जो अगले दिन यानी 27 फरवरी 2022, रविवार की सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगी.

विजया एकादशी : 27 फरवरी 2022, रविवार

एकादशी तिथि आरंभ– 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त– 27 फरवरी 2022, रविवार की सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक

उदया तिथि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा। एकादशी तिथि समाप्त होने के बावजूद भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा, इसलिए भक्त ये व्रत 27 फरवरी को ही रखें।

विजया एकादशी पारणा मुहूर्त– 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक।

इस बार विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:48 बजे तक रहेगा। वहीं त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है। ये 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक मान्य होगा। मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी काम सफल जरूर होता है।

विजया एकादशी व्रत/पूजा विधि

  • व्रत के एक दिन पहले शाम को सयंमपूर्वक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • विजया एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान के जल में गंगाजल और केसर मिलाकर नहाना चाहिए। स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य नारायण को जल में केसर डाल कर अर्घ्य दें।
  • पीले फूलों से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उन्हें पीले ऋतुफल और वस्त्र अर्पण करने चाहिए। इस दिन केसर का तिलक भगवान विष्णु को लगाएं और उसी तिलक का प्रयोग प्रसाद के रूप में करें।
  • पीपल के पत्ते पर ऋतुफल, नेवैद्य, पंचामृत और अन्य पकवानों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल भी समर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें।
  • भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजन कर धूप-दीप से आरती उतारें।
  • इस दिन श्रीहरि के पूजन के दौरान व्रत कथा कहनी चाहिए। व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें।
  • दिन भर कुछ खाएं नहीं, एक समय फलाहार कर सकते हैं।
  • श्री रामचरितमानस और श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ फलदायी है।
  • ब्राह्मणों और गरीबों को पीले रंग के वस्त्र, भोजन इत्यादि का दान देना चाहिए। दान करने से पूर्व इन्हें भगवान विष्णु काे अर्पित अवश्य करें। इससे आपके दान का पुण्य दोगुना हो जाएगा।
  • एकादशी के दिन, संध्याकाल में गाय के घी का दीपक तुलसी के पौधे के समक्ष जलाएं। ऐसा करने से परिवार में सुख शांति आएगी।
  • पूरी रात्रि भगवान के भजन और संकीर्तन करें और मंत्रों ‘ॐ नमो नारायणाय’, ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।
  • अगले दिन द्वादशी को भगवान विष्णु की पुन: पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • इसके बाद ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा देकर सम्मान विदा करें। बाद में स्वयं भोजन कर व्रत पूर्ण करें।

इस तरह विधि-विधान से व्रत करने से हर काम में सफलता मिलती है। श्रद्धा तथा समर्पण पूर्वक व्रत तथा पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाते हैं।

व‍िजया एकादशी की कथा

रामायण काल में प्रभु श्री राम ने वानर सेना सहित लंका प्रस्थान करने का निश्चय किया। समुद्र के किनारे पहुंचे उन्होने लक्ष्मण जी से कहा की समुद्र को पार कैसे किया जाए?

भयंकर जलीय जीवों से भरे समुद्र को देखकर लक्ष्मण जी ने उनको सलाह दी कि यहां से कुछ दूरी पर बकदालभ्य मुनि का आश्रम है। प्रभु आप उनके पास जाकर उपाय पूछिए। लक्ष्मण जी की इस बात से सहमत होकर श्री राम, बकदालभ्य ऋषि के आश्रम गए और उन्हें प्रणाम किया। वह प्रभु राम को देखते ही मुनि पहचान गए कि ये तो विष्णु अवतार श्री राम हैं।

बकदालभ्य मुनि ने श्री राम से आने का कारण पूछा। इस पर श्रीराम ने कहा -‘हे ऋषि! मैं अपनी सेना सहित राक्षसों को जीतने लंका जा रहा हूं, कृपया आप समुद्र पार करने का कोई उपाय बताइए।’ बकदालभ्य ऋषि बोले- ‘हे राम, फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है, उसका व्रत करने से आपकी निश्चित विजय होगी और आप अपनी सेना के साथ समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे। मुनि के कहने पर, श्रीरामचंद्र ने इस दिन विधिपूर्वक एकादशी व्रत किया। व्रत को करने से श्री राम ने लंका पर विजय पायी और माता सीता को प्राप्त किया।

तब भगवान विष्णु ने कहा जो व्यक्ति फाल्गुन मास एकादशी के इस व्रत को करेगा उसकी हर मनोकामना पूर्ण होगी और उसकी वह प्रत्येक कार्य में विजय को प्राप्त करेगा।

विजया एकादशी व्रत का महत्व

  • माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामना पूरी होती है।
  • इस व्रत के विषय में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि जब जातक शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से विकट परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से सफलता सुनिश्चित की जा सकती है।
  • विजया एकादशी के महात्म्य के पठन व श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के समस्त पापों का विनाश हो जाता है। साथ ही आत्मबल बढ़ जाता है।
  • शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान और गौदान से अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
  • विजया एकादशी व्रत करने से जीवन में शुभ कर्मों में वृद्धि, मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और कष्टों (अशुभता) का नाश होता है। जो भी साधक इस एकादशी का व्रत विधि विधान और सच्चे मन से करता है, वह भगवान विष्णु का कृपापात्र बन जाता है।
  • पद्मपुराण के अनुसार विजया एकादशी के व्रत से धन-धान्य का लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कठिन तपस्या से आप जितना फल प्राप्त कर सकते हैं, उतना ही पुण्यफल आप विजया एकदाशी का व्रत करने से कर सकते हैं। व्रतधारी को बैकुंठ धाम की प्राप्ती होती है।

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Vijaya Ekadashi 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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(इस आलेख में दी गई Vijaya Ekadashi 2022 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं।)

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