Sarva Pitru Amavasya 2019: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन 13 सितंबर 2019 से शुरू हुए पितृपक्ष का समापन 28 सितंबर 2019 के दिन आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगा। 20 साल बाद इस बार सर्व पितृमोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन रहेगी। सर्वपितृ अमावस्या के दिन शनिवार का महासंयोग अत्यंत सौभाग्यशाली है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक जो कोई अपने पितर (पितरों) का श्राद्ध पितृपक्ष में ना कर पाया हो या श्राद्ध की तिथि मालूम ना हो, तो वह सर्वपितृ अमावस्या को अपने ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन का श्राद्ध कर्म करना फलदायक माना गया है।
इस अमावस्या को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होने पर पितर धरती पर आते हैं और सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कर उन्हें धरती से विदा किया जाता है। इस दिन किया गया श्राद्ध से सर्वपितरों की मुक्ति होती है और श्राद्ध कर्म करने वाले को पुण्य प्राप्त होता है। इस अमावस्या के साथ ही 16 दिनो का पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा और अगले दिन 29 सितंबर से शारदीय नवरात्र लग जाएँगे।
माना जाता है कि श्रद्धापूर्वक श्राद्ध न करने पर पितरों तो बहुत निराशा और दुख होता है और वे अपने वंशजों को शाप देकर लौट जाते हैं। इसी कारण भविष्य में होने वाली संतानों की कुंडली में पितृदोष आदि देखने में आते हैं। जानिए Sarva Pitru Amavasya 2019 Date, श्राद्ध कर्म मुहूर्त, श्राद्ध विधि, मोक्षदायिनी सर्वपितृ अमावस्या का महत्व समेत सभी जानकारी।
Sarva Pitru Amavasya 2019 Date and श्राद्ध कर्म मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या तिथि: 28 सितंबर 2019
अमावस्या तिथि आरंभ: 28 सितंबर 2019 को सुबह 03 बजकर 46 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 सितंबर 2019 को रात 11 बजकर 56 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 28 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 35 से दोपहर 01 बजकर 23 मिनट तक
अपराह्न काल: दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक
ये पढ़ें: जानें श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन क्यों हैं आवश्यक और क्या हैं नियम
सर्वपितृ अमावस्या को क्या करें ?
जिन पितरों के श्राद्ध की तिथि याद नहीं ऐसे पितरों का श्राद्ध अमावस्या पर किया जाता है। पितृ पक्ष के दिनों में अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध न कर पाए हों तो पितृ दोष से बचने के लिए अमावस्या में उनका भी श्राद्ध किया जा सकता है। जानिए सर्वपितृ अमावस्या को क्या करना चाहिए –
- सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।
- पीपल में पितरों का वास माना जाता है। इसलिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
- इस अमावस्या पर नदी या किसी जलाशय पर जाकर काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें इससे घर में हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में खुशहाली और शांति आती है।
- श्राद्ध करने के लिए तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है। जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है। पितरों को तर्पण करने के लिए कम से कम तिल जल दान तो अवश्य करें।
- इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए।
- श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल कामना करनी चाहिए।
- ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिए व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिए।
- मान्यता है कि इन दिनों में पितर किसी भी रूप में आपके घर पर आ सकते हैं। इसलिए भूलकर भी अपने दरवाजे पर आने वाले किसी भी जीव का निरादर ना करें।
- बहन, दामाद और भांजा-भांजी को भी भोजन अवश्य कराएं। मान्यता है कि उनके भोजन के बिना पितर प्रसन्न नहीं होते। इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन करें।
- भोज के बाद पितरों को धन्यवाद दें और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए माफी मांगे।
- अगर संभव हो तो गरीबों में आज के दिन खाना, वस्त्र और दवाइयों का वितरण करें, मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह खुशी-खुशी विदा होते हैं।
- शाम के वक्त पितृ विसर्जन होता है। उनसे उनके स्थान लौटने की विनती की जाती है।
- पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, खीरा एवं बांसी भोजन नहीं खाना चाहिए।
- संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप प्रज्जवलित करने चाहिए।
READ Too: Indira Ekadashi 2019: पितरों को मिलता है मोक्ष, जानिए इंदिरा एकादशी व्रत विधि, कथा व महत्व
मोक्षदायिनी सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सर्वपितरों की आत्मा की शांति के लिये स्नान, दान, तर्पण आदि किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि किसी को अपने पितरों के श्राद्ध करने की तिथि मालूम ना हो, वह इस दुविधा में हो कि किस तिथि को उसके किस मृत परिजन का श्राद्ध किया जाना चाहिए, तो वह सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने का विधान बताया गया।
समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है इसलिए इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालया भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म संस्कृति में यह दिन महत्वपूर्ण है और इस दिन किया गया श्राद्ध अधिक फलित भी माना गया है। इस दिन किया गया पितरों का तर्पण, श्राद्ध पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
इस दिन पितरों के नाम की धूप जलाई जाए, दान किया जाए तो पितृ तृप्त होते हैं और अपने लोक को वापिस लौटते हुए ढेर सारे आशीर्वाद देकर जाते हैं, इससे तन, मन और घर में शांति आती है, घर में भी सुख-समृद्धि का निवास होता है। रोग और शोक से भी परिवार वालों को मुक्ति मिलती है।
मान्यता यह भी है कि इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें ये न मिले तो वह असंतुष्ट ही वापस चले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप जीवन में परेशानियों, घरेलू कलह बढ़ जाता है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है। इसलिए श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए।
READ ALSO: Pitru Paksh 2019: किस तिथि पर किसका श्राद्ध करना चाहिए? जानिए श्राद्ध विधि व महत्व
Connect with us through Facebook for all latest updates of Hindu Religion, Tradition, Fasts & Festivals and Culture. Do comment below for any more information or query on “Sarva Pitru Amavasya 2019”.
(इस आलेख में दी गई Sarva Pitru Amavasya 2019 की जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है।)